तुलसी की माला पहनने के नियम और फायदे
तुलसी का हिन्दू संस्कृति में बहुत महत्व है। हिन्दू धर्म में तुलसी को माता कहा जाता है। और देवी का स्वरूप माना जाता है। तुलसी के उदय में विद्युत शक्ति होती है। और तुलसी के पत्तों का नियमित सेवन करने से कई बीमारियों से दूर रहा जा सकता है। तुलसी के पत्तों के साथ-साथ तुलसी के तने से अर्थात तुलसी की टहनियों से माला भी तैयार की जाती है।तुलसी की माला पहनने के नियम और फायदे, आप भी जानें
तुलसी का हिन्दू संस्कृति में बहुत महत्व है। हिन्दू धर्म में तुलसी को माता कहा जाता है। और देवी का स्वरूप माना जाता है। तुलसी के उदय में विद्युत शक्ति होती है। और तुलसी के पत्तों का नियमित सेवन करने से कई बीमारियों से दूर रहा जा सकता है। तुलसी के पत्तों के साथ-साथ तुलसी के तने से अर्थात तुलसी की टहनियों से माला भी तैयार की जाती है।
ऐसा बताया जाता है कि तुलसी की माला धारण करने पर विशेष लाभ मिलता है। हमारे घर में महिलाएं परिवार की सुख, समृद्धि के लिए तुलसी की पूजा करती हैं। तुलसी को घर के आंगन में लगाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ठीक उसी तरह से तुलसी की माला को धारण करना बेहद लाभदायक माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि तुलसी की माला पहनने से ना केवल शरीर बल्कि मन और आत्मा भी पवित्र होते हैं। यह भी माना जाता है कि इसके औषधीय गुण भी तुलसी की माला पहनने से शरीर को प्राप्त होते हैं। तुलसी की माला पहनने से कई प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है। तुलसी की माला से कई मंत्रों का जाप भी किया जा सकता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि तुलसी की माला से जाप करने से आप श्रीहरि के और करीब पहुंचते हैं। इसलिए आप भी तुलसी की माला धारण कर सकते हैं। तुलसी की माला को धारण करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। तुलसी की माला धारण करने वाले व्यक्ति के व्यक्तित्व को तुलसी की यह माला आकर्षक बनाती है।
तुलसी की माला हाथ की कलाई में भी धारण की जा सकती है। इसलिए कुछ लोग कलाई में भी तुलसी की माला पहनते हैं। तुलसी की माला कलाई में पहनने से नब्ज नहीं छूटती है। ऐसे व्यक्ति के हाथ सून नहीं होते हैं। ऐसे व्यक्ति की भुजाओं का बल बढ़ता है। तुलसी की जड़ें कमर में बांधने से गर्भवती स्त्रियों को बेहद लाभ मिलता है। प्रसव काल के दौरान उसे प्रसव वेदना कम होती है। और प्रसूति भी सरलता से हो जाती है। कमर में तुलसी की करधनी पहनने की भी प्राचीन परंपरा है। कमर में तुलसी की करधनी पहनने से पक्षाघात नहीं होता है। जिगर, तिल्ली, आमाश्य औश्र यौनांग के विकार नहीं होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि आप तुलसी की माला पहनते हैं तो आपकी कुंडली में बुध और गुरू ग्रह को बल मिलता है। और ये दोनों ग्रह बलवान होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तुलसी की माला पहनने से सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं। ऐसे व्यक्ति को कभी किसी की बुरी नजर नहीं लगती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कहा जाता है कि तुलसी की माला को पहनने से पहले तुलसी की माला को दूध और गंगाजल से पवित्र कर लेना चाहिए। तुलसी की माला पहनने से पहले किसी भी श्रीकृष्ण के मंदिर में जाकर श्रीहरि भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की पूजा जरूर कर लेनी चाहिए। जो लोग तुलसी की माला पहनते हैं उन लोगों को कुछ नियमों का पालन अवश्य कर लेना चाहिए।
1. तुलसी की माला पहनने वाले व्यक्ति को प्याज और लहसून का सेवन नहीं करना चाहिए।
2. जो लोग तुलसी की माला पहनते हैं उन्हें किसी भी रूप में मांसाहार नहीं खाना चाहिए।
3. तुलसी की माला धारण करने के साथ-साथ आपको रूद्राक्ष की माला धारण नहीं करनी चाहिए। क्योंकि तुलसी और रूद्राक्ष दोनों की मालाओं को एक साथ नहीं पहना जाता है। तुलसी श्रीकृष्ण को प्रिय होती है, और रूद्राक्ष भगवान शिव को प्रिय होते हैं। इन दोनों को एक साथ ना धारण करने के पीछे वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों ही प्रकार की मान्यताएं हैं।
4. तुलसी और रूद्राक्ष की माला से अलग-अलग तरह की ऊर्जाएं निकलती हैं। और ये ऊर्जाएं एक-दूसरे के विपरित कार्य करती हैं। जैसे अग्नि और पानी दोनों के विपरित कार्य हैं, ऐसे ही रूद्राक्ष और तुलसी के भी एक-दूसरे के विपरित कार्य होते हैं।
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