52 भैरव रक्षा शाबर मंत्र 52 bhairav raksha mantar
ॐ कालभैरवाय नम:।
ॐ भयहरणं च भैरव:।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।
52 भैरव के नाम का परिचय:
भारतीय संस्कृति में, ‘भैरव’ एक प्रमुख देवता है जो शिव के रूप में विज्ञान, शक्ति और साहस के प्रतीक हैं। भैरव को अनेक रूपों में पूजा जाता है, और इनके विभिन्न नामों का जाप करने से आत्मिक और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है। यहां, ’52 भैरव के नाम’ का संग्रह दिया गया है, जो उनके विभिन्न स्वरूपों और गुणों को प्रकट करता है। इन नामों का उच्चारण और उनकी साधना साधकों को आध्यात्मिक उन्नति और संतुलन की प्राप्ति में मदद करता है।
बावन भैरव के नाम:
अजर भैरव
व्यापक भैरव
इंद्राचौर भैरव
इंद्रा मूर्ति भैरव
उक्चया भैरव
कुष्माण्ड भैरव
वरुण भैरव
बटुक भैरव
विमुक्ता भैरव
लिप्टक भैरव
लिलाक भैरव
एकदंष्ट्रा भैरव
ऐरावत भैरव
औषधिगणा भैरव
भन्धक भैरव
दियाक भैरव
काम्बल भैरव
भीषण भैरव
गवान्या भैरव
घण्ट भैरव
व्याल भैरव
अणु भैरव
चंद्रवरुण भैरव
घटाटोप भैरव
जटल भैरव
क्रतु भैरव
घंटेस्वर भैरव
वितंक भैरव
मणिमन भैरव
गणबंधु भैरव
डमर भैरव
डंडीकर्ण भैरव
स्थविर भैरव
दन्तुर भैरव
धनद भैरव
नागकर्ण भैरव
महाबल भैरव
फेत्कार भैरव
चिंकार भैरव
सिंह भैरव
मार्ग भैरव
यक्छ भैरव
मेघवाह भैरव
तीख्छनवस्थ भैरव
अनल भैरव
शक्लतुण्ड भैरव
शुद्धलाप भैरव
वर्वराक भैरव
पवन भैरव
पावन भैरव
शुदर्शनं चक्र भैरव
स्वर्णकर्षण भैरव
52 भैरव मंत्र | 52 Bhairav Mantra
आप अपनी मनोकामना को पूरा कर सकते हैं, इसके लिए 52 भैरव मंत्र का जाप करना होगा। यह करने के लिए आपको इन मंत्रों का विधि-विधान से जाप करना होगा।
ह्रां वां अंगुष्ठाभ्यां नमः
ह्रीं वीं तर्जनीभ्याम नमः
ह्रूं वूं मध्यमाभ्याम नमः
ह्रैं वैं अनामिकाभ्याम नमः
करन्यासवत हृद्यादी न्यास
ऎह्ये हि देवी पुत्र बटुकनाथ कपिलजटाभारभास्वर त्रिनेत्र ज्वालामुख सर्व विघ्नान नाशय नाशय सर्वोपचार सहित बलिं गृहण गृहण स्वाहा
ॐ भैरवो भूतनाथश्च भूतात्मा भूतभावन।
क्षेत्रज्ञः क्षेत्रपालश्च क्षेत्रदः क्षत्रियो विराट्॥
श्मशान वासी मांसाशी खर्पराशी स्मरांतकः।
रक्तपः पानपः सिद्धः सिद्धिदः सिद्धिसेवित॥
कंकालः कालशमनः कलाकाष्टातनु कविः।
त्रिनेत्रो बहुनेत्रश्च तथा पिंगल-लोचनः॥
शुद्धनीलांजन प्रख्यो दैत्यहा मुण्डभूषितः।
बलिभुग् बलिभंगः वैद्यवीर नाथी पराक्रमः ॥
सर्वापित्तारणो दुर्गे दुष्टभूत-निषेवितः।
कामी कलानिधि कान्तः कामिनी वशकृद्वशी॥
सर्व सिद्धि परदों वैद्यः प्रभुर्विष्णुरितीव हि
अष्टोतर शतं नाम्नां भैरवस्य महात्मनः ॥
मयाते कथितं देवी रहस्य सर्व कामिकं
यः इदं पठत स्तोत्रं नामाष्टशतमुत्तमम् ॥
कालः कपालमाली च कमनीयः कलानिधिः।
त्रिलोचनो ज्वलन्नेत्रः त्रिशिखा च त्रिलोकपः ॥
त्रिनेत्र तनयो डिम्भशान्तः शान्तजनप्रियः।
बटुको बहुवेषश्च खट्वांग वरधारकः॥
भूताध्यक्षः पशुपतिः भिक्षुकः परिचारकः।
धूर्तो दिगम्बरः शूरो हरिणः पांडुलोचनः॥
प्रशांतः शांतिदः शुद्धः शंकर-प्रियबांधवः।
अष्टमूर्तिः निधीशश्च ज्ञान-चक्षुः तपोमयः॥
अष्टाधारः षडाधारः सर्पयुक्तः शिखिसखः।
भूधरो भुधराधीशो भूपतिर भूधरात्मजः॥
कंकालधारी मुण्डी च नागयज्ञोपवीतिकः ।
जृम्भणो मोहनः स्तम्भो मारणः क्षोभणस्तथा ॥
शूलपाणिः खङ्गपाणिः कंकाली धूम्रलोचनः।
अभीरूर भैरवीनाथो भूतपो योगिनीपतिः॥
धनदो अधनहारी च धनवान् प्रतिभानवान्।
नागहारो नागपाशो व्योमकेशः कपालभृत्॥
ॐ कर कलित कपाल कुण्डली दण्ड पाणी तरुण तिमिर व्याल
यज्ञोपवीती कर्त्तु समया सपर्या विघ्न्नविच्छेद हेतवे
जयती बटुक नाथ सिद्धि साधकानाम
ॐ श्री बम् बटुक भैरवाय नमः
ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं
ॐ क्रीं क्रीं कालभैरवाय फट
ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:
ॐ काल भैरवाय नमः
ॐ श्री भैरवाय नमः
ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्
ॐ ह्रीं श्मशानवासिने नम:
ॐ ह्रीं मांसाशिने नम:
ॐ ह्रीं खर्पराशिने नम:
ॐ ह्रीं स्मारान्तकृते नम:
ॐ ह्रीं रक्तपाय नम:
ॐ ह्रीं पानपाय नम:
ॐ ह्रीं सिद्धाय नम:
ॐ ह्रीं सिद्धिदाय नम:
ॐ ह्रीं सिद्धिसेविताय नम:
ॐ ह्रीं कंकालाय नम:
ॐ ह्रीं कालशमनाय नम:
ॐ ह्रीं कला-काष्ठा-तनवे नम:
ॐ ह्रीं कवये नम:
ॐ ह्रीं त्रिनेत्राय नम:
ॐ ह्रीं बहुनेत्राय नम:
ॐ ह्रीं पिंगललोचनाय नम:
ॐ ह्रीं शूलपाणाये नम:
ॐ ह्रीं खड्गपाणाये नम:
ॐ ह्रीं धूम्रलोचनाय नम:
ॐ ह्रीं अभीरवे नम:
ॐ ह्रीं भैरवीनाथाय नम:
ॐ ह्रीं भूतपाय नम:
ॐ ह्रीं योगिनीपतये नम:
ॐ ह्रीं धनदाय नम:
ॐ ह्रीं अधनहारिणे नम:
ॐ ह्रीं धनवते नम:
52 भैरव मंत्र विधि
आपके लिए 52 भैरव मंत्र का पाठ करने की विधि बहुत ही सरल है। हर मंगलवार को, आपको बटुक भैरव यंत्र को अपने सामने रखना होगा और उनकी साधना एवं मंत्रों का पाठ करना होगा। साथ ही, बटुक भैरव यंत्र का पंचोपचार पूजन भी करें, और रोज इस विधि से मंत्रों का पाठ करें।
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