Friday, November 22, 2024

माता बगलामुखी शाबर मंत्र

माता बगलामुखी शाबर मंत्र




ॐ गुरुजी ! सत्य ज्योति सत्य की बाती, सत्य का पूत, धर्म का नाती ! बगला तेरी ज्योत सवाई, ब्रह्मा विष्णु शिव जगाई । पीत प्रकाशा स्वर्ण की आभा केसर तिलक लगाई । गवाड़ बिचाले पिपली बगला बैरी भगाये । काम घेनु सम।किरपा किन्ही,काल का।मुख बंधाये ।मेरा कार्य सिद्ध न।करे तो तैतीस कोटि देवतन की दुहाई दुहाई दुर्वासा परशुराम की, सहाई भटनेर की माई


ये मन्त्र शाबर विधान के अंतर्गत आता है । माता बगलामुखी की ज्योति जगाकर इसमंत्र का 108 बार पाठ करें फिर मूल मंत्र का 108 बार जाप करें। बैरी तुरंत शांत हो जाता है और बगला।मातेश्वरी द्वारा दंडित भी होता है । इस मंत्र को कोई भी सज्जन साधक गुरु भक्त जप सकता है ये सभी दुर्लभ श्रंखलाओं का मन्त्र है परोपकार की दृष्टि से और ये मन्त्र लुप्त न हो जाये इसलिए प्रकाशित किया है । जिस पर कृपा होगी वही साधक कर पाएंगे । अन्यथा फेसबुक विद्वान इसे अपने अपने नाम से you tube पर प्रकाशित करके हर्षित होते रहेंगे । वैसे साहित्यिक विद्विता यही है कि जिसकी पोस्ट हो उसका जिक्र अवश्य करना चाहिए । इससे साधक की विद्वता भी झलकती है और उसका गुरु परायण भी । पीढ़ी दर पीढ़ी वाले गद्दी के मंत्र है । विश्वास के साथ जाप करें । गुरु पूर्णिमा के समय शुभ।मुहूर्त में या अन्य शुभ समय।मे जप शुरू कर सकते है

"अभी तक का दुर्लभ और अप्रकाशित शाबर मंत्र"


ॐ जय जय बगला महारानी अगम निगम की तुम्ही बखानी । संकट में घिरा दास तुम्हारो,अमुक दास को तुरंत उबारो, बैरी का बल छीन लो सारो,निर्दयी दुष्टों को तुम्ही संघारो, जीव्हा खीचलो शत्रु की सारी,बोल सके ना बीच सभारी तुम मातु मैं दास तुम्हारा आन हरो मम संकट सारा । आदेश गुरुजी को आदेश भटनेर काली को आदेश अवधूत शिव को आदेश

इस शाबर मंत्र का पाठ जजमान के।लिए किया जाता है जो वास्तविक।में शत्रुओ से परेशान है । औऱ अपने लिए पाठ करना हो तब अमुक की जगह अपना नाम लें ।
सफल पाठ है । संकल्प करके ही पाठ करें


विधि :-- 
इस शाबर मन्त्र को वीर आसन मुद्रा में बैठ कर जाप करना है ! पीले आसन पर बैठ कर हल्दी की माला से १०८ बार रोज जाप करना है २१ दिन जाप करना है किसी भी शुभ समय से जाप प्रारम्भ करें ! उत्तर की तरफ मुह करके जाप करना है ! २१ दिन पश्चात् साधारण हवं सामग्री में पिली सरसों मिलाकर हवन करना है १०८ मन्त्र से हवन करें !

हवन के बाद पांच फल, पांच मिथईया, पांच लॉन्ग, पांच इलायची, एक मीठा पान, और पांच निम्बू ,सुनसान जगह पर रखकर आना है और पीछे मुड़कर नहीं देखना !
ऐसा करने के पश्च्यात आप कभी भी जीवन में प्रयोग में ला सकते हो !
किसी पीड़ित निर्दोष के लिए पाठ करना हो तब पीड़ित के हाथ में पिला धागा उपरोक्त बगला मन्त्र पढ़ कर हाथ पर बाधं दें ! और उसका यथा संभव पाठ करें ! इस मन्त्र में जयादा विधि विधान नहीं है फिर भी आप बगलामुखी पूजन मातेश्वरी पीताम्बरा की रीती निति अनुसार ही करें !
वीर आसन :--जैसे हनुमान जी बैठते है उसी प्रकार बैठ कर १०८ बार जाप करना है और होली दीपावली ग्रहण में मन्त्र जागृत करते रहें !

दुर्लभ  बगला शाबर मन्त्र


ॐ पीत पीतेश्वरी पीताम्बरा बगला परमेश्वरी ऐं जिव्हा स्तम्भनी ह्लीं शत्रु मर्दनी महाविद्या श्री कनकेश्वरी सनातनी क्रीं घोरा महामाया काल विनाशनी पर विद्या भक्षणि क्लीं महा मोह दायनी जगत वशिकरणी ऐ ऐं ह्लूं ह्लीं श्रां श्रीं क्रां क्रीं कलां क्लीं पीतेश्वरी भटनेर काली स्वाहा
रोज 21 बार पढ़ें । लोटे में पानी और हल्दी डालकर मन्त्र 21 बार पढ़े और जाप के बाद पानी केले के पौधे पर अर्पित कर दें । पौधा घर मे गमले में लगा सकते है 21 दिन बाद पौधा किसी मन्दिर या पार्क में लगा दे ।


सर्व कार्य सिद्धि हेतु 
(अत्यंत दुर्लभ भभूत शाबर सिद्ध मन्त्र )

ॐ गुरु जी । भभूत माता भभूत पिता, भभूत पीर उस्ताद । भभूत में लिपटे शंकर शम्भू ,काशी के कोतवाल ।नव नाथों ने भभूत रमाई ।प्रकटी उसमे काली माई ।रिद्धि ल्याई सिद्धि ल्याई काल कंटक को मार भगाई ।अस्तक मस्तक लिंगा कार, मस्तक भभूत जय जय कार ।।भभूति में त्रिदेव विराजे । बजरंगी नाचे गोरख गाजे। खोले भाग्य के बन्द दरवाजे ।। सिद्धो आदेश धुना लगाया । उपजी भभूती मन हर्षाया । भभूती भस्म का जपो जाप । उतरे जन्म जन्म के पाप । आदेश गुरुजी नाथ जी को आदेश भटनेर काली को आदेश ।

इस मंत्र का जाप करके मस्तक पर या शरीर पर भभूत लगाई जाती है । साधना के दौरान बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलती है और पाप कर्म दोष के कारण हो रहे संताप से मुक्ति मिलती है मेरा अनुभूत मन्त्र है जो अभी तक अप्रकाशित था । न्यायालय में निर्दोष जन को राहत की संभावना मिलती है । विजय दायक, भय नाशक मन्त्र है ।
रविशंकर शर्मा हनुमानगढ़ ।। विश्वास ही सर्वोपरि है

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )