Friday, November 22, 2024

शाबर मंत्रो को जगाने का

शाबर मंत्रो को जगाने का पर्याय

अगर बहोत कोशिश करने पर मंत्र जागृत नहीं हो रहे हो तो इस साधना को करके कोई भी साबर मंत्र जग सकते हो आप ..इस साधना को कर इसे सार्थक करे ..( अगर फिर नहीं हुआ तो साबर कल्प्सिद्धि से तो होना ही होना है यह हमारा दावा है ( कल्प्सिद्धि एक विशेष क्रिया है )

मन्त्रः-
ॐ इक ओंकार, सत नाम करता पुरुष निर्मै निर्वैर अकाल मूर्ति अजूनि सैभं गुर प्रसादि जप आदि सच, जुगादि सच है भी सच, नानक होसी भी सच –
मन की जै जहाँ लागे अख, तहाँ-तहाँ सत नाम की रख ।
चिन्तामणि कल्पतरु आए कामधेनु को संग ले आए, आए आप कुबेर भण्डारी साथ लक्ष्मी आज्ञाकारी, बारां ऋद्धां और नौ निधि वरुण देव ले आए ।
प्रसिद्ध सत-गुरु पूर्ण कियो स्वार्थ, आए बैठे बिच पञ्ज पदार्थ ।
ढाकन गगन, पृथ्वी का बासन, रहे अडोल न डोले आसन, राखे ब्रह्मा-विष्णु-महेश, काली-भैरों-हनु-गणेश ।
सूर्य-चन्द्र भए प्रवेश, तेंतीस करोड़ देव इन्द्रेश ।
सिद्ध चौरासी और नौ नाथ, बावन वीर यति छह साथ ।
राखा हुआ आप निरंकार, थुड़ो गई भाग समुन्द्रों पार ।
अटुट भण्डार, अखुट अपार । खात-खरचत, कछु होत नहीं पार ।
किसी प्रकार नहीं होवत ऊना । देव दवावत दून चहूना ।
गुर की झोली, मेरे हाथ । गुरु-बचनी पञ्ज तत, बेअन्त-बेअन्त-बेअन्त भण्डार ।
जिनकी पैज रखी करतार, नानक गुरु पूरे नमस्कार ।
अन्नपूर्णा भई दयाल, नानक कुदरत नदर निहाल ।
ऐ जप करने पुरुष का सच, नानक किया बखान,
जगत उद्धारण कारने धुरों होआ फरमान ।
अमृत-वेला सच नाम जप करिए ।
कर स्नान जो हित चित्त कर जप को पढ़े, सो दरगह पावे मान ।
जन्म-मरण-भौ काटिए, जो प्रभ संग लावे ध्यान ।
जो मनसा मन में करे, दास नानक दीजे दान ।।”..


भक्तों को साधना काल में निम्न नियमों का पालन अनिवार्य है:-
• सर्वश्रेष्ट तो यह है की आप गुरु खोजें और उससे मंत्र प्राप्त करें.
• साधना काल में वाणी का असंतुलन, कटु-भाषण, प्रलाप, मिथ्या वचन आदि का त्याग करें। मौन रहने की कोशिश करें।
• निरंतर मंत्र जप अथवा इष्टत देवता का स्मरण-चिंतन करना जरूरी होता है।
• जिसकी साधना की जा रही हो, उसके प्रति मन में पूर्ण आस्था रखें।
• मंत्र-साधना के प्रति दृढ़ इच्छा शक्ति धारण करें।
• साधना-स्थल के प्रति दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ साधना का स्थान, सामाजिक और पारिवारिक संपर्क से अलग होना जरूरी है।
• उपवास में दूध-फल आदि का सात्विक भोजन लिया जाए।
• श्रृंगार-प्रसाधन और कर्म व विलासिता का त्याग अतिआवश्यक है।
• साधना काल में भूमि शयन ही करना चाहि

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )