Saturday, November 2, 2024

मातृका स्तोत्र Matrika stotram

 मातृका स्तोत्र | Matrika stotram |

मातृका स्तोत्र

गणेश ग्रहनक्षत्र  योगिनीं राशिरुपिणीम् |

देवीं मन्त्रमयीं नौमि मातृकां पीठरूपिणीम् || १ ||


प्रणमामि महादेवीं मातृकां परमेश्वरीम् |

कालहल्लोहलोल्लोलकतना नाशन् करिणीम् || २ ||


यद्क्षरैक मात्रेऽपि संसिद्धे स्पद्धते नरः |

रवितातार्क्ष्येन्द्र कन्दर्पशङ्करानलविष्णुभिः || ३ ||


यदक्षर शशि ज्योत्स्त्रा मण्डितं भुवनत्रयम् |

वन्दे सर्वेश्वरी देवीं महाश्रीसिद्ध मातृकाम् || ४ ||


यदक्षर महासूत्र प्रोतमेतज्जगत् त्रयम् |

ब्रह्मोण्डादि कटाहान्तं तां वन्दे सिद्धमातृकाम् || ५ ||


यदेकादशमाधारं बीजं कोणत्रयोद्भवम् |

ब्रह्माण्डादि कटाहान्तं जगदद्यापि दृश्यते || ६ ||


अकचादि तटोन्नद्ध पयसासर वर्गिणीम् |

ज्येष्ठाङ्गवाहुहृत् पृष्ठकटिपाद निवासिनीम् || ७ ||


तमिकाक्षरोद्धारां सारात्सारा परात्परम् |

प्रणयामि महादेवीं परमानन्दरुपिणीम् || ८ ||


अद्यापि यस्या जानन्ति न मनागपि वेवताः |

केयं कस्मात् क्केनेतिसरूपारूप भावनाम् || ९ ||


वन्दे तामहमक्षय्य मातृकाक्षररुपिणीम् |

देवीं कुल कलोल्लोल प्रोल् लसन्तीं परांशिवाम् || १० ||


वर्गानुक्रम योगेन यस्या मात्राष्टकं स्थितम् |

वन्दे तामष्टवर्गोत्थ महासिद्धाष्टकेश्वरीम् || ११ ||


कामपूर्णज काराद्य श्रीपीठान्तर्निवासिनीम् |

चतुराज्ञा कोशभूतां नौमि श्रीत्रिपुरामहम् || १२ ||

 

|| फलश्रुति ||

इति द्वादशभिश्लोकेः  स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् |

देव्यास्त्व खण्डरूपायाः स्तवनं तव तद्यतः || १३ ||


तोय तत्त्वमयी व्याप्ति रितिसम्यक् प्रदर्शिता |

अस्यानिः फालनाञ्चिते तत्तत्वं स्वात्मसात्कृता || १४ ||


|| अस्तु ||

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विशेष सुचना

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