सर्वापत्ति-निवारक हनुमान-स्तुति
ॐ सीता-राम जानत हों, सीता-राम मानत हों।
सीता-राम पूजत, जपत सीता-राम हों।
सीता-राम सों बसै प्राण, ध्यान धरत सीता-राम अभिराम हों।
सीता-राम तेरे मन की कल्प-तरु,
सीता-राम सों सनेह, सीता-राम को गुलाम हों।
शिखा वज्र, नयन वज्र, तेरो मुख-दन्त वज्र, छाती-भुज पिंग-वज्र।
लाल-लाल दन्त हैं, काया लाल, ग्रीवा लाल,
वसन लंगुर लाल, असन-अधर लाल, लालैं हनुमन्त हैं।
मुकुट लाल, गोफा लाल, चूड़ा-बिजायट लाल,
सेल्ही मञ्जीर लाल, लाल कण्ठ-माल हैं।
कुण्डल-सिर-पेच लाल, कलगी सिर मुकुट लाल,
तोड़ा कमर-बन्दै विशाल हैं।
कण्ठ लाल, तिलक लाल, जंघिया-जनेऊ लाल,
टोपी सिर-पाग लाल, लालै दुसाल हैं।
जामा कर-पहुँची लाल, जिरहें जञ्जीर लाल,
बखर उपन्ना लाल, मुदरिया माल हैं।
शिखा पीर, नयन पीर, तारो मुख-दन्त पीर,
छाती भुज शीश पीर, वज्र पीर भई है।
देव पीर, देवी पीर, दानव-दैत्य पीर,
भूत पीर, जिन्द पीर, राज-रोग गई है।
जादू ज्वर-व्याधि पीर, व्याल-विष महा-वीर वेगि हरौ सकल पीर।
हनुमान की दोहाई।
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