Saturday, November 2, 2024

गरुड़स्तवः Garuda Stava

 गरुड़स्तवः | Garuda Stava |

गरुड़स्तवः


निम्नलिखित मन्त्र जपने से भक्षित स्थावर विष अमृत के समान हो जाता है | 

अन्य विषाक्त अन्नपानादि भी इसके जप से अमृततुल्य हो जाते हैं 


ॐ नमो भगवते गरुड़ाय, महेन्द्ररूपाय पर्वतशिखराकाररुपाय, संहर संहर मोचय मोचय चालय चालय पातय पातय निर्विष विषमप्यमृतं चाहारसदृशं रुपमिदं  प्रज्ञापयामि स्वाहा नमः | नल नल वर वर दुन दुन क्षिप क्षिप हर हर स्वाहा | 

इसके बाद गरुड़स्तोत्र का पाठ करे | 


गरुड़स्तवः 

सुपर्ण  वैनतेयंच नागारिं नागभीषणम् | 

जितान्तकं विषारिंच  अजितं विश्वरुपिणम् || 


गरुत्मन्तं खगश्रेष्ठं तार्क्ष्य कश्यपनन्दनम् | 

द्वादशैतानि नामानि गरुडस्य महात्मनः | 


यः पठेत्प्रातरुत्थाय स्नाने वा शयनेऽपि  वा | 

विषं नाक्रामते तस्य न च हिंसन्ति हिंसकाः || 


संग्रामे व्यवहारे च विजयस्तस्य जायते | 

बन्धनान्मुक्ति माप्नोति यात्रायां सिद्धिरेव च || 

इति गरुड़स्तोत्रम् 



गरुड़ जी के 12 नाम 

ॐ गरुडाय नमः 

१. सुपर्ण, 

२. वैनतेय,

 ३. नागारि,

 ४. नागभीषण,

 ५. जितान्तक, 

६. विषारि,

 ७. अजेय, 

८. विश्वरुपी, 

९. गरुत्मान्, 

१०. खगश्रेष्ठ,

 ११. तार्क्ष्य 

 १२. कश्यपनन्दन 


|| गरुड़ भगवान् की जय || 

इन बारह नामों का जो प्रातःकाल उठ कर पाठ करता है, 

उस पर किसी विष का कुप्रभाव नहीं पड़ता | 

किसी प्रकार का हिंसक जन्तु उसे काटने में समर्थ नहीं होता | 

संग्राम और व्यवहार में उसे विजय प्राप्त होती है | 

इस स्तोत्र के पाठ से बन्धन छूट जाता है, यात्रा में कार्यसिद्धि होती है | 


|| अस्तु || 

No comments:

Post a Comment

विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )