॥ देवी-देवताओं के गायत्री मन्त्र ॥
सरस्वती गायत्री मन्त्रः-
“ॐ ऐं वाग्देव्यै विद्महे कामराजाय धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ ऐं वाग्देव्यै हृदयाय नमः ॥ १ ॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ कामराजाय शिखायै वषट् ॥ ३ ॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥ ४ ॥ ॐ तन्नो देवी नेत्र-त्रयाय वौषट् ॥ ५ ॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥
विष्णु गायत्री मन्त्रः- (प्रथम)
“ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥”
षडङ्गन्यासः-
ॐ श्री विष्णवे च हृदयाय नमः ॥ १ ॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥ २ ॥ ॐ वासुदेवाय शिखायै वषट् ॥ ३ ॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥ ४ ॥ ॐ तन्नो विष्णु नेत्र-त्रयाय वौषट् ॥ ५ ॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥ ६ ॥
विष्णु गायत्री मन्त्रः- (द्वितीय)
“ॐ त्रैलोक्यमोहनाय विद्महे आत्मारामाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः-
ॐ त्रैलोक्यमोहनाय हृदयाय नमः ॥ १ ॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥ २ ॥ ॐ आत्मारामाय शिखायै वषट् ॥ ३ ॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥ ४ ॥ ॐ तन्नो विष्णु नेत्र-त्रयाय वौषट् ॥ ५ ॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥ ६ ॥
विष्णु गायत्री मन्त्रः- (तृतीय)
“ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥”
षडङ्गन्यासः-
ॐ नारायणाय हृदयाय नमः ॥ १ ॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥ २ ॥ ॐ वासुदेवाय शिखायै वषट् ॥ ३ ॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥ ४ ॥ ॐ तन्नो विष्णु नेत्र-त्रयाय वौषट् ॥ ५ ॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥ ६ ॥
लक्ष्मी गायत्री मन्त्रः- (प्रथम)
“ॐ महादेव्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः-
ॐ महादेव्यै च हृदयाय नमः ॥ १ ॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥ २ ॥ ॐ विष्णुपत्न्यै च शिखायै वषट् ॥ ३ ॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥ ४ ॥ ॐ तन्नो लक्ष्मीः नेत्र-त्रयाय वौषट् ॥ ५ ॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥ ६ ॥
लक्ष्मीमन्त्रः- “ॐ क्लीं श्रीं श्रीं लक्ष्मीदेव्यै नमः ॥”
लक्ष्मी गायत्री मन्त्रः- (द्वितीय)
“ॐ महादेवी च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ॥”
अथवा
“ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे महाश्रियै च धीमहि तन्नः श्रीः प्रचोदयात्।”
नारायण गायत्री मन्त्रः-
“ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो नारायणः प्रचोदयात् ॥
षडङ्गन्यासः-
ॐ नारायणाय हृदयाय नम: ॥ १ ॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥ २ ॥ ॐ% वासुदेवाय शिखायै वषट् ॥ ३ ॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो नारायणो नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥
मूलमन्त्र:- “ॐ ह्रीं श्रीं श्रीमन्नाराणाय नमः॥”
श्रीराम गायत्री मन्त्रः-
“ॐ दशरथाय (दाशरथाय) विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात्॥”
विनियोगः- ॐ अस्य श्रीराम गायत्री मन्त्रः-स्य वामदेव ऋषिः गायत्री छन्दः श्रीजानकीवल्लभो देवता श्रीरामेति बीजम् दाशरथायेति शक्तिः। गायत्र्यावाहने जपे विनियोगः।
ऋष्यादिन्यासः- ॐ वामदेवऋषये नमः शिरसि ॥१॥ गायत्री छन्दसे नमः मुखे ॥२॥ श्रीजानकीवल्लभ देवतायै नमः हृदये ॥३॥ श्रीरामेति बीजाय नमः गुह्ये ॥४॥ दाशरथायेति शक्तये नमः पादयोः ॥५॥ विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे॥
षडङ्गन्यासः- ॐ दाशरथाय हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ सीतावल्लभाय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ तन्नो रामः नेत्र-त्रयाय वौषट् ॥५॥ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥
श्रीराम मूल मन्त्रः- “ह्रां ह्रीं रां रामाय नमः॥”
श्रीराम तारक मन्त्रः-“ॐ जानकी-कान्त-तारक रॉं रामाय नमः॥”
जानकी गायत्री मन्त्रः-
“ॐ जनकजायै विद्महे रामप्रियायै धीमहि। तन्नः सीता प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ जनकजायै हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ रामप्रियायै शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नः सीता नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥
सीता-मूल-मन्त्रः- “ॐ सीं सीतायै नमः॥”
लक्ष्मण गायत्री मन्त्रः-
“ॐ दाशरथाय विद्महे अलबेलाय धीमहि तन्नो लक्ष्मणः प्रचोदयात्॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ दाशरथाय हृदयाय नमः ॥ १॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ अलबेलाय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो लक्ष्मणः नेत्र-त्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥१६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मूल-मन्त्र- “ह्रां ह्रीं रॉं रॉ लं लक्ष्मणाय नमः॥”
हनुमट् गायत्री मन्त्रः-
“ॐ अंजनीजाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनुमान् प्रचोदयात्॥”
षडङ्गन्यास:- ॐ अंजनीजाय हृदयाय नम: ॥१॥ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ वायुपुत्राय शिखायै वषट् ॥३॥ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो हनुमान् नेत्र-त्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मूल-मंत्रः- “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रै ह्रौ ह्रः॥”
गरुड गायत्री मन्त्रः- “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे सुवर्णपर्णाय ( तन्त्रान्तरे तु सुवर्णपक्षायेति पाठः ) धीमहि तन्नो गरुडः प्रचोदयात्॥”
षडङ्गन्यास:- ॐ तत्पुरुषाय हृदयाय नम ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ शिखाये वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो गरुडो नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मूलमन्त्रः- “ॐ ग्राँ ग्रीँ ग्रूं ग्रैं ग्रौं ग्रः ॥”
श्रीकृष्ण गायत्री मन्त्रः- ( प्रथम) “ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नः कृष्णः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यास:- ॐ देवकीनन्दनाय हृदयाय नम: ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ वासुदेवाय शिखाये वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नः कृष्ण: नेत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मूलमंत्रः- “ॐ क्लीं कृष्णाय नमः ॥”
श्रीकृष्ण गायत्री मन्त्रः- ( द्वितीय ) “ॐ श्रीकृष्णाय विद्महे दामोदराय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥”
गोपाल गायत्री मन्त्रः- “ॐ गोपालाय विद्महे गोपीजनवल्लभाय धीमहि तन्नो गोपालः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यास:– ॐ गोपालाय हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ गोपीजनवल्लभाय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो गोपालः नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मूल मन्त्रः- “ॐ गोपालाय गोचराय वंशशब्दाय नमोनमः ।”
राधिका गायत्री मन्त्रः- “ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायें धीमहि तन्नो राधिका प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यास:– ॐ वृषभानुजायै हृदयाय नम ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो राधिका नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट्
॥६॥ इसी प्रकार करन्यास करना चाहिये ।
मूल मन्त्रः- “ॐ राँ राधिकायै नमः ॥”
परशुराम गायत्री मन्त्रः- “ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नः परशुरामः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यास:- ॐ जामदग्न्याय हृदयाय नम ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ महावीराय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नः परशुरामो नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मूल मन्त्रः- “ॐ राँ राँ परशुहस्ताय नमः ।”
नृसिंह गायत्री मन्त्रः- (प्रथम) “ॐ उग्रनृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि तन्नो नृसिंहः प्रचोदयात्॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ उग्रनृसिंहाय हृदयाय नमः ॥ १ ॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥ २ ॥ ॐ वज़नखाय शिखा वषट् ॥ ३ ॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥ ४ ॥ ॐ तन्नोः नृसिंह नेत्रत्रयाय वौषट् ॥ ५ ॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥ ६ ॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मूलमन्त्रः- “ॐ नृँ नृँ नृँ नृसिंहाय नमः॥”
नृसिंह गायत्री मन्त्रः- (द्वितीय) “ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्णष्ट्रांय धीमहि तन्नो नारसिंहः प्रचोदयात् ॥”
हयग्रीव गायत्री मन्त्रः- “ॐ वागीश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि। तन्नो हंसः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ वागीश्वराय हृदयाय नम: ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ हयग्रीवाय शिखाये वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो हंसः नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।
शिव गायत्री मन्त्रः- “ॐ महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धीमहि तन्नः शिवः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ महादेवाय हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ रुद्रमूर्तये शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नः शिवः नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।
मूलमन्त्रः- “ॐ सं सं सं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ॐ शिवाय नमः ॥”
रुद्र गायत्री मंत्रः- “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ तत्पुरुषाय हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ महादेवाय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो रुद्रः नेत्रत्रयाय बौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
दक्षिणामूर्ति गायत्री मन्त्रः- “ॐ दक्षिणामूर्तये विद्महे ध्यानस्थाय धीमहि तन्नो धीशः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ दक्षिणामूर्तये हदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ ध्यानस्थाय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो धीशः नेत्रत्रयाय बौषट् ॥५॥ : ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
गौरी गायत्री मन्त्रः- “ॐ सुभगायै च विद्महे काममालायै धीमहि तन्नो गौरी प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः– ॐ सुभगायै हृदयाय नम: ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ काममालायै शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो गौरी नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मूलमन्त्रः- “ॐ क्लीं ॐ गौं गौरीभ्यो नमः॥”
गणेश गायत्री मन्त्रः- “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यास:- ॐ तत्पुरुषाय हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ वक्रतुण्डाय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो दन्तिः नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास करना चाहिये ।
षण्मुख गायत्री मन्त्रः- “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महासेनाय धीमहि तन्नः षण्मुख प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ तत्पुरुषाय हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ महासेनाय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नः षण्मुखः नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
नन्दी गायत्री मन्त्रः- “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे चक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो नन्दिः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ तत्पुरुषाय हृदयाय नम: ॥१॥ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ चक्रतुण्डाय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो नन्दिः नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
सूर्य गायत्री मन्त्रः- (प्रथम) “ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय (तन्त्रान्तरे तु महाद्युतिकरायेति पाठः) धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ भास्कराय हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ महातेजाय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नः सूर्यः नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मूलमन्त्रः- (1) “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रः ॐ विष्णु तेजसे ज्वाला-मणि-कुण्डलाय स्वाहा ॥” (2) “ॐ खखोल्काय स्वाहा ॥”
सूर्य गायत्री मन्त्रः- (द्वितीय) “ॐ आदित्याय विद्महे मार्तण्डाय धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात् ॥”
सूर्य गायत्री मन्त्रः- (तृतीय) “ॐ खखोल्काय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥” (भविष्यपुराण)
सूर्य गायत्री मन्त्रः- (चतुर्थ) “ॐ आदित्याय विद्महे विश्वभागाय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥” (भविष्यपुराण)
सूर्य गायत्री मन्त्रः- (पञ्चम) “ॐ भास्कराय विद्महे सहस्ररश्मिं धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥” (भविष्यपुराण)
चन्द्र गायत्री मन्त्रः- “ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहि तन्नश्चन्द्रः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ क्षीरपुत्राय हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ अमृततत्त्वाय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नश्चन्द्रः नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।
मूलमन्त्रः- “ॐ चन्द्रत्त्वां चन्द्रेण क्रीणामि शुक्रेण मृतममृतेनगोरस्मोरतेचन्द्राणि ॥”
भौम गायत्री मन्त्रः- “ॐ अङ्गारकाय विद्महे शक्ति-हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ अङ्गारकाय हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ शक्ति-हस्ताय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो भौमः नेत्रत्रयाय बौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मूलमन्त्रः- “ॐ अं अङ्गारकाय नमः ॥”
पृथ्वी गायत्री मन्त्रः- “ॐ पृथिवीदेव्यै च विद्महे सहस्त्रमूर्त्यै च धीमहि तन्नो मही प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यास:- ॐ पृथिवीदेव्यै च हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ सहस्त्रमूर्त्यै च शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नोमहीं: नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मूलमन्त्रः- “ॐ भूरसिभूतादिरसिश्विस्यधायाभुवनस्यमाहिंसीर्नमः ॥”
अग्नि गायत्री मन्त्रः- (प्रथम) “ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्नि-मध्याय धीमहि तन्नोऽग्निः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ महाज्वालाय हृदयाय नम: ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ अग्नि-मध्याय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नोऽग्निः नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मूलमन्त्रः- “ॐ अं अं अग्नयेः नमः ॥”
अग्नि गायत्री मन्त्रः- (द्वितीय) “ॐ वैश्वानराय विद्महे लालीलाय धीमहि। तन्नोऽग्निः प्रचोदयात् ॥”
जल गायत्री मन्त्रः- “ॐ जलविम्बाय विद्महे नील-पुरुषाय धीमहि तन्नस्वम्बु प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ जलविम्बाय हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ नील-पुरुषाय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नस्वम्बु नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मूलमन्त्रः- “ॐ जँ जँ ॐ वँ वँ ॐ लँ लँ ॐ जलविम्बाय नमः ॥”
आकाश गायत्री मन्त्रः- “ॐ आकाशाय च विद्महे नभोदेवाय धीमहि तन्नो गगनं प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यास:- ॐ आकाशाय हृदयाय नम: ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ नभोदेवाय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो गगनं नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।
मूलमन्त्रः- “ॐ गँ गँ ॐ नँ नँ ॐ आँ आँ ॐ गगनाय नमः ॥”
पवन वायु) गायत्री मन्त्रः- “ॐ पवन-पुरुषाय विद्महे सहस्त्र-मूर्तये च धीमहि। तन्नो वायुः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ पवन-पुरुषाय हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ सहस्त्रमूर्तये च शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो वायुः नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मूलमन्त्रः- “ॐ पँ पँ ॐ वाँ वाँ ॐ युँ युँ ॐ पवनपुरुषाय नमः ॥”
इन्द्र गायत्री मन्त्रः – “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे सहस्त्राक्षाय धीमहि । तन्न इन्द्रः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ तत्पुरुषाय हृदयाय नम: ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ सहस्त्राक्षाय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्न इन्द्रः नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
काम गायत्री मन्त्रः – “ॐ मन्मॐशाय विद्महे कामदेवाय धीमहि तन्नोनङ्ग प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यास:- ॐ मन्मॐशाय हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ कामदेवाय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नोङ्गः : नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
द्वितीय काम गायत्री मन्त्रः- “ॐ कामदेवाय विद्महे पुष्पवाणाय धीमहि तन्नोङ्गः प्रचोदयात् ॥”
गुरु गायत्री मन्त्रः- “ॐ गुरुदेवाय विद्महे परब्रह्माय धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ गुरुदेवाय हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ परब्रह्माय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो गुरुः नेत्रत्रयाय बौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मूलमन्त्रः- “ॐ हुँ सँ क्राँ सौः गुरुदेवपरमात्मने नमः ॥”
तुलसी गायत्री मन्त्रः- “ॐ श्रीत्रिपुराय हृदयाय तुलसीपत्राय धीमहि तन्न तुलसी प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यास:- ॐ श्रीत्रिपुराय हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ तुलसीपत्राय शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्न तुलसी नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
देवी गायत्री मन्त्रः- “ॐ देव्यब्रह्माण्ये विद्महे महाशक्त्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ देव्याब्रह्माण्ये हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ महाशक्त्यै शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मूलमन्त्रः- “ॐ ह्राँ श्रीं क्लीं नमः ॥”
शक्ति गायत्री मन्त्रः- “ॐ सर्व-सम्मोहिन्यै विद्महे विश्वजनन्यै धीमहि । तन्नः शक्तिः प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ सर्व-सम्मोहिन्यै हदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ विश्वजनन्यै शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नः शक्तिः नेत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
दुर्गा गायत्री मन्त्रः- “ॐ कात्यायन्यै विद्महे कन्याकुमार्यै धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ कात्यायन्यै हृदयाय नम: ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ कन्याकुमार्यै शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो दुर्गाः नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
द्वितीय दुर्गा गायत्री मन्त्रः- “ॐ महादेव्यै च विद्महे दुर्गायै च धीमहि तन्नो देवि प्रचोदयात् ॥”
जय-दुर्गा गायत्री मन्त्रः- “ॐ नारायण्यै च विद्महे दुर्गायै च धीमहि तन्नो गौरी प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ नारायण च हदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ दुर्गायै च शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो गौरी नेत्रत्रयाय बौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
अन्नपूर्णा गायत्री मन्त्रः- “ॐ भगवत्यै च विद्महे माहेश्वर्य्यै च धीमहि तन्नोऽन्नपूर्णा प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ भगवत्यै च हृदयाय नम: ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ माहेश्वर्य्यौ च शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नोऽन्नपूर्णा नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
काली गायत्री मन्त्रः- “ॐ कालिकायै विद्महे श्मशानवासिन्यै धीमहि। तन्नोऽघोरा प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ कालिकायै हृदयाय नमः ॥ १॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ श्मशानवासिन्यै शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नोऽघोरा नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
तारा गायत्री मन्त्रः- “ॐ तारायै च विद्महे महोग्रायै च धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ तारायै च हृदयाय नम: ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ महोग्रायै च शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
षोडशी (त्रिपुरसुन्दरी ) गायत्री मन्त्रः- “ॐ ऐं त्रिपुरादेव्यै विद्महे क्लीं कामेश्वर्यै धीमहि सौस्तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ ऐं त्रिपुरादेव्यै हदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ क्लीं कामेश्वर्यै शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ सौस्तन्नः क्लिन्ने नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
द्वितीय त्रिपुरासुन्दरी गायत्री मन्त्रः- “ॐ क्लीं त्रिपुरादेव्यै विद्महे कामेश्वरी धीमहि तन्नः विलन्ने प्रचोदयात् ॥”
तृतीय त्रिपुरासुन्दरी गायत्री मन्त्रः- “ॐ ऐं वागीश्वर्यै विद्महे क्लीं कामेश्वर्यै धीमहिय्यै सोस्तन्नः शक्तिः प्रचोदयात् ॥” इति षोडशीभेदेन बाला गायत्री मन्त्र
भुवनेश्वरी गायत्री मन्त्रः- “ॐ नारायण्यै च विद्महे भुवनेश्वर्यै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ नारायण्यै च हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ भुवनेश्वर्यै शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
भैरवी गायत्री मन्त्रः- “ॐ त्रिपुरायै च विद्महे भैरव्यै च धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ त्रिपुरायै च हदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ भैरव्यै च शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
छिन्नमस्ता गायत्री मन्त्रः- “ॐ वैरोचन्यै च विद्महे छिन्नमस्तायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ वैरोचन्यै च हृदयाय नम: ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥7॥ ॐ छिन्नमस्तायै शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय बौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
धूमावती गायत्री मन्त्रः- “ॐ धूमावत्यै च विद्महे संहारिण्यै च धीमहि तन्नो धूमा प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ धूमावत्यै च हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ संहारिण्यै च शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो धूमा नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।
बगलामुखी गायत्री मन्त्रः- “ॐ बगलामुख्यै च विद्महे स्तम्भन्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ बगलामुख्यै च हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ स्तम्भिन्यै च शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय बौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
मातङ्गी गायत्री मन्त्रः- “ॐ मातङ्गयै च विद्महे उच्छिष्टचाण्डाल्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ मातङ्गयै च हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ उच्छिष्टचाण्डाल्यै च शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये ।
महिष-मर्दिनी गायत्री मन्त्रः- “ॐ महिषमर्द्दिन्यै विद्महे दुर्गायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ महिषमर्द्दिन्यै हृदयाय नमः ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ दुर्गा शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना वाहिये।
त्वरिता गायत्री मन्त्रः- “ॐ त्वरिता देवी विद्महे महानित्यायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥”
षडङ्गन्यासः- ॐ त्वरिता देवी हृदयाय नम: ॥१॥ ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा ॥२॥ ॐ महानित्यायै शिखायै वषट् ॥३॥ ॐ धीमहि कवचाय हुम् ॥४॥ ॐ तन्नो देवी नेत्रयाय वौषट् ॥५॥ ॐ
प्रचोदयादस्त्राय फट् ॥६॥ इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
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