Saturday, September 11, 2021

MANTRI RAJNITIK POLITICS YOG मंत्रि योंग विशिष्ट राजनीतिक योग

MANTRI RAJNITIK POLITICS YOG मंत्रि योंग  विशिष्ट राजनीतिक योग

 

जन्म कुंडली में ऐसे विशिष्ट योग होते हैं। जिस कारण जातक गरीब परिवार में पैदा होकर भी वह राजा होता है। आज के परिपेक्ष में भी  ऐसे विशिष्ट योग है। जिसके कारण जातक राज्य या देश के सर्वोच्च राजनीतिक पदों को प्राप्त करता है। तो आइए जानते हैं वे कौन से योग हैं?

 

१, मेष लग्न की जन्म कुंडली में शुक्र उच्च राशिस्थ ग्रहो की दृष्टि होने से जातक राज्य का शिक्षा मंत्री होता है।

२, मेष लग्न की जन्म कुंडली में मंगल गुरु की यूति से जातक राज्य का गृहमंत्री अथवा देश का विदेश मंत्री होता है। अथवा मेष लग्न की जन्म कुंडली में मंगल लग्न में स्थित हो और गुरु चतुर्थ भाव में स्थित हो तब भी गृहमत्रीअथवा विदेश मंत्रि योंग का निर्माण होता है।

३, मेष लग्न की जन्म कुंडली में शुक्र नवम भाव में स्थित हो सूर्य मंगल और शनि उच्च राशिस्थ मूल त्रिकोण में विद्यमान हो तो रक्षा मंत्री का योग बनता है।

४, मेष लग्न की जन्म कुंडली में लग्न में मंगल, चतुर्थ में चंद्रमा, और दशम भाव में शुक्र स्थित होने पर उच्च शासन अधिकारी योग का निर्माण करते हैं।

५, मकर लग्न की जन्म कुंडली में तृतीय भाव में शुक्र उच्च राशि स्थ हो तो जातक राज्य का सर्वोच्च अधिकारी अथवा राज्यपाल होता है।

६, मकर लग्न में शनि ,तुला में शुक्र ,सिंह में सूर्य , कर्क में चंद्रमा उच्च अंशों में हो तो जातक देश का सर्वोच्च पद अर्थात राष्ट्रपति पद प्राप्त करता है।

 ७, यदि जन्म कुंडली में शुक्र व गुरु उच्च राशि गत होकर केंद्र में स्थित हो तो जातक मंत्री मुख्यमंत्री व राज्यपाल होता है।

८, जन्म कुंडली में यदि शनि व गुरु के मध्य सभी ग्रह स्थित हो और शनि और गुरु योगकारक हो तो उस स्थिति में जातक को नृप तुल्य सुख व पद प्राप्त होता है।

९, कर्क राशि में चंद्रमा गुरु का योग यदि केंद्र त्रिकोण में बनता है तो जातक राजनीतिक क्षेत्र में अच्छा पद प्राप्त करता है।

१०, कन्या लग्न की जन्म कुंडली के लग्न में बुध, चतुर्थ में चंद्रमा गुरु और पंचम में मंगल स्थित होने से जातक राजनीति के क्षेत्र में अच्छी सफलता प्राप्त करता है। ऐसा जातक मंत्री पद तक प्राप्त करता है।

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )