Wednesday, September 29, 2021

SURYA KO BALI KARNE KE UPAY सूर्य को बलि करने के उपाय

SURYA KO BALI KARNE KE UPAY सूर्य को बलि करने के उपाय



सूर्य को ग्रहों का राजा माना गया है। कुंडली में इसके निर्बल होने से व्यक्ति आर्थिक समस्या से ग्रस्त हो जाता है शरीर में दाद खाज कुष्ठ चर्म रोग हो जाता है। किसी न किसी कारण से सरकार से दंड मिलता है। आँखे कमजोर कर देता है। इसके अशुभ फलों को शुभ फलों में बदलने के लिए प्रस्तुत है तंत्र मंत्र यंत्र व दान सहित उपाय -
दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए।
दानः- बछड़े समेत गाय का दान, गुड़, सोना, तांबा और गेहूं सूर्य रत्न माणक का दान
लाल कपड़े में गेहूँ , गुड़ , लाल पुष्प , ताम्बे का टुकड़ा , और दक्षिणा रखकर रविवार को प्रातः काल हनुमान जी के मंदिर में ब्राह्मण को दान करें। 
 
 सूर्य ग्रह की शांति के लिए रविवार के दिन व्रत करना चाहिए। 
गाय को गेहुं और गुड़ मिलाकर खिलाना चाहिए। किसी ब्राह्मण अथवा गरीब व्यक्ति को गुड़ की खीर खिलाने से भी सूर्य ग्रह के विपरीत प्रभाव में कमी आती है।
अगर आपकी कुण्डली में सूर्य कमजोर है तो आपको अपने पिता एवं अन्य बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। प्रात उठकर सूर्य नमस्कार करने से भी सूर्य की विपरीत दशा से आपको राहत मिल सकती है।
प्रतिदिन ताम्बे के लोटे में पानी , कुंकुम , चावल , लाल पुष्प आदि डाल कर प्रातः काल जल चढ़ाये।
सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठकर लाल पुष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।
रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रातःकाल उसे पीना चाहिए।
ताँबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण किया जा सकता है।
लाल गाय को रविवार के दिन दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूँ भरकर खिलाने चाहिए। गेहूँ को जमीन पर नहीं डालना चाहिए।
किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य पर जाते समय घर से मीठी वस्तु खाकर निकलना चाहिए।
हाथ में मोली (कलावा) छः बार लपेटकर बाँधना चाहिए।
लाल चन्दन को घिसकर स्नान के जल में डालना चाहिए।
प्रातः काल की धूप में बैठकर आदित्य ह्रदय स्त्रोत के ११ पाठ करें।
हस्त नक्षत्र युक्त रविवार को आकड़े की लकड़ी से ॐ घृणी सूर्याय नमः मंत्र से १०८ आहुति का हवन कर  

रविवार को बिजली से चलने वाली इस्त्री , स्टोव , हीटर , आदि का दान करें।
प्रतिदिन सूर्य पुराण का पाठ करे।
रविवार को सब्जी में हरी सब्जी का उपयोग करें और सेंधा नमक का उपयोग करें।
सूर्य के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु रविवार का दिन, सूर्य के नक्षत्र (कृत्तिका, उत्तरा-फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा) तथा सूर्य की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
सूर्यः- मानव शरीर में नेत्र, हड्डी, हृदय, तथा पेट का कारक है। स्वभाव से उग्र है। इसकी धातु तांबा और रत्न माणक है। अंगुलियों में अनामिका पर इसका अधिकार है।
सूर्य गायत्री मंत्र- ओम आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्न सूर्यो प्रचोदयात।
सूर्य मंत्र- ओम ह्नां ह्नीं ह्नौं सः सूर्याय नमः
सूर्य मंत्र के 7000 जाप होते है। जो कि किसी योग्य ब्राहमण से करवाने चाहिये। इसके अलावा आप भी प्रतिदिन कम से कम एक माला अवश्य जपें।
सूर्य की हवन समिधा आकडे की जड है। जिसे रविवार को सूर्य की होरा में लाल कपडे में सिलकर पुरूष दाहिनी बांह पर और स्त्री बायीं बांह पर बांधे। 
शरीर में सूर्य नेत्र , हड्डी , ह्रदय , और पेट का कारक है। यह उग्र स्वभाव का है। इसकी धातु ताम्बा है। और रत्न माणक है। पोटा माणक भी अपना प्रभाव दिखाता है। इसे ताम्बे की अंगूठी में अनामिका अंगुली में पहना जाता है।
 
प्रतिवर्ष चार महारात्रियाँ आती है। ये है - होली , दीवाली, कृष्ण जन्माष्टमी , और शिव रात्रि। इनके आलावा सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण ,नवरात्र , आदि में सूर्य यंत्र को सिद्ध करने का सर्वोत्तम समय होता है।
 इस समय में भोजपत्र पर अष्टगंध तथा अनार की टहनी से बनी कलम से ग्रह यंत्र लिखकर पौराणिक या बीज मंत्र के जाप करके इन्हें सिद्ध किया जा सकता है। सिद्ध होने पर उसे ताबीज में डाल कर गले में या दाई भुजा पर पहना जा सकता है।
 इससे सूर्य ग्रह जनित अशुभ फल नष्ट होते है. तथा शुभ फलों में वृद्धि होती है। जो लोग राजयोग या सरकारी नौकरी में जाना चाहते है। उनके लिए सूर्य का बली होना आवश्यक है। 
 इन उपायों से वे अपनी कुंडली में सूर्य जो प्रबल करके राजयोग प्राप्ति की सम्भावना को प्रबल कर सकते है।
इसके अलावा ताम्बे का सूर्य यंत्र लेकर प्रतिदिन पूजा करके सूर्य के मंत्र का जाप करने से भी सूर्य के शुभ फल मिलने लग जाते है। 


प्रतिदिन सूर्य स्तोत्र का पाठ करने से भी सूर्य देव जल्दी प्रसन्न होते है।
 
 सूर्य स्तोत्र

आदित्य प्रथमं नाम द्वितीयं तु दिवाकरः।
तृतीयं भास्करः प्रोक्तं चतुर्थं तु प्रभाकरं।।१।।
पंचमं तु सहस्त्रांशु षष्ठं त्रैलोक्य लोचनः।
सप्तमं हरिदशवश्व अष्टमं च विभावसुः।।२।।
नवमं दिनकरः प्रोक्तो दशमं द्वादशात्मकः।
एकाशं त्रयोमूर्तिः द्वादशं सूर्य एव च।.३।
द्वादशादित्य नामानि प्रातः काले पठेन्नरः।
दुः स्वप्न नाशनं चौव सर्वं दुखश्च नश्यति।।४।

क्या न करें
आपका सूर्य कमजोर अथवा नीच का होकर आपको परेशान कर रहा है अथवा किसी कारण सूर्य की दशा सही नहीं चल रही है तो आपको इधर उधर थूकना नहीं चाहिये। अपने सिर पर जूठे हाथ नहीं लगाने चाहिये। गेहूं और गुड़ का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा आपको इस समय तांबा धारण नहीं करना चाहिए अन्यथा इससे सम्बन्धित क्षेत्र में आपको और भी परेशानी महसूस हो सकती है।

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