PITR DOSH NIVARAN UPAY पितृदोष निवारण उपाय
१, यदि किसी
जातक की जन्मकुंडली में पितृदोष बन रहा हो तो ऐसे जातक को अपने भवन कि दक्षिण दीवार
पर अपने पितृ जनों की फोटो लगाकर उस पर पुष्टाहार चढावे तथा नित्य पूजा अर्चन करें।
ऐसा करने से निश्चित रूप से जातक के जीवन में पित्र दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
२, अपने पित्रृ
जनों की पुण्यतिथि पर यथाशक्ति ब्राह्मण भोज करावे तथा जरूरतमंदों को दान अवश्य करें।
३, पीपल के
पेड़ पर जल पुष्प अक्षत चंदन व कच्चा दूध चढ़ावे
और पित्रृ शांति की प्रार्थना करें।
४, संध्या के
समय अपने पितरों के निमित्त घर के परिंडे में दीपक जलावे।
५, प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव के ऊपर कच्चा दूध
चढ़ावे व महामृत्युंजय मंत्र की माला का जाप करें।
६, पितृरो की
शांति के लिए घर पर श्रीमद् भागवत का मूल पाठ अथवा श्रीमद भगवत गीता का पाठ करें।
७, यदि जन्म
कुंडली में सूर्य के कारण पित्र दोष बनना है तो 5 रत्ती का शुद्ध माणिक्य धारण करें।
८, पंचमुखी
रुद्राक्ष धारण करें और नित्य ओम नमः शिवाय की माला का जाप करें।
९, नित्य गौमाता
को गुड व रोटी खिलाएं।
१०, यदि जन्म
कुंडली में मंगल कृत पितृदोष बन रहा हो तो 11 मंगलवार का व्रत करें व हनुमान जी अथवा
भगवान शिव की उपासना करें।
११, तीन मुखी
रुद्राक्ष धारण करें।
१२, लाल मुंह
वाले बंधुओं को गुड़ व चना खिलावे।
१३, मंगल कृत
पित्र दोष निवारण के लिए पांच रत्ती मूंगा
रत्न धारण करें।
१४, अपनी बहनों
का कभी भी भूलकर अपमान नहीं करे।
१५, मंगल कृत
पित्र दोष निवारण के लिए यथा शक्ति रक्तदान भी कर सकते हैं।
१६, श्राद्ध
पक्ष में तीर्थ स्थान पर जाकर अपने पितरों की पुण्यतिथि पर उनका श्राद्ध व पिंड प्रदान
अवश्य कराएं।
१७, अमावस्या
तिथि को अपने ज्ञात मित्र जनों को खीर पुरी का भोग अवश्य लगाएं।
१८, घर पर किसी
भी उत्सव में अपने पितृ जनों को अवश्य याद करें।
१९, अपने घर
के बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें, उनका भूल
कर भी अपमान नहीं करें।
२०, श्राद्ध पक्ष में पुण्यतिथि पर श्राद्ध से निकाले।
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