BHUT PRET GHOST PIDA YOG भूत प्रेत पीड़ा योग
१, यदि किसी
जातक की जन्मकुंडली में लग्न में चंद्रमा राहु से ग्रस्त हो तथा लग्न से पंचम और नवम
में मंगल शनि विद्यमान हो, तो जातक निश्चित रूप से पीसाची पीड़ा से जीवन में परेशान रहता है।
२, यदि जातक
की जन्म कडली में लग्न पर मंगल की दृष्टि हो और षष्टेश लग्न, सप्तम अथवा दशम भाव में
विद्यमान हो तो जातक के जीवन में जादू टोना तांत्रिक क्रिया का प्रभाव रहता है।
३, इसी प्रकार
से लग्नेश मंगल के साथ लग्न में अथवा केंद्र के किसी भी भाव में विद्यमान हो तथा षष्मेश
लग्न में स्थित हो तब भी जातक के जीवन में तांत्रिक क्रियाओं का प्रभाव रहता है। ऐसे
जातक के जीवन में तांत्रिक परेशानी रहती है।
४, यदि बृहस्पति
जन्म कुंडली के लग्न, चतुर्थ अथवा दशम भाव में विद्यमान हो तथा दशम भाव में मांदि स्थित
हो तो ऐसे जातक के जीवन में देव कृपा होती है और उसे संत प्रेत अथवा किसी महान आत्मा
के दर्शन होते हैं।
५, यदि जन्म
कुंडली में शनि सप्तम भाव में स्थित हो और कोई शुभ ग्रह चर राशि गत होकर लग्न में स्थित
हो तथा चंद्रमा पाप ग्रह से दृष्ट हो तो ऐसा जातक जीवन में भूत प्रेत पिशाच का दर्शन
करता है। जिस कारण से वह दुखी और पीड़ित होता
है।
६, यदि जन्म
कुंडली में शनि और राहु लग्न में विद्यमान हो तो जातक को भूत बाधा होती है।
७, इसी प्रकार
से लग्न में चंद्रमा के साथ राहु विद्यमान हो और त्रिकोण में मंगल शनि विद्यमान हो
तब भी जातक के जीवन में भूत प्रेत पिशाच के कारण परेशानी रहती है।
Note-:
यदि आप भी इसी प्रकार की किसी समस्या से परेशान है। तो समस्या समाधान के लिए व्यक्तिगत रूप से संपर्क करके अपनी समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
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