Sunday, September 12, 2021

DHAN PRAPTI YOG धन प्राप्ति योग

DHAN PRAPTI YOG धन प्राप्ति योग

 यदि किसी भी जातक की जन्म कुंडली में पंचम भाव का स्वामी पंचम भाव में तथा नवम भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो अथवा पंचमेश और नवमेश की परस्पर दृष्टि संबंध हो तो महा लक्ष्मी प्राप्ति का योग बनता है क्योंकि जन्म कुंडली में पंचम भाव और नवम भाव लक्ष्मी के भाव होते हैं ।अतः यदि उपयुक्त स्थिति जातक की जन्म कुंडली बनती है तो वह जातक अपने जीवन में बहुत अधिक धनवान होता है। तथा उसके जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। ऐसा व्यक्ति अपने बाहुबल से व्यापार स्थापित करता है। तथा विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाता है। इस प्रकार जन्म कुंडली विश्लेषण के समय हमें पंचम भाव और पंचम भाव के स्वामी तथा नवम भाव और नवम भाव के स्वामी की स्थिति का विचार अवश्य करना चाहिए क्योंकि इन दोनों ही भावों की स्थिति से जातक के जीवन में धन की स्थिति की सम्यक जानकारी काफल हमें प्राप्त होता है।

 

तो आइए इस योग को एक उदाहरण कुंडली से समझते हैं।

 

DHAN PRAPTI YOG

 यह कुंडली एक बहुत ही बड़े बिजनेसमैन की है जिनका कारोबार देश विदेशों में फैला हुआ है। इस कुंडली में पंचम भाव का स्वामी गुरू एकादश भाव में और नवम भाव का स्वामी चंद्रमा तीसरे भाव में विद्यमान है चंद्रमा पर बृहस्पति की पूर्ण पांचवी दृष्टि है और इन दोनों का दृष्टि संबंध होने के कारण यह योग बनता है। साथ ही चंद्रमा तीसरे भाव में बैठ कर के अपने भाव को संपूर्ण दृष्टि से देख रहा है उसी प्रकार से बृहस्पति ग्यारहवें भाव में बैठकर करें अपने पंचम भाव को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है। जिसके चलते उन्होंने अपने जीवन में एक सामान्य परिवार में जन्म लेकर के अपने जीवन में बहुत अधिक धन अर्जित किया है।

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विशेष सुचना

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