Sunday, September 12, 2021

JANAM KUNDLI JANAM PATRI KYA HAI जन्म कुंडली क्या है ?

JANAM KUNDLI JANAM PATRI KYA HAI जन्म कुंडली क्या है ?


भारतीय सनातन धर्म शास्त्रो के अनुसार मनुष्य अपने पूर्व जन्म के संचित कर्मों के अनुसार शुभ अशभ कर्मों का फल इस जन्म में भोगता है। जैसा हम संसार में देखते हैं कि एक मनुष्य तो इतना धनवान होता है कि उसे धन की कोई चिंता नहीं होती है और दूसरा मनुष्य इतना निर्धन होता है कि उसे एक वक्त का भोजन भी नसीब नहीं होता है। कोई व्यक्ति शरीर से स्वस्थ और हष्ट-पुष्ट होता है और दूसरा व्यक्ति शरीर से दिन हीन व अस्वस्थ होता है। इन सब के पीछे मनुष्य के प्रारब्ध के कर्म व वर्तमान के कर्म होते हैं। इस प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि मनुष्य अपने इस जीवन काल में पूर्व जन्म के संचित कर्मों का फल भोगने के साथ-साथ इस जन्म के कर्मों का फल भी भोगता है।

अतः भारतीय सनातन ग्रंथों ने ज्योतिष शास्त्र को वेदों का चक्षु कहा  है। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र की गणना के द्वारा ही मनुष्य के भूत भविष्य वर्तमान का अनुभव व दर्शन कर सकते हैं। इस प्रकार ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य के भूत भविष्य का ज्ञान करने के लिए जन्म कुंडली का निर्धारण करना होता है। जिसके द्वारा ज्योतिष शास्त्रीय सूत्रों से जातक के भूत भविष्य वर्तमान का अध्ययन किया जाता है। अतः कहा जा सकता है कि जन्म कुंडली जातक के भूत भविष्य वर्तमान के कर्मों का दर्पण होती है।

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