Sunday, September 12, 2021

SURY KA GOCHAR PHAL सूर्य का गोचर फल

SURY KA GOCHAR PHAL सूर्य का गोचर फल

 

गोचर कुंडली में सूर्य का द्वादश भाव में फल -:

१, जातक की जन्मकुंडली के चंद्र लग्न में गोचर वश जब सूर्य लग्न में आता है। तो शारीरिक व मानसिक व्यथा, बंधुओं में मन-मुटा, भोजन की दिनचर्या में अस्तव्यस्त का होना, व्यर्थ के कार्यों में भागदौड़ का होना, उदर पीड़ा का होना मुख्य रूप से देखा जाता है।

२, जब चंद्र लग्न के दूसरे भाव में सूर्य गोचर में भ्रमण करता है। तो जातक कि दुर्जनो के साथ संगति, नीच स्वभाव, नेत्र पीड़ा, कार्य क्षेत्र में हानि व मानसिक व्यथा को देने वाला होता है।

३, जब गोचर कुंडली में सूर्य तीसरे स्थान में गोचर करता है तो जातक को रोगों से मुक्ति ,पराक्रम में वृद्धि ,शत्रुओं पर विजय, सामाजिक मान प्रतिष्ठा में वृद्धि, पुत्र का सुख, व लाभ प्राप्ति कराने वाला होता है।

४, गोचर कुंडली में जब सूर्य चतुर्थ भाव में गोचर करता है तो घर परिवार के सुखों में कमी, मान सम्मान में न्यूनता, माता से अनबन, भूमि व वाहन के सुख में कमी, मान प्रतिष्ठा में कमी को प्रदान करता है।

५, गोचर का सूर्य जब पंचम भाव में गोचर करता है तो कुत्सित मानसिकता, आसक्ति व मन की व्यथा देने वाला होता है। इस प्रकार मित्रों से मनमुटाव, दीनता रोग व मानसिक तनाव को देने वाला होता है।

६, सूर्य जब गोचर वश षष्टम भाव में आता है। तो जातक को धन प्राप्ति, ऋण रोग से मुक्ति, सुख में वृद्धि, स्वास्थ्य लाभ ,शत्रुओं का नाश, अन्न-धन में वृध्दि, सुख संसाधनों की प्राप्ति, रुके हुए कार्यों की सिद्धि कराने वाला होता है।

 ७, गोचर में जब सूर्य सप्तम भाव में गोचर करता है तो जातक के दांपत्य जीवन में उथल-पुथल करने वाला होता है। उदर आदि रोग उत्पन्न कराने वाला तथा मानसिक तनाव प्रदान करने के साथ-साथ मन में भ्रम उत्पन्न करता है। रोज मरे की दिनचर्या को अस्त-व्यस्त बनाता है।

८, सूर्य का गोचर वश अष्टम भाव में आने पर जातक को अपने बुरे कर्मों का फल भोगना पड़ता है। बुखार  स्वास आदि रोगों से पीड़ित कराता है। शत्रुओं से झगड़ा, व्यर्थ के कार्यों में धन खर्च, दांपत्य जीवन में मनमुटाव होता है।

९, नवम भाव में सूर्य के गोचर करने से जातक के जीवन में मानसिक अवसाद, मिथ्या अपवाद, चरित्र पर लांछन, व्यर्थ के कार्यों में धन खर्च, पिता के स्वास्थ्य में कमी, तथा मानसिक अशांति प्रदान करने वाला होता है।

१०, सूर्य का दशम भाव में गोचर करने से जातक को मान सम्मान की प्राप्ति, राजकीय कार्यों में सफलता, धन की प्राप्ति, कार्य क्षेत्र में सफलता, इष्ट मित्रों का सुख, स्वास्थ्य लाभ, इत्यादि की प्राप्ति करने वाला होता है।

११, जब सूर्य गोचर करता हुआ एकादश भाव में आता है। तो जातक को सभी प्रकार के कार्यों से  लाभ प्राप्ति कराने वाला होता है। मान सम्मान में वृद्धि, नवीन पद की प्राप्ति, सुख के संसाधनों में वृद्धि,ऐश्वर्य की प्राप्ति कराने वाला होता है।

१२, द्वादश भाव में सूर्य का गोचर करने से जातक का जन्म भूमि से त्याग, धन का अपव्यय, परिवार जनों का वियोग, पद की हानि, वह कार्य सिद्धि में रुकावटें उत्पन्न कराने वाला होता है।

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