Thursday, September 30, 2021

BHAIRAV SHABAR MANTRA PRYOG 5 भैरव शाबर मन्त्र प्रयोग 5

BHAIRAV SHABAR MANTRA PRYOG 5 भैरव शाबर मन्त्र प्रयोग 5



निम्न भैरव मन्त्र शत्रु पीड़ा, वशीकरण, मोहन, आकर्षण में अचुक प्रयोग है । इस मन्त्र का अनुष्ठान शनि या रविवार से प्रारम्भ करना चाहिए । एक तिकोना पत्थर लेकर उसे एकांत कमरे में स्थापित करके उसके ऊपर तेल-सिंदूर का लेप करें । नारियल और पान भेंट में चढ़ाएं । नित्य सरसों के तेल का दीपक अखंड जलाएं । नित्य 27 बार 40 दिन तक मन्त्र का जप करके कपूर, केसर छबीला, लौंग, छार की आहुति देनी चाहिए । भोग में बाकला, बाटी रखनी होती है । जब भैरव दर्शन दें तो डरे नहीं, भक्तिपूर्वक प्रणाम करके उड़द के पकौड़े, बेसन के लड्डू, गुड़ से बनी खीर बलि में अर्पित करें । मन्त्र में वर्णित सभी कार्य सिद्ध होते हैं । 

मन्त्रः

“ॐ गुरु, ॐ गुरु, ॐ गुरु, ॐकार, ॐ गुरु भूमसान, ॐ गुरु सत्य गुरु । सत्य नाम काल भैरव । कामरू जटा चार पहर खोले चौपटा । बैठे नगर में । सुमरों तोय । दृष्टि बांध दे सबकी । मोय हनुमान बसे हथेली । भैरव बसे कपाल । नरसिंह जी को मोहिनी, मोहे सकल संसार । भूत मोहूं, प्रेत मोहूं, जिन्द मोहूं, मसान मोहूं । घर का मोहूं, बाहर का मोहूं । बम रक्कस मोहूं, कोढ़ा मोहूं, अघोरी मोहूं, दूती मोहूं, दुमनी मोहूं, नगर मोहूं, घेरा मोहूं, जादू-टोना मोहूं, डंकनी मोहूं, संकनी मोहूं, रात का बटोही मोहूं, बाट का बटोही मोहूं, पनघट की पनिहारी मोहूं, इंद्र का इंद्रासन मोहूं, गद्दी बैठा राजा मोहूं, गद्दी बैठा बणिया मोहूं, आसन बैठा योगी मोहूं । और को देख जले भुने । मोय देख के पायन परे । जो कोई काटे मेरा वाचा, अंधा कर, लूला कर, सिड़ी वोरा कर, अग्नि में जलाय दे । धरी को बताए दे, गढ़ी को बताय दे, हाथ को बताए दे, गांव को बताए दे, खोए को मिलाए दे, रूठे को मनाए दे, दुष्ट को सताए दे, मित्रों को बढ़ाए दे । वाचा छोड़ कुवाचा चले, तो माता क चौखा दूध हराम करे । हनुमान आण । गुरुन को प्रणाम । ब्रह्मा, विष्णु साख भरे, उनको भी सलाम । लोना चामरी की आण, माता गौरा पार्वती महादेव जी की आण । गुरु गोरखनाथ की आण, सीता रामचंद्र की आण मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति। गुरु के वचन से चले, तो मन्त्र ईश्वरो वाचा ॥”

No comments:

Post a Comment

विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )