Monday, September 13, 2021

BHAIRAV SHABAR MANTAR 4 भैरव शाबर मन्त्र 4

 BHAIRAV SHABAR MANTAR 4 भैरव शाबर मन्त्र 4


प्रयोग 

निम्न मन्त्र का अनुष्ठान रविवार से प्रारम्भ करें । एक पत्थर का तीन कोने वाला काला टुकड़ा लेकर उसे अपने सामने स्थापित करें । उसके ऊपर तेल और सिंदूर का लेप करें । पान और नारियल भेंट में चढ़ावें । नित्य सरसों के तेल का दीपक जलावें । अच्छा होगा कि दीपक अखण्ड हो । मन्त्र को नित्य 21 बार 41 दिनों तक जपें । जप के बाद नित्य छार, छरीला, कपूर, केशर और लौंग से हवन 21 बार करें । भोग में बाकला रखें । जब श्री भैरव देव दर्शन दें, तो डरें नहीं । भक्तिपूर्वक प्रणाम करें और मांस मदिरा की बलि दें । जो मांस-मदिरा का प्रयोग न कर सकें, वे उड़द के पकौड़े, बेसन के लड्डू और गुड़ मिली खीर की बलि दें । सिद्ध होने के बाद सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं । इसे भैरव दर्शन विधान भी कहते हैं ।

मन्त्रः
“ॐ गुरूजी ! काला भैरू, कपला केश । काना मदरा, भगवाँ भेष । मार-मार काली-पुत्र, बारह कोस की मार । भूतां हात कलेजी, खूं हाँ गेडिया । जाँ जाऊँ, भैरू साथ । बारह कोस की रिद्धि ल्यावो, चौबीस कोस की सिद्धि ल्यावो । सुत्यो होय, तो जगाय ल्यावो । बैठ्या होय, तो उठाव ल्यावो । अनन्त केसर को थारी ल्यावो, गौराँ पार्वती की बिछिया ल्यावो ।
गेले की रस्तान मोय, कुवें की पणियारी मोय । हटा बैठया बणियाँ मोय, घर बैठी बणियाणी मोय । राजा की रजवाड़ मोय, महल बैठी राणी मोय । डकणी को, सकणी को, भूतणी को, पलीतणी को, ओपरी को, पराई को, लाग कूँ, लपट कूँ, धूम कूँ, धकमा कूँ, अलीया को, पलीया को, चौड़ को, चौगट को, काचा को, कलवा को, भूत को, पलीत को, जिन को, राक्षस को, बैरियाँ से बरी कर दे । नजराँ जड़ दे ताला ।
इता भैरव नहीं करे, तो पिता महादेव की जटा तोड़ तागड़ी करे । माता पार्वती का चीर फाड़ लँगोट करे । चल डकणी-सकणी, चौड़ूँ मैला बाकरा । देस्यूं मद की धार, भरी सभा में । छूं ओलमो कहाँ लगाई थी बार । खप्पर में खा, मुसाण में लोटे । ऐसे कुण काला भैरूँ की पूजा मेटे । राजा मेटे राज से जाय । प्रजा मेटे दूध-पूत से जाय । जोगी मेटे ध्यान से जाय । शब्द साँचा, ब्रह्म वाचा, चलो मन्त्र, ईश्वरो वाचा ॥”

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )