CHANDRMA KE SHUBH YOG चंद्रमा से बनने वाले शुभाशुभ योग
जैसा कि हम
जानते हैं कि ग्रहों के योगायोग से जन्म कुंडली में अनेक प्रकार के शुभाशुभ योग का
निर्माण होता है। अतः आज हम कुछ विशिष्ट योगों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
जिनका ज्योतिष शास्त्र में बहुत अधिक महत्वपूर्ण स्थान होता है।
१, सुनफा
योग -:
जन्म कडली में
चंद्रमा से दूसरे स्थान में सूर्य के अतिरिक्त अन्य कोई भी ग्रह हो तो वहां सुनफा नामक
योग बनता है।
२,अनफा योग
-:
यदि जन्मकुंडली
में चंद्रमा से द्वादश स्थान में सूर्य के अतिरिक्त कोई दूसरा अन्य ग्रह विद्यमान हो
तो वहां अनफा नामक योग बनता है।
३, दुरधरा
योग -:
इस प्रकार जन्म
कुडली में चंद्रमा से दूसरे भाव और
बारहवें भाव में सूर्य को छोड़कर अन्य ग्रह विद्यमान
हो तो वहां दुरधरा योग बनता है।
विशेष
-: इस प्रकार जन्म कुंडली में बनने वाले सुनफा, अनफा, दुरधरा
ये तीनों ही योग अति विशिष्ट योग होते हैं। इन योगों में जन्मे जातक को अपने जीवन में
राजकीय मान-सम्मान व भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
४, केमद्रुम
योग -:
यदि जन्मकुंडली
में चंद्रमा से दूसरे व 12वे भाव में कोई भी ग्रह नहीं हो तो उस स्थिति में केंमद्रुम
नामक योग का निर्माण होता है। और जिस जातक की जन्म कुंडली में यह योग बनता है। वह जातक
अपने जीवन में बहुत कुछ प्राप्त करके भी उनका सुख नहीं प्राप्त कर पाता है या यूं कहें
कि जातक धनिक के घर में जन्म लेकर भी अपने जीवन में बहुत अधिक दुखी हो जाता है।
क्योंकि इस
योग में जातक मानसिक रूप से विचलित रहता है और अपने ही गलत कार्यो के कारण अपना सब
कुछ नष्ट कर लेता है।
केमद्रुम
योग भंग -
१, यदि चंद्रमा
केंद्र में विद्यमान हो और साथ में कोई दूसरा ग्रह विद्यमान हो तो केमद्रुम योग की
अशुभता नष्ट हो जाती है।
२, यदि चंद्रमा
के ऊपर सभी शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो उस स्थिति में भी केमद्रुम योग भंग हो
जाता है।
३, यदि चंद्रमा
स्वयं उच्च या मित्र राशि में अच्छे अंशो के साथ विद्यमान हो और ऊपर से कोई दो शुभ
ग्रह चंद्रमा को देखते हो उस स्थिति में भी केमद्रुम योग का प्रभाव कम हो जाता है।
५, विष योग
-:
यदि जन्म कुंडली
में चंद्रमा के साथ बलवान शनी विद्यमान हो तो वहां विष योग का निर्माण होता है। और
जिस जातक की जन्म कुंडली में यह योग बनता है वह जातक मानसिक रूप से परेशान व दुखी होता
है। ऐसे जातक अपने जीवन में भूत प्रेत बाधा से भी परेशान रहते है।
६, ग्रहण
योग -:
यदि जन्म कुंडली
में चंद्रमा के साथ राहु अथवा केतु विद्यमान हो उस स्थिति में चंद्र ग्रहण योग का निर्माण
होता है और ऐसा जातक अपने जीवन में मानसिक रूप से अस्वस्थ होता है।
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