SHUKR KA BHAV MEIN PHAL शुक्र का प्रत्येक भाव में फल
यदि लग्न में शुक्र हो तो जातक सुन्दर शरीर वाला, नेत्रों को प्यारा लगने वाला, मुखी और दीर्घायु होता है।
यदि द्वितीय स्थान में शुक्र हो तो अनेक प्रकार के धन से युक्त, जातक स्वयं कवि भी होता है ।
शुक्र यदि तृतीय स्थान में ही तो निकृष्ट फल है। ऐसा व्यक्ति कृपण, अप्रिय, मुख और सम्पनि से हीन, बिना स्त्री के रहता है।
यदि चतुर्थ में शुक हो तो अच्छ सवारी, अच्छा मकान, आभूषण, वस्त्र, सुगन्धित पदार्थों से सम्पन्न हो।
यदि शुक्र पंचम भाव में हो तो मनुष्य पूर्ण धनयुक्त राजा के समान वंभव वाला, पुत्र सौख्य से युत स्वयं बहुत बुद्धिमान होता है।
यदि शुक्र छठे घर में हो तो उसके कोई शत्रु नहीं होंगे किन्तु धन हीन होगा। अनेक युवतियों से उसका सम्बन्ध हो और वह स्वयं दुखी हो।
सप्तम में शुक्र हो तो मनुष्य को अच्छी पत्नी प्राप्त होगी लेकिन हो सकता है पत्नी शान्त (मृत) हो जाय। ऐसा व्यक्ति धनी होता है और स्त्रियों में आसक्त रहता है ।
अष्टम में शुक्र हो तो धनी, दीर्घायु, और भूमिपति हो।
यदि नवम में शुक्र हो तो राजा (सरकार) की कृपा से भाग्योदय होता है। ऐसे व्यक्ति को स्त्री, पुत्र, तथा मित्रों का सुख प्राप्त रहना है।
यदि शुक्र दशम भाव में हो तो जातक को अच्छा कार्य करने को मिले। उसे मित्रों का सुख हो, अत्यन्त सम्मान, यश और ऊंची पदवी प्राप्त हो। यदि एकादश में शुक्र हो तो धनी हो, दूसरों की स्त्रियों में रत रहे और अनेक प्रकार के सुख प्राप्त हों ।
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