WIDOW वैधव्य/विधुर योग
जन्मांग में उपस्थित कुछ ग्रहयोग के कारण जीवन साथी की मृत्यु भी हो सकती है। कुछ ऐसे ही योग-
* शुक्र से चतुर्थ या अष्टम भाव पाप प्रभाव में हो तो जातक अपनी पत्नी को जलाकर मार देता है।
* द्वादश भाव में चन्द्रमा और सप्तम भाव में शुक्र स्थित हो तो भी जातक अपनी पत्नी की हत्या कर देता है।
* पाप ग्रहों के मध्य यदि शुक्र स्थित हो तो जातक की पत्नी की मृत्यु ऊँचाई से गिरकर होती है।
* पाप ग्रहों के मध्यस्थ शुक्र यदि अष्टम भावगत हो अथवा चतुर्थ भावगत हो तो जातक के पत्नी की मृत्यु फाँसी से होती है।
* ऐसा शुक्र यदि शुभ ग्रहों से युत अथवा दृष्ट न हो तो भी पत्नी का निधन फाँसी से होता है।
* पंचमेश सप्तमभाव में स्थित हो, सप्तमेश पाप ग्रहों से युत हो तथा शुक्र निर्बल हो तो गर्भ के कारण स्त्री की मृत्यु होती है।
* 'सारावली' के अनुसार अष्टमस्थ क्रूर ग्रह वैधव्य देते हैं।
* शुक्र नीच राशिस्थ हो या फिर चन्द्रमा नीच राशि में स्थित हो तो जातक की पत्नी की मृत्यु जल में डूूबने से होती है।
* यदि सप्तमेश पाप द्रेष्काण, भुजंग द्रेष्काण में हो पत्नी की मृत्यु फाँसी लगाकर होती है।
* सप्तमेश राहु तथा मान्दि के साथ हो तो पत्नी की मृत्यु विषभक्षण से होती है।
* यदि सप्तमेश शनि एवं मंगल के साथ हो अथवा क्रूर षष्ट्यंश में हो तो स्त्री की मृत्यु।
* यदि सप्तम भाव तथा सप्तमेश पाप ग्रहों के मध्य हों तो पत्नी का मरण होता है।
* सप्तमेश तथा बुध दोनों पापग्रहों के साथ नीच राशि, शत्रुक्षेत्री या अस्त होकर आठवें या बारहवें भाव में हो या पाप प्रभाव में हो तो ऐसी कन्या पति को मारने वाली होती है।
* सप्तमेश यदि अष्टम भाव में हो तो जीवनसाथी की मृत्यु होती है।
* चन्द्र से षष्ठ भाव में शनि, सातवें में राहु तथा आठवें में मंगल हो तो भी जीवनसाथी का मरण।
* सप्तमेश तथा अष्टमेश में युति सम्बन्ध हो तथा ये पाप प्रभाव में भी हों।
* दो या तीन पापग्रहों के साथ मंगल अष्टम भाव में हों।
* सप्तमेश बुध यदि नीचस्थ तथा पापप्रभाव में आकर अष्टम भाव में स्थित हो तो स्त्री पति की हत्या करने वाली होती है।
* षष्ठेश एवं अष्टमेश पापग्रहों के साथ षष्ठ या अष्टम स्थान में हों, तो युवावस्था में ही वैधव्य।
* सप्तमेश एवं द्वितीयेश राहु या केतु के साथ स्थित हों तथा शनि से दृष्ट हों तो पत्नी की मृत्यु शीघ्र।
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