Saturday, August 14, 2021

CHANDR KETU YUTI चन्द्र व केतु की युति

CHANDR KETU YUTI चन्द्र केतु की युति

कुण्डली में चन्द्र के साथ केतु की युति होने पर व्यक्ति को समझ पाना कठिन होता है क्योंकि ऐसा व्यक्ति कब क्या कर बैठे यह
समझना मुश्किल होता है. अगर आपकी कुण्डली में यह युति बन रही है तो आपके लिए उचित होगा किसी भी कार्य को करने से पूर्व उस पर अच्छी तरह विचार कर लें अन्यथा अपने कार्यों के कारण आपका मन दु:खी हो कता है. वैसे, आपमें अच्छी बात यह है कि अपनी ग़लतियों से सबक लेंगे और अपने आस-पास की बुराईयों को दूर करने की कोशिश करेंगे. किसी एक स्थान पर केतु एवं चंद्रमा की स्थिति हो तो चंद्र ग्रहण योग योगों से कई प्रकार की ग्रह स्थिति का परिणाम बदल जाता है। इनके प्रभाव अत्यंत प्रबल होने के साथ ही जीवन को बहुत प्रभावित करते हैं। इन्हीं योगों में ग्रहण योग बहुत साधारण होकर भी विशेष प्रकार से असरकारी है। जन्म पत्रिका में किसी एक स्थान पर केतु एवं चंद्रमा की स्थिति हो तो चंद्र ग्रहण योग बनता है। इसमें भी केतु एवं चंद्रमा के अंशों में नौ अंश से कम का अंतर हो तो ग्रहण योग बनता है, परंतु नौ अंश से अधिक के फासले पर यह योग प्रभावकारी नहीं होता है। यदि दोनों ग्रहों की दूरी सात अंश से कम की हो तो इस योग का फल अधिक पड़ता है। केतु- चंद्रमा का अंतर डेढ़ अंश से कम होने पर यह योग पूर्ण प्रभावकारी रहता है। यह योग

1.प्रथम भाव में हो तो खर्च दोष, दाँत का देरी से आना एवं धन संचय का योग बनता है।

2.द्वितीय भाव में खुद के परिश्रम से धन प्राप्त करना, खाने के शौकीन होना एवं बचपन में कष्ट पाने का योग बनता है।

3.तृतीय स्थान में केतु-चंद्र की युति से शांत प्रकृति वाले, प्रसिद्धि पाने वाले एवं दाहिने कान में तकलीफ की संभावना आती है।

4.चतुर्थ स्थान में जन्मभूमि से दूर जाना पड़ता है, मेहनत से प्रगति करते हैं। दान की प्रवृत्ति अधिक होती है।

5.पंचम स्थान का ग्रहण जातक को बुद्धिमान, ईश्वर भक्त और कामी बनाता है।

6.छठे भाव में शरीर निरोगी रहता है। शत्रु बहुत उत्पन्न होते हैं, लेकिन जल्दी ही समाप्त हो जाते हैं। मातृपक्ष की चिंता होती है।

7,सप्तम भाव में ग्रहण योग दाम्पत्य जीवन को अच्छा करता है। व्यापार में हानि का योग बनता है, पलायनवादी दृष्टिकोण को जन्म देता है।

8.आठवें स्थान में केतु-चंद्र की युति से अल्पायु में प्रसिद्धि मिलती है, स्त्री से धन प्राप्त होता है, आर्थिक हानि उठाना पड़ती है।

9.नौवें घर में संतान की प्रगति होती है, लंबे प्रवास का योग बनता है, धार्मिक कार्य करते हैं और आलस्य आता है।

10.दशम भाव में योगी, हल्का व्यापार करने वाला एवं सामाजिक कार्य में संलग्नता का फल देता है।

11.ग्यारहवें स्थान में चंद्र-केतु की युति काम से प्रसिद्धि दिलाती है। अनैतिक तरीके से धन एकत्र करने पर परेशानी उठाना पड़ती है। आँख या कान के रोग उत्पन्न होते हैं।

12.बारहवें स्थान में इस योग का फल कुशल व्यवसायी के रूप में मिलन सारिता के रूप में एवं दाम्पत्य जीवन में तनाव की स्थिति उत्पन्न करता है।

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )