GREH SHANTI UPAY AND MANTAR ग्रह शांति के उपाय और मंत्र
आज हम बात करते
हैं कि जन्म कुंडली मे प्रतिकूल ग्रह को हम किस प्रकार शांति के उपाय करके जीवन को
खुशहाल व आनंदमय बना सकते हैं तो आइए हम यहां पर प्रत्येक ग्रह के शांति के उपाय का
वर्णन करते हैं जो शास्त्रों में वर्णित है
सूर्य
-:
सूर्य शांति
के लिए हमें सबसे पहले
" ओम ह्रां हीं हौं स: सूर्याय नमः "
इस मंत्र का
सात हजार जाप सूर्योदय के समय एक हजार नित्य प्रति के हिसाब से करना चाहिए कुल मंत्र
जाप का दशांश हवन करके माणिक सुवर्ण गेहूं तांबा गुड लाल वस्त्र रक्त पुष्प कंबल रक्त
चंदन केसर मूंगा आदि दान करके किसी सुयोग्य निर्धन ब्राह्मण को भोजन करावे और यथाशक्ति
दान देकर विदा करें आंक की संविधा से हवन करें सोने की अंगूठी में मानिक चढ़ाकर श्रद्धा
भक्ति से अंगूठी में धारण करें और प्रातकाल नित्य सूर्योदय के समय तांबे के कलश में
जल लेकर उसमें रक्त पुष्प डालकर भगवान सूर्य देव को अर्घ्य अर्पण करें जिससे भगवान
सूर्यदेव प्रसन्न होकर हमारी सभी मनोकामनाएं सिद्ध करते हैं
चंद्र
-:
अगर हमारे जन्म
कुंडली में चंद्र प्रतिकूल हो तो उनको अनुकूल बनाने के लिए हमें सबसे पहले।
" ओम श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नमः
"
इस मंत्र का
दस हजार जाप करना होता है चंद्रोदय शुक्ल पक्ष
संध्या के समय एक हजार नित्य प्रति के हिसाब से मंत्र जाप करें पलाश की समिधा से हवन
करें चावल कपूर चांदी की श्वेत चंदन दही खीर सफेद धोती बुरा मिश्री सोना आदि का दान करें और चांदी की अंगूठी में मोती
जुड़वा करके सोमवार के दिन शुद्धीकरण करके धारण करें ग्यारह बाह्मणों को भोजन करावे
इससे चंद्र देव की कृपा हम पर बरसने लगती है और हमारे जीवन में आनंदमय अमृत बरसने लगता
है
मंगल -:
मंगल देव को
प्रसन्न करने के लिए हमें
" ओम क्रां क्रीं क्रौं स: भोमाय नमः "
इस मंत्र का
शुद्ध भाव से दस हजार की संख्या में जाप करना चाहिए दो घंटे दिन चंड जाने पर हवन करें
तांबा सोने की मिश्रित चौदह कैरेट की अंगूठी में मूंगा जुड़वा करके धारण करें तांबा
मशहूर गुड् घो लाल वस्त्र रक्त रेशमी केसर कस्तूरी लाल चंदन आदि का दान करें और दस
ब्राह्मणों को भोजन कराकर के यथाशक्ति दान देवें जिससे हमारे जीवन में मंगल देव की
प्रतिकूलता समाप्त होती है और मंगल हमारे जीवन के दुख कष्टों को दूर करते हैं
बुध -:
यदि हमारी जन्मकुंडली
में बुध ग्रह अनुकूल नहीं हो तो हमें बुध को
अनुकूल करने के लिए सबसे पहले निम्न मंत्र का
"
" ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं स:बुधाय नमः "
नौ हजार संख्या
में जाप करना चाहिए और पांच घड़ी दिन चढ़े उस समय हवन करना चाहिए तथा अंगूठी में शुद्ध
पन्ना रत्न जड़वा करके बुधवार के दिन धारण करना चाहिए तथा सोना मूंग घी हरा रेशमी वस्त्र
हरे पुष्प हरे फल कपूर आदि का दान करना चाहिए तथा नौ ब्राह्मणों को भोजन कराकर के यथाशक्ति
के अनुसार दान करना चाहिए साथ ही हम बुध देव को प्रसन्न करने के लिए बुधवार का व्रत
कर सकते हैं
गुरु -:
गुरु को प्रसन्न
करने के लिए हमें .
"ओम ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नमः "
इस मंत्र का
शुद्ध भाव से उन्नीस हजार की संख्या में जाप करना चाहिए तथा सोने की अंगूठी में गुरुवार
के दिन शुद्ध पुखराज रतन को शुद्ध करके सोने की अंगूठी में जड़वा करके धारण करना चाहिए
पीपल की समिधा से हवन करें और पुखराज स्वर्ण चने की दाल लड्डू पीला रेशमी वस्त्र पीले फूल पीले फल केसर शक्कर
आदि का दान करें तथा उन्नीस ब्राह्मणों को भोजन कराकर के यथाशक्ति दान करना चाहिए व
गुरुवार के दिन भगवान गुरु का व्रत करें और पीले वस्त्र का दान करें भोजन में पीला भोजन हमें करना चाहिए जिससे ग्रुप
की अनुकूलता समाप्त हो करके उनकी कृपा हम पर बनने लगती है और हमारे ्बिगड़ते से भी
कार्य बनने लगते हैं
शुक्र को प्रसन्न
करने के लिए निम्न मंत्र का 16000 की संख्या में हमें जाप करना चाहिए
"ओम द्रां
द्रीं द्रौं स: शुक्राय नमः "
इस प्रकार उक्त
मंत्र का जाप करने के पश्चात सूर्योदय के समय आंवला की संविदा से दशांश हवन करें और
चांदी सोना हीरा चावल दूध दही श्वेत रेशमी वस्त्र श्वेत सुगंधित पुष्प भूरा जी आदि
का दान करें और16 ब्राह्मणों को भोजन कराकर के यथाशक्ति दान करना चाहिए इसी क्रम में
भगवान सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए हम शुक्रवार के दिन कम से कम 5 रति का हीरा
रतन शुद्ध करके अंगूठी में जड़वा करके धारण करें जिससे शुक्र की प्रतिकूलता समाप्त
हो करके अनुकूलता प्राप्त होने लगती है
शनि -:
शनि देव की
कृपा प्राप्त करने के लिए हमें निम्न मंत्र का 23 हजार की संख्या में जाप करना चाहिए
"ओम प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नमः "
इसके बाद दशांश
हवन करें और सोना नीलम लोहा उड़द काला कपड़ा कृष्ण पुष्प काली दुधारू गाय भैंस काला
जूता काला कंबल काले तिल सरसों का तेल आदि का दान करें तथा शनिवार के दिन 23 ब्राह्मणों
को भोजन कराकर यथाशक्ति दान चाहिए शनिवार के दिन शुद्ध नीलम को अंगूठी में जड़वा करके
अंगूठी का शुद्धिकरण करके शनिवार के दिन धारण करना चाहिए जिससे भगवान शनिदेव की कृपा
हम पर बनी रहती है
राहु -:
जब राहु ग्रह
हमारे अनुकूल नहीं होकर प्रतिकूल होता है तो हमारे सभी कार्यों में व्यवधान आने लगता
है तथा किसी भी कार्य में हमें सफलता प्राप्त होने में अड़चनें आने लगती है मन में
अस्थिरता का वातावरण बना रहता है तथा स्वाभाविक रूप से मानसिक पीड़ा बढ़ने लगती है
अतः हमें राहु को अनुकूल करने के लिए सबसे पहले निम्न मंत्र का 18000 जाप करना चाहिए
मंत्र इस प्रकार है
"ओम भ्रां
भ्रीं भ्रौं स: राहवे नमः "
अतः इस प्रकार
उक्त मंत्र का जाप करके इसका दशांश हवन करना चाहिए और गोमेद रतन को शुद्ध करके सोने
की अंगूठी में जड़वा करके धारण करना चाहिए ध्यान रहे राहु के मंत्र जाप रात्रि के समय
में करें तथा राहु को अनुकूल करने के लिए हम राहु को प्रिय वस्तुओं का दान कर सकते
हैं जैसे गोमेद शीशा सोना तेल सरसों तेल नीले वस्त्र लोहा बकरी काला कंबल आदि इस प्रकार
हमें मंत्र जाप करके उसका दशांश हवन करना चाहिए और फिर अंत में 18 ब्राह्मणों को भोजन
करवाकर के यथाशक्ति दान देना चाहिए जिससे राहु का प्रतिकूल प्रभाव समाप्त होकर के अनुकूल
फल प्राप्त होने लगता है
केतु -:
केतु को प्रसन्न
करने के लिए हमें निम्न मंत्र का 17000 रात्रि के समय जाप करना चाहिए तथा इसका दशांश
कुशा की संविदा से हवन करें और तेल सोना कस्तूरी
लहसुन धूम्र वस्त्र नारियल कंबल बकरा लोहा काली फूल आदि का दान करना चाहिए तथा 17 ब्राह्मणों
को भोजन कराकर के यथाशक्ति दान देने से केतु अनुकूल हो करके हमें अभीष्ट फल प्रदान
करने लगता है इसी प्रकार हम केतु को प्रसन्न करने के लिए सोने या चांदी की अंगूठी बना
करके उसमें लहसुन नामक नग जड़वा करके अंगूठी को शुद्ध करके धारण कर सकते हैं
"ओम स्रां
स्रीं स्रौं स: केतवे नमः "
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