CHANDRMA KA BAV MEIN PHAL चन्द्रमा का भाव में फल
चन्द्रमा का लग्न भाव मे फल
यदि शुक्ल पक्ष का चन्द्रमा लग्न में हो तो मनुष्य निर्भय, दृढ़ शरीर वाला, बलिष्ठ, लक्ष्मीवान् और दीर्घायु होता है किन्तु यदि कृष्ण पक्ष का चन्द्रमा हो तो इसका विपरीत फल समझना चाहिये।
चन्द्रमा का द्वितीय भाव मे फल
यदि चन्द्रमा तृतीय भाव में हो तो मनुष्य मृदु वचन वोलने वाला विषय सुखवान् (सांसारिक विषयों में सुख उठाने वाला) होता है । किन्तु उसकी वाणी में कुछ रहता है।
चन्द्रमा का तृतीय भाव मे फल
यदि तृतीय भाव में चन्द्रमा हो तो भाइयों का सुख हो; ऐसा व्यक्ति बली और शूर किन्तु अत्यन्त कृपण होता है।
चन्द्रमा का चतुर्थ भाव मे फल
यदि चतुर्थ भाव में चन्द्रमा हो तो जातक सुखी, भोगी, त्यागी, अच्छे मित्रों वाला, सवारी के सुख को प्राप्त और यशस्वी होता हैं।
चन्द्रमा का पंचम भाव मे फल
यदि पंचम में चन्द्रमा हो तो मृदु गति वाला, मेधावी (बुद्धिमान्) और अच्छे पुत्र वाला हो।
चन्द्रमा का छठे भाव मे फल
यदि छठे में चन्द्रमा हो तो मनुष्य अल्पायु बुद्धि हीन और उदर रोगी हो और परिभव (अपमान या हार) को प्राप्त हो ।
चन्द्रमा का सप्तम भाव मे फल
यदि सप्तम स्थान में चन्द्रमा हो तो स्वयं सौम्य और सुन्दर हो और उसकी पत्नी भी बहुत सुन्दर होती है, दोनो में परस्पर प्रेम रहता है।
चन्द्रमा का अष्टम भाव मे फल
यदि अष्टम में चन्द्रमा हो तो जातक रोगी और अल्पायु होता है।
चन्द्रमा का नवम भाव मे फल
चन्द्रमा नवम में हो तो जातक धार्मिक आचरण करने वाला होगा।
चन्द्रमा का दशम भाव मे फल
यदि दशम में चन्द्रमा हो तो ऐसा जातक विजयी होता है; जिस काम में वह हाथ लगाता है उसमें प्रारम्भ में ही सफलता हो जाती है। ऐसा व्यक्ति शुभ कर्म करने वाला और सज्जनों के साथ उपकार करने वाला होता है।
चन्द्रमा का
ग्यारहवें भाव मे फल
यदि चन्द्रमा ग्यारहवें भाव मे हो तो मनुष्य मनस्वी दीर्घायु, धनवान्, पुत्रवान् होता है और उसे नौकर का भी सुख प्राप्त होता है।
चन्द्रमा का
द्वादश भाव मे फल
द्वादश भाव में चन्द्रमा का फल शुभ नही समझा जाता। ऐसा व्यक्ति आलसी, मानसिक रूप से पीड़ित, अपमानित और दुःखी होता है।
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