Tuesday, August 24, 2021

BHAVESH भावेश का शुभाशुभ

BHAVESH भावेश का शुभाशुभ

भावेश का शुभाशुभ विचार -:

१, यदि जन्म कुंडली में 6 8 12 भाव के स्वामीयो छोड़कर अन्य किसी भी भाव का स्वामी केंद्र त्रिकोण अर्थात 1,4,5,7 ,9,10 में विद्यमान हो तो वह सदैव शुभ फलदायक होता है। तथा 6 8 12 भाव के स्वामी जिस भाव में भी बैठते हैं उस भाव के फल को नष्ट करते हैं। जैसे किसी जातक की जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी केंद्र के चतुर्थ भाव में विद्यमान हैं। अतः द्वितीय भाव का फल शुभ होगा। इसी प्रकार यदि दूसरे भाव का स्वामी कुंडली के छठे भाव में जाकर विद्यमान हो जाए, तो दूसरे भाव का फल अनिष्ट होगा।

२, यदि किसी भाव का स्वामी स्वग्रही रही हो तो उस भाव का फल सदैव शुभ होता है। जैसे मेष लग्न की जन्म कुंडली में मेष लग्न का स्वामी मंगल देव हुए, और यदि मंगल लग्न में विद्यमान हो तो लग्न का फल शुभ होगा, तथा  मंगल की दूसरी राशि वृश्चिक होती है। यदि मंगल अपनी दूसरी राशि में हो तब भी लग्न का फल शुभ ही होगा।

३, एकादश भाव में प्रायः सभी ग्रह शुभ होते हैं।

४, यदि किसी भाव का स्वामी पाप ग्रह हो और वह लग्न से तीसरे भाव में विद्यमान हो तो शुभ ही फल देगा और यदि किसी भाव का स्वामी शुभ ग्रह हो और वह तीसरे भाव में विद्यमान हो तो सदैव मध्यम फल देगा। जैसे मेष लग्न की जन्म कुंडली में नवम भाव का स्वामी बृहस्पति कुंडली के तीसरे भाव में विद्यमान हो जाते हैं तो बृहस्पति का फल मध्यम होगा।

५, यदि किसी भाव का स्वामी अस्त अथवा नीच हो तो वह केंद्र त्रिकोण में बैठकर भी सदैव शुभ फल नहीं देगा अपितु कुछ कठिनाइयों के बाद फल देगा।

६, यदि जन्मकुंडली के सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य स्थित हो तो कुंडली में कालसर्प योग का निर्माण हो जाता है और प्रायः सभी ग्रह बहुत अधिक स्ट्रगल करने के बाद फल देते हैं।

७, यदि कोई शुभ ग्रह  केंद्र त्रिकोण में विद्यमान हो किंतु उसके अंश कम हो तब भी वह शुभ फल देने की स्थिति में नहीं होता है।

८, यदि केंद्र त्रिकोण का स्वामी शुभ ग्रह भी 6 8 12 भाव में विद्यमान हो तब भी वह अपने भाव का शुभफल नहीं दे पाता है।

९, यदि कोई शुभ ग्रह पाप ग्रह से ग्रस्त हो अथवा दृष्ट हो तब भी वह अपने शुभ फल में कमी करता है।

१०, शुक्र द्वादश भाव में सदैव सांसारिक सुख प्रदान करने वाला होता है।

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विशेष सुचना

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