Tuesday, August 24, 2021

SURY KA BHAV MEIN PHAL सूर्य का प्रत्येक भाव मे फल

SURY KA BHAV MEIN PHAL सूर्य का प्रत्येक भाव मे फल

सूर्य का लग्न भाव मे फल

यदि जन्म के समय सूर्य लग्न में हो तो जातक बहुत थोड़े केश वाला, आलसी, क्रोधी, लम्बा, मानी (घमण्डी) शूर, क्रूर, क्षमा करने वाला होगा। उसके नेत्र रूखे होंगे। मेष, कर्क, और सिंह लग्न में सूर्य नेत्र रोग देता है।

सूर्य का दूसरे भाव मे फल

यदि सूर्य द्वितीय में हो तो मनुष्य विद्या, विनय, और धन से हीन होता है; उसकी वाणी में भी दोष होता है हकलाना या इसी प्रकार का दोष हो।

सूर्य का तीसरे भाव मे फल

यदि सूर्य तृतीय में हो तो मनुष्य बलवान् शूरवीर, धनी और उदार होता है, किन्तु अपने (सम्बन्धी) लोगों से शत्रुता रखता है

सूर्य का चतुर्थ भाव मे फल  

यदि चौथे स्थान में सूर्य हो तो सुख हीन, बन्धु- हीन, मित्रहीन और भूमिहीन हो। चतुर्थ से इन सत्र बातों का विचार किया जाता है और क्रूर ग्रह के बैठने का यह फल है ऐसा व्यक्ति अपने पिता से पाई हुई जायदाद या सम्पत्ति को व्यय कर देता है।

सूर्य का पंचम भाव मे फल

अगर सूर्य पंचम में हो तो सुख हीन, धनहीन, आयु हीन हो। पंचम भाव का सूर्य जेष्ठ पुत्र का नाश करता है। किन्तु जातक बुद्धिमान् होता है और जंगल में घूमने का शौकीन होता है

सूर्य का छठे और सातवे भाव मे फल

यदि पष्ठ स्थान में सूर्य हो तो मनुष्य राजा के समान श्रेष्ठ वैभव वाला प्रसिद्ध धनी, विजयी और गुणवान् होता है

सूर्य का सातवे भाव मे फल

यदि सूर्य सप्तम में हो तो शरीर में कोई विकार हो, ऐसा व्यक्ति राज विरुद्ध कार्य करता है अर्थात् सरकार का विरोध करता है। ऐसा मनुष्य व्यर्थ घूमता है और अपमान को प्राप्त होता है। सप्तम में सूर्य स्त्री सुख को भी नष्ट करता है।

सूर्य का अष्टम भाव मे फल

यदि अष्टम में सूर्य हो तो धन नष्ट हो, आयु नष्ट हो (अल्पायु हो) उसके मित्र नष्ट हों (मित्र रहें) और विगत दृष्टि हो अर्थात् नेत्रों की ज्योति मन्द पड़ जावे। हमने सैकड़ों कुण्डलियों में देखा है अष्टम का सूर्य बहुत बिगाड़ता है।

सूर्य का नवम भाव मे फल

यदि सूर्य नवम भाव में हो तो पिता से हीन हो अर्थात् कम उम्र में ही पिता का सुख रहे (दक्षिण भारत में नवम भाव से पिता का विचार किया जाता है। इस कारण सूर्य का नवम भाव स्थित होने का पित कष्ट फल लिखा है ) नवम में सूर्य सन्तान सुख और बन्धु सुख देता है। ऐसा व्यक्ति ब्राह्मण और देवताओं का आदर करता है

दशम और एकादश भाव मे सूर्य का फल

यदि दशम में सूर्य हो तो जातक को सन्तान सुख, सवारियों का सुख हो। ऐसा व्यक्ति बुद्धिमान्, लक्ष्मीवान्, बलवान् और यशस्वी होता है लोग उसकी प्रशंसा करते हैं और वह राजा के समान वैभवशाली होता है

एकादश भाव मे सूर्य का फल

ग्यारहवें भाव में सूर्य हो तो मनुष्य धनी और दीर्घायु हो; ऐसे व्यक्ति को शोक नहीं होता अर्थात् वह सुखी रहता है और बहुत से आदमियों के ऊपर हुकूमत करता है

बारहवें भाव मे सूर्य का फल

यदि बारहवें घर में सूर्य हो तो अपने पिता से शत्रुता करे। ऐसा जातक नेत्र रोग से युक्त होता है। हमारे विचार से बाएँ नेत्र में विशेष कमजोरी होनी चाहिए। ऐसा जातक धनहीन , पुत्रहीन भी होता हैं।

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )