MANGAL KA BHAV MEIN PHALमंगल का प्रत्येक भाव में फल
यदि लग्न में मंगल हो तो अति क्रूर और अति साहसी हो। किन्तु ऐसा व्यक्ति अल्पायु होता है और उसके शरीर में चोट भी लगती है।
यदि द्वितीय भाव में मंगल हो तो या तो चेहरा अच्छा न हो या बोलने में प्रवीण न हो।
तृतीय में मंगल हो तो गुणवान्, धनत्रान् सुखी और शूर हो; ऐसे आदमी को दूसरा न दबा सके।
तीसरे भाव में मंगल वाले को छोटे भाइयों का सुख नही होता।
यदि चतुर्थ में मंगल हो तो मनुष्प मानहीन, मित्रहीन, सुख हीन, वाहन हीन, और भूमि होन हो। कहने का तात्पर्य यह है कि चतुर्थ भाव से जिन-जिन बातों का विचार किया जाता है उन सबके सुख में कमी करे।
यदि पंचम में मंगल हो तो सन्तान का सुख न हो; उसके भाग्य में बहुत से अनर्थ (खराबी को बातें) होते रहें। ऐसा व्यक्ति बहुत बुद्धिमान् नही होता और चुगल खोर होता है ।
छठे में मंगल हो तो मनुष्य लक्ष्मीवान्, विख्यात, शत्रुओं को जीतने वाला राजा के समान ऐश्वयं शाली होता है। छठे में मंगल होने से विशेष कामी हो ।
यदि सप्तम में मंगल हो तो अनुचित कर्म करने वाला रोग से पीड़ित, मार्ग चलने वाला और मृत दारावान् (जिसकी स्त्री मर जाय) होता है। सप्तम पत्नी का स्थान है। सप्तम में मंगल होने से जातक प्रबल मंगलीक होते है इस कारण उनकी पत्नी मर जावे यह लिखा है। किन्तु पति-पत्नी दोनों मांगलिक होने से यह दोष नहीं होता। अर्थात् इस दोष की निवृत्ति हो जाती हैं।
अष्टम में भी मंगल का निकृष्ट फल है। ऐसा व्यक्ति कुतनु (खराब शरीर वाला अर्थात् शरीर में कहीं रोग हो), धनहीन और अल्पायु होता है और लोग उसकी निन्दा करते हैं ।
यदि मंगल नवम में हो तो मनुष्य चाहे राजा का प्यारा भी हो ऐसे व्यक्ति से अन्य लोग द्वेष करते हैं, उसे पिता का सुख प्राप्त नहीं होता ओर ऐसा व्यक्ति जन घातक (जो जनों का धात करे या पीड़ा पहुँचाए) होता है ।
यदि दशम में मंगल हो तो आदमी क्रूर, दाता, राजा के समान, पराक्रमी हो और बड़े मुख्य आदमी भी उसकी प्रशंसा करें।
ग्यारहवें स्थान में मंगल हो तो मनुष्य धनवान्, सुखवान्, शूर, सुशील और शोक रहित होता है।
यदि द्वादश में मंगल हो तो ऐसा आदमी चुगल खोर, क्रूर, अदार ( पत्नी रहित) और ऐसे व्यक्ति के नेत्र में भी विकार होता है।
ऊपर मांगलिक दोष का जिक्र आया है। जब कुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8, 12 में स्थित होता है तो मांगलिक दोष लगता है। इस दोष का प्रभाव विवाह पर सर्वाधिक पड़ता है। जिस मनुष्य की कुंडली मंगलीक हो उसे मंगलीक कन्या से ही विवाह करना चाहिये तथा जो कन्या मंगलीक हो उसका विवाह मंगलीक वर से ही करना उचित है। इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी मांगलिक दोष संबंधित लेख में है।
No comments:
Post a Comment