Wednesday, August 18, 2021

GURU BRAHASPATI बृहस्पति

 GURU BRAHASPATI बृहस्पति

 

जिसे Jupiter भी कहते हैं की अपनी राशियां है धनु और मीन. कर्क राशि में ये उच्च का होता है और मकर राशि में ये नीच का होता है. यदि ये ग्रह अच्छा हो तो एक लाख दोषों तक को दूर कर सकने की शक्ति इस ग्रह में है अन्यथा इतने ही दोष भी उत्पन्न कर सकता है.

अच्छा गुरु अध्यापक, वकील, जज, पंडित, पत्रकार, प्रकांड विद्वान् या ज्योतिषाचार्य, सुनार, कोपी-किताबों का व्यापारी, आयुर्वेदाचार्य बनाता है. उच्च कोटी का वृहस्पति धार्मिक चिंतन कराता है. राजनैतिक पद, संतान, शिष्य इसी ग्रह से मिलते है और यदी ये ग्रह कमज़ोर हुआ तो इनमें से कुछ भी नहीं मिलेगा. कमज़ोर वृहस्पति तीर्थ या सत्संग का सुख नहीं लेने देता तथा गुरु बुज़ुर्ग और विद्वान ऐसे व्यक्ती की सदैव अनदेखी करेंगे.

अच्छा गुरु उच्च कोटी की सिद्धियां कराता है और निम्न स्थिति का गुरु तंत्र का दुरूपयोग कराता है.

खराब गुरु वाले लोगों के विरुद्ध अफवाहें उड़ाई जाती हैं.

आपकी पाचन प्रक्रिया कमज़ोर होगी | जिसके कारण पाचन तंत्र कमज़ोर होगा और मोटापा बढ़ता जाएगा और मसल्स कमज़ोर होते जाएंगे. जिसके फल स्वरूप मोटापा और दर्द एक साथ बढ़ेगा. यदि बृहस्पति बहुत कमज़ोर है तो ये दर्द आपको सामान्य जीवन भी नहीं जीने देगा.

आपके शरीर के टीश्यू कमज़ोर होंगे जिसके वजह से कमर के निचले हिस्से, जांघों में असहनीय दर्द तक हो सकता है.

खराब बृहस्पति मोटापा बढ़ाता जाता है और इस प्रकार के मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति का चलने फिरने तक का मन नहीं करता. उसे शरीर में बहुत कमजोरी रहती है. उसे आलस्य भी बहुत रहता है जिससे वो जीवन के किसी कार्य में सफल नहीं हो पायेगा| बच्चों को इस प्रकार के बृहस्पति से बचाना बहुत ज़रूरी होता है. ऐसे बच्चों को pituitary ग्लैंड्स (पयूष ग्रंथी) की कमजोरी से शारारिक विकास में बहुत परेशानियां होती है.बृहस्पति बहुत अच्छा हो तो अपना जीवन धर्म, देश समाज को दान कर दें बोलने का मतलब ये कि व्यक्ति को धर्म कर्म से जरूर जुडना चाहिए अन्यथा ये भौतिक सुख नहीं लेने देगा.

खराब वृहस्पति जीवन साथी के जेवर तक बिकवा देता है और जीवन साथी को कोई जेवर उपहार में देने से बृहस्पति ओर भी खराब फल देता 

No comments:

Post a Comment

विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )