TWINS HOROSCOPE STUDY जुडुवा शिशुओं का कुंडली अध्ययन
जुडुवा
संतानों का आपस मे प्रभेद/ वैचारिक पद्धत्ति विचार
दश- पन्द्रह मिनिट की बात तो अलग, मगर ये सच है कि एक ही स्थान में दो- चार मिनिट
व्यवधान या अंदर में जन्मित शिशुओं के लिंग, स्वभाब, चरित्र, शारीरिक गठन, वर्ण,
चेहरा, रुचि, प्रवृत्ति, चालचलन, प्रकृति, शिक्षा, आयु, भविष्य-- ये सभी में सम्यक
या बहुत कुछ फरक दिखाई पड़ता है।।
परंतु उनके
लग्न कूण्डली आदि में भरपूर सादृश्य और लगभग ग्रहस्फुटों में मिनिट या अंश तक
बहुधा समानता दिखाई देता है।।
तो उन
बच्चों में जो- जो फरक होता है या बाद में दिखाई देगा, वो सब को पहले से कैसे
विचार किया जाएगा, ये एक समस्या है।। अस्तु।।
ये फरक को
विचार करने के लिए एक अनुभूत सरल वैचारिक पद्धत्ति यंहा परिभाषित करता हूँ।।
आदरणीय
विद्वानों! ये पद्धत्ति को जुडुवा जातकों के क्षेत्र में प्रयोग करके देख सकते हैं
की, कितने प्रतिशत सुफल निकलता है।।
अवश्य सुफल
परिमाण को देख कर चकित रह जाएंगे।।अस्तु।।
।। पद्धत्ति
।।
ये स्वाभाविक है की, जुडुवां बच्चों अथवा जितने भी शिशु एक के बाद एक, एक ही
मातृगर्भ से कुछ कुछ मिनिट व्यबधान में पैदा हुए हैं, उन के जन्म कूण्डली के प्राय
सभी अंश या वर्ग- कुंडली (साठ अंश कुंडली को छोड़कर) लगभग समान पाएंगे। तो बच्चों
में जो एक दूसरे से फरक आएगा, हम कैसे जानेंगे-- इस मुद्दे पर ज्योतिः गवेषकों ने
परीक्षा अथवा शोध करने के लिए नीचे एक सरल पद्धत्ति समर्पित।।
पहिले जन्म जातक का लग्न को उनका ही लग्न समझ कर विचार कीजिये।।
बाद में जन्म शिशु के लिए, मूल लग्न का भ्रातृ (भग्नि) स्थान तृतीय
भाव को ही उनका लग्न मानकर तथा राशियों में ग्रह स्थिति को हूबहू समान रखकर अलग एक
लग्न कुंडली, भाव- चलित, नवांश कूण्डली आदि बनाइये।।
ऐसे द्वितीय शिशु का कुंडली में जो लग्न हुआ, इसी लग्न से जो है
तृतीय भाव, इसको ही तृतीय शिशु का लग्न मानकर अलग कुंडली बनाइये इत्यादि।।
इस पद्धत्ति
को मातृगर्भ से एक के बाद एक पैदा हुये शिशुओं के लिए लागू कीजिये और अलग- अलग
पूर्णांग कुंडलियां युक्त जातक प्रस्तुत करने के बाद ही अलग- अलग लेकर विचार
कीजिये।।
(जुडुवां
क्षेत्रों में जन्म समय में सामान्य फरक भी दशावशेष में कुछ फ़रक लाएगा। कभी
नक्षत्र चरण और कभी नक्षत्र/ राशि में भी फरक आ जाये तो ताज्जुब की बात नहीं है।।)
ऐसे जुडुवां कुंडलियां प्रस्तुति और विचार पद्धत्ति प्रयोग से कितने प्रतिशत सटीक फल निकलता है, खुद परीक्षा करके देख लीजिए।। अस्तु ।।
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