Friday, August 13, 2021

LATE MARRIAGE वैवाहिक विलम्ब

 LATE MARRIAGE वैवाहिक विलम्ब

जन्मपत्रिका के विभिन्न भावों के साथ-साथ, भावों के आधिपति ग्रह तथा उनका अन्य ग्रहों के साथ सम्बन्ध आदि कारक ही इस समस्या के जनक माने जा सकते हैं। कुछ ऐसे ही ग्रहयोग निम्नलिखित हैं-

 

* जन्मांग में मंगलीक दोष की उपस्थिति। अर्थात् लग्न, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम तथा द्वादश भाव में मंगल हो।

* सप्तम भाव अथवा सप्तमेश से शनि का सम्बन्ध हो।

* सूर्य लग्न अथवा सप्तम भाव में हो।

* जन्मांग में कालसर्पयोग की उपस्थिति विवाह में पर्याप्त विलम्ब का कारण बनती है।

* शुक्र द्वितीय भाव में हो तथा द्वितीयेश मंगल के प्रभाव में हो।

* शनि सूर्य के साथ युति या दृष्टि सम्बन्ध बना रहा हो।

* शनि यदि उच्चस्थ हो पर लग्नेश या योगकारक हो।

* मंगल तथा शुक्र साथ हो तथा इस पर शनि की दृष्टि हो।

* शुक्र चतुर्थ भाव में हो तथा बुध षष्ठस्थ हो।

* सूर्य तथा शनि सम सप्तक में हों।

* नवमेश तृतीय भाव में हो तथा सप्तमेश नवम भाव में हो।

* चन्द्र तथा शुक्र एक साथ हों अथवा परस्पर सप्तम भाव में हों।

* शनि वक्री हो तथा चतुर्थेश अथवा सप्तमेश होकर पाप प्रभाव में हो।

* वक्री शनि का प्रभाव द्वितीय भाव, द्वितीयेश, सप्तम भाव अथवा सप्तमेश पर हो।

* सूर्य शुक्र की राशियों (वृष, तुला) में हो तथा शुक्र सिंह राशि में हो।

* चन्द्रमा और शनि एक दूसरे की राशियों या समसप्तक में हों।

* सप्तम भाव में कर्क राशि हो और वहां शनि और चन्द्र के मध्य युति सम्बन्ध हो।

* शनि एवं मंगल एक दूसरे को पूर्ण दृष्टि से देख रहे हों अथवा उनमें राशि विनिमय हों।

* सप्तमेश वक्री होकर द्वितीय भावस्थ हो तथा शनि से दृष्ट हो।

* अष्टम भाव की नवांश राशि सप्तम भाव में हो और लग्न नवांश राशि में शुक्र हो।

* शुक्र पंचम भाव में हो और चतुर्थ भाव में राहु हो।

* राहु तथा केतु क्रमशः लग्न-सप्तम, द्वितीय-अष्टम अथवा पंचम-एकादश भाव में हो।

* सप्तम भाव पर वक्री ग्रहों का प्रभाव हो।

* जन्मलग्न तथा नवांश दोनों में ही बृहस्पति शनि से दृष्ट हो।

* बृहस्पति यदि शनि की राशियों में हो, विशेष रूप से कुंभ में।

* शुक्र तथा सप्तमेश पर शनि दृष्टिपात कर रहा हो।

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )