SUCCESS IN HOMELAND OR ABROAD भाग्योदय देश या स्वदेश में होगा
भाग्य मतलब कुंडली मे जो भी फल होते है वह आधे भाग्य पर निर्भर करते है बाकी कर्म पर।अब भाग्य मतलब कुंडली का 9वा भाव, अब जब 9वे भाव या 9वे भाव स्वामी का सम्बन्ध जब 12वे भाव या 8वे भाव से या इन भावों के स्वामियों से शुभ स्थिति में सम्बन्ध होने पर बाहर जाकर मतलब घर से दूर रहकर ही भाग्य ज्यादा उज्ज्बल बन पायेगा या बनेगा क्योंकि कुंडली मे 12वे और 8वे भाव घर और जन्मशहर से दूर करने के होते है तो 9वा भाव भाग्य है तो अब जब 9वे भाव या 9वे भाव स्वामी का सम्बन्ध शुभ और बलवान स्थिति में 12वे भाव या 12वे भाव स्वामी या फिर 8वे भाव से होगा या बना हुआ है तब भाग्य बाहर जाकर ही ज्यादा साथ देगा,बाहर जाकर ही भाग्य पूरी तरह खुलेगा साथ देगा, जैसे नौकरी लगने के योग है तब भाग्य बाहर भेजकर घर से दूर भेजकर ही नौकरी दिलायेगा, उन्नति सफलता दिलाएगा, शादी योग है लेकिन भाग्य 12वे भाव या 8वे भाव से जुड़ा है तब भाग्य का ज्यादा अच्छा साथ बाहर से(जन्मशहर से दूर)शादी होने में सफलता मिलेगी मतलब भाग्य बाहर जाकर ही हर काम मे साथ देगा,वरना भाग्य का साथ कम मिलने के कारण जीवन मे कमी और असफलता कई चीजो में बनी रहेगी।।
भाग्य साथ दे अच्छा इसके लिए 9वा भाव और 9वा भाव स्वामी दोनो बलवान और शुभ होने चाहिए।अब कुछ उदाहरणो से समझते है कैसे किन लोगों का भाग्य बाहर(जन्मशहर से दूर) जाने से अच्छा साथ देगा और कितनी दूरी पर जाने से भाग्य का साथ मिलेगा आदि??
#उदाहरण_अनुसार_कर्क_लग्न1:-
कर्क लग्न में भाग्य स्वामी गुरु है अब गुरु या 9वे भाव का सम्बन्ध बलवान और शुभ होकर 12वे भाव से है या 12वे भाव स्वामी बुध से है या 8वे भाव से सम्बन्ध है तब भाग्योदय अच्छा बाहर जाकर ही होगा, भाग्य का साथ जन्मशहर छोडने के बाद ही मिलेगा, हर काम मे भाग्य बाहर जाकर या रहकर साथ देगा आदि।।
#उदाहरण_अनुसार_सिंह_लग्न2:-
सिंह लग्न में भाग्य स्वामी मंगल है अब मंगल और 9वा भाव दोनो शुभ और बलवान स्थिति है और 12वे भाव या 12वे भाव स्वामी चन्द्रमा से बलवान शुभ स्थिति में सम्बन्ध में है तब जन्मशहर या घर से दूर या बाहर रहकर/जाकर ही अच्छा भाग्योदय हो पायेगा, तब ही भाग्य सफलता ज्यादा मात्रा में अच्छी देगा, चाहे जॉब के सम्बन्ध में हो या मकान आदि के सम्बन्ध में।।
#उदाहरण_अनुसार_मीन_लग्न3:-
मीन लग्न में भाग्येश मंगल है अब मंगल और 9वा बलवान और शुभ स्थिति में है और 12वे भाव या 8वे भाव या 12वे भाव स्वामी शनि से सम्बन्ध में है शुभ और बलवान स्थिति में तब बाहर जाकर सफलता हर काम ,हर चीज में अच्छी मिलेगी।। अब 9वे भाव और 9वे भाव स्वामी पर राहु शनि केतु का प्रभाव भी है तब जन्मशहर या जन्मस्थान से काफी दूर जाने पर अच्छा भाग्य बनेगा क्योंकि शनि राहु केतु ज्यादा दूर भेजने वाले ग्रह है।।
No comments:
Post a Comment