BODY PAR TILL MASSE LEHSAN FODE FUNSI CHOT CUT KE NISHAN शरीर पर तिल मस्से लहसन फोड़े फुंसी चोट कट के निशान
भारतीय ज्योतिष में सामुद्रिक शास्त्र में शरीर के विभिन्न अंगों पर पाए जाने वाले तिलों का सामान्य फल इस प्रकार है।
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हमारे शरीर पर कई प्रकार
के जन्म से अथवा जीवन काल के दौरान निकले हुए निशान पाए जाते हैं। जिन्हे हम तिल
या मस्सा के नाम से जानते हैं। शास्त्रों के अनुसार शरीर पर पाए गए यह निशान हमारे
भविष्य और चरित्र के बारे में बहुत कुछ दर्शाते हैं। तिल तथा मस्से का होना दोनों
का एक ही प्रभाव होता है। तिल से हमारे शारीरिक, आर्थिक
एवं चरित्र के बारे में भी काफी कुछ मालूम पड़ता है ।
विशेष :- प्राचीन शास्त्रो में इस
प्रकार के व्यभिचार के योग दिए गए है। परन्तु यह अंतिम निर्णय
नही है। इसके अतिरिक्त अन्य योगो का सूक्ष्म विचार करके ही अंतिम
निर्णय पर पहुँचना चाहिए।
माथे पर - बलवान हो ।
माथे के दाहिनी ओर - धन हमेशा बढ़ता रहेगा।
माथे के बायीं ओर जीवन में संकटों की अधिकता रह सकती है ।
ठुड्डी पर - स्त्री से प्रेम न रहे, स्त्री से मनमुटाव रहे ।
दोनों भौहों पर - अधिकांश समय यात्रा में बितेगा ।
दाहिनी आंख - पराई स्त्री से प्रेम होना ,अच्छे प्रेम संबंध होना ।
बायीं आंख पर - स्त्री से कलह होना ,घोर चिंता और दुख मिल सकता है ।
दाहिनी गाल पर - धनवान, किन्तु घमंडी होए ।
बायीं गाल पर - खर्च बढता रहे।
होंठ पर - विषय-वासना में रमा रहे, कामुक हो।
होंठ के नीचे - निर्धनता हो सकती है।
बाएँ कान के सामने की - व्यक्ति रहस्यमयी होता है, ऐसे व्यक्ति का विवाह अधिक उम्र होने के पश्चात् होए।
बाएँ कान के पीछे - व्यक्ति के ग़लत कार्यो के प्रति झुकाव
हो।
दाँए कान के सामने - व्यक्ति बहुत कम आयु में ही धनवान हो
व्यक्ति का जीवन साथी सुंदर होए ।
दाँए कान के पीछे - कान में किसी भी प्रकार के रोग होने की
सम्भावना होए ।
गर्दन पर - ऐशों आराम मिले ।
कंठ पर - सुरीली आवाज़ का सूचक, संगीत में रूचि होए ।
गले पर और कहीं भी - संगीत के शौक़ीन होते हैं परन्तु गले
सम्बंधित रोग की भी सम्भावना बनती है ।
गले के पीछे - रीढ़ सम्बंधित रोग हो सकते है ।
दाहिनी भुजा पर - मान-प्रतिष्ठा प्राप्त हो ।
बायीं भुजा पर - झगडालू होना ।
नाक पर - यात्रा बहुत होए ।
नाक के अग्र भाग पर - लक्ष्य बना कर चलने वाला हो, विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित होए ।
नाक के नीचे (मूछ वाली जगह )कहीं भी - व्यक्ति विलासी होगा
तथा नींद बहुत अधिक पसंद करेगा।
दाहिनी छाती पर - सुन्दर जीवन साथी मिले, दाम्पत्य जीवन सुखमय हो, धन लाभ भी बने ।
दाहिनी वक्ष पर - जातक कामुक हो, इन्द्रियों को वश में रखे वर्ना बदनामी होने की संभावना ।
बायीं छाती पर - हर्दय सम्बन्धी रोगों की सम्भावना, देर से शादी, स्त्री से मनमुटाव की आशंका ।
बाएँ वक्ष पर - जातक कामुक हो, इन्द्रियों को वश में रखे वर्ना बदनामी होने की संभावना। (दोनों
वक्षों पर तिल का एक ही प्रभाव है।)
दोनों छाती के बीच - जीवन सुखी रहे ।
पेट पर - उत्तम भोजन का इच्छुक ।
पेट के बीचो बीच - डरपोक होगा ।
पीठ पर - ज्यादातर यात्रा करनी पड़े ।
कमर में - उम्र परेशानी में गुजरे ।
पुरूष के गुप्तांग पर - पुरूष अधिक कामुक एवं एक से अधिक
स्त्रियों से संपर्क में रहता है। शिथिल इन्द्रियों के रोग की सम्भावना|
स्त्री के गुप्तांग पर यदि बाएँ तरफ़ - स्त्री अधिक कामुक
होए , कम आयु से ही विपरीत लिंग के संपर्क में रहे अथवा इन्द्रियों
सम्बंधित रोगों से पीड़ा की सम्भावना ।ऐसी स्त्रियाँ कन्या को अधिक जनम दें ।
स्त्री के गुप्तांग पर यदि दाँए तरफ़ - यह भी अधिक कामुक
होए, गुप्तांग में किसी प्रकार के रोग की आशंका । ऐसी स्त्रियाँ कन्या
से अधिक पुत्र को जनम देती दें।
दाहिने हथेली पर - बलवान हो ।
बायीं हथेली पर - खूब खर्च करे,लेकिन ज्यादातर धन व्यर्थ जाये ।
दाहिने हाथ की पीठ पर - धनवान हो ।
बाएं हाथ की पीठ पर - कम खर्च करे ।
दाहिने पैर में - बुद्धिमान हो ।
बाएं पैर में - खर्च अधिक हो ।
घुटने पर - जोडो के दर्द, अस्थि
रोगों की संभावना ।
कलाई पर - ऐसे व्यक्ति को यश नही मिलता है। व्यक्ति को
पुत्र कष्ट भी होता है।
दाँए कांख बगल में - व्यक्ति बहुत धनवान किन्तु कंजूस भी
होए।
बाएँ कांख बगल में - खूब धन कमायें लेकिन रोग और भोग में धन
की बर्बादी।
बाएँ कूल्हे (हिप्स) पर - व्यक्ति को बवासीर, भगंदर सम्बन्धी रोगों की सम्भावना।
दाँए कूल्हे (हिप्स) पर - व्यक्ति अपने व्यापार में बहुत
आगे जाये ।
ध्यान रहे तिल का प्रभाव स्त्री एवं पुरूष दोनों के लिए एक
समान ही होता है
१- ललाट पर तिल – ललाट के मध्य भाग में तिल निर्मल प्रेम की निशानी
है। ललाट के दाहिने तरफ का तिल किसी विषय विशेष में निपुणता, किंतु बायीं तरफ का तिल फिजूलखर्ची का प्रतीक होता है।
ललाट या माथे के तिल के संबंध में एक मत यह भी है कि दायीं ओर का तिल धन
वृद्धिकारक और बायीं तरफ का तिल घोर निराशापूर्ण जीवन का सूचक होता है।
२- भौंहों पर तिल – यदि दोनों भौहों पर तिल हो तो जातक अकसर यात्रा
करता रहता है। दाहिनी पर तिल सुखमय और बायीं पर तिल दुखमय दांपत्य जीवन का संकेत
देता है।
३- आंख की पुतली पर तिल – दायीं पुतली पर तिल हो तो व्यक्ति के
विचार उच्च होते हैं। बायीं पुतली पर तिल वालों के विचार कुत्सित होते हैं। पुतली
पर तिल वाले लोग सामान्यत: भावुक होते हैं।
४- पलकों पर तिल – आंख की पलकों पर तिल हो तो जातक संवेदनशील होता
है। दायीं पलक पर तिल वाले बायीं वालों की अपेक्षा अधिक संवेदनशील होते हैं।
५- आंख पर तिल – दायीं आंख पर तिल स्त्री से मेल होने का एवं बायीं
आंख पर तिल स्त्री से अनबन होने का आभास देता है।
६- कान पर तिल – कान पर तिल व्यक्ति के अल्पायु होने का संकेत देता
है।
७- नाक पर तिल – नाक
पर तिल हो तो व्यक्ति प्रतिभासंपन्न और सुखी होता है। महिलाओं की नाक पर तिल उनके
सौभाग्यशाली होने का सूचक है।
८- होंठ पर तिल – होंठ पर तिल वाले व्यक्ति बहुत प्रेमी हृदय होते
हैं। यदि तिल होंठ के नीचे हो तो गरीबी छाई रहती है।
९- मुंह पर तिल – मुखमंडल के आसपास का तिल स्त्री तथा पुरुष दोनों
के सुखी संपन्न एवं सज्जन होने के सूचक होते हैं। मुंह पर तिल व्यक्ति को भाग्य का
धनी बनाता है। उसका जीवनसाथी सज्जन होता है।
१०- गाल पर तिल – गाल पर लाल तिल शुभ फल देता है। बाएं गाल पर
कृष्ण वर्ण तिल व्यक्ति को निर्धन, किंतु
दाएं गाल पर धनी बनाता है।
११- जबड़े पर तिल – जबड़े पर तिल हो तो स्वास्थ्य की अनुकूलता और
प्रतिकूलता निरंतर बनी रहती है।
ठोड़ी पर तिल – जिस स्त्री की ठोड़ी पर तिल होता है, उसमें मिलनसारिता की कमी होती है।
१२- कंधों पर तिल – दाएं कंधे पर तिल का होना दृढ़ता तथा बाएं कंधे
पर तिल का होना तुनकमिजाजी का सूचक होता है।
१३- दाहिनी भुजा पर तिल – ऐसे तिल वाला जातक प्रतिष्ठित व
बुद्धिमान होता है। लोग उसका आदर करते हैं।
१४- बायीं भुजा पर तिल – बायीं भुजा पर तिल हो तो व्यक्ति झगड़ालू
होता है। उसका सर्वत्र निरादर होता है। उसकी बुद्धि कुत्सित होती है।
१५- कोहनी पर तिल – कोहनी पर तिल का पाया जाना विद्वता का सूचक है।
१६- हाथों पर तिल – जिसके हाथों पर तिल होते हैं वह चालाक होता है।
गुरु क्षेत्र में तिल हो तो सन्मार्गी होता है। दायीं हथेली पर तिल हो तो बलवान और
दायीं हथेली के पृष्ठ भाग में हो तो धनवान होता है। बायीं हथेली पर तिल हो तो जातक
खर्चीला तथा बायीं हथेली के पृष्ठ भाग पर तिल हो तो कंजूस होता है।
१७- अंगूठे पर तिल – अंगूठे पर तिल हो तो व्यक्ति कार्यकुशल, व्यवहार कुशल तथा न्यायप्रिय होता है।
१८- तर्जनी पर तिल – जिसकी तर्जनी पर तिल हो, वह विद्यावान, गुणवान
और धनवान किंतु शत्रुओं से पीड़ित होता है।
१९- मध्यमा पर तिल – मध्यमा पर तिल उत्तम फलदायी होता है। व्यक्ति
सुखी होता है। उसका जीवन शांतिपूर्ण होता है।
२०- अनामिका पर तिल – जिसकी अनामिका पर तिल हो तो वह ज्ञानी, यशस्वी, धनी
और पराक्रमी होता है।
कनिष्ठा पर तिल – कनिष्ठा पर तिल हो तो वह व्यक्ति संपत्तिवान होता
है, किंतु उसका जीवन दुखमय होता है।
२१- जिसकी हथेली में तिल मुठ्ठी में बंद होता है वह बहुत भाग्यशाली
होता है लेकिन यह सिर्फ एक भ्रांति है। हथेली में होने वाला हर तिल शुभ नहीं होता
कुछ अशुभ फल देने वाले भी होते हैं।
२२- सूर्य पर्वत मतलब रिंग फिंगर के नीचे के क्षेत्र पर तिल हो तो
व्यक्ति समाज में कलंकित होता है। किसी की गवाही की जमानत उल्टी अपने पर नुकसान
देती है। नौकरी में पद से हटाया जाना और व्यापार में घाटा होता है। मान- सम्मान पर
प्रभावित होता है और नेत्र संबंधित रोग तंग करते हैं।
२३- बुध पर्वत यानी लिटिल फिंगर के नीचे के क्षेत्र पर तिल हो तो
व्यक्ति को व्यापार में हानि उठानी पड़ती है। ऐसा व्यक्ति हिसाब-किताब व गणित में
धोखा खाता है और दिमागी रूप से कमजोर होता है।
२४- लिटिल फिंगर के नीचे वाला क्षेत्र जो हथेली के अंतिम छोर पर
यानी मणिबंध से ऊपर का क्षेत्र जो चंद्र क्षेत्र कहलाता है, इस क्षेत्र पर यदि तिल हो तो ऐसे व्यक्ति के विवाह में
देरी होती है। प्रेम में लगातार असफलता मिलती है। माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता
है।
२५- गले पर तिल – गले पर तिल वाला जातक आरामतलब होता है। गले पर
सामने की ओर तिल हो तो जातक के घर मित्रों का जमावड़ा लगा रहता है। मित्र सच्चे
होते हैं। गले के पृष्ठ भाग पर तिल होने पर जातक कर्मठ होता है।
२६- छाती पर तिल – छाती पर दाहिनी ओर तिल का होना शुभ होता है। ऐसी
स्त्री पूर्ण अनुरागिनी होती है। पुरुष भाग्यशाली होते हैं। शिथिलता छाई रहती है।
छाती पर बायीं ओर तिल रहने से भार्या पक्ष की ओर से असहयोग की संभावना बनी रहती
है। छाती के मध्य का तिल सुखी जीवन दर्शाता है। यदि किसी स्त्री के हृदय पर तिल हो
तो वह सौभाग्यवती होती है।
२७- कमर पर तिल – यदि किसी व्यक्ति की कमर पर तिल होता है तो उस
व्यक्ति की जिंदगी सदा परेशानियों से घिरी रहती है।
२८- पीठ पर तिल – पीठ पर तिल हो तो जातक भौतिकवादी, महत्वाकांक्षी एवं रोमांटिक हो सकता है। वह भ्रमणशील भी
हो सकता है। ऐसे लोग धनोपार्जन भी खूब करते हैं और खर्च भी खुलकर करते हैं। वायु
तत्व के होने के कारण ये धन संचय नहीं कर पाते।
२९- पेट पर तिल – पेट पर तिल हो तो व्यक्ति चटोरा होता है। ऐसा
व्यक्ति भोजन का शौकीन व मिष्ठान्न प्रेमी होता है। उसे दूसरों को खिलाने की इच्छा
कम रहती है।
३०- घुटनों पर तिल – दाहिने घुटने पर तिल होने से गृहस्थ जीवन
सुखमय और बायें पर होने से दांपत्य जीवन दुखमय होता है।
३१- पैरों पर तिल – पैरों पर तिल हो तो जीवन में भटकाव रहता है।
ऐसा व्यक्ति यात्राओं का शौकीन होता है। दाएं पैर पर तिल हो तो यात्राएं सोद्देश्य
और बाएं पर हो तो निरुद्देश्य होती हैं।
गोपनीयता व् दुरूपयोग न हो इस ज्ञान का इस कारन से इस लेख में
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समुद्र विज्ञान के अनुसार जिनके पांवों में तिल का चिन्ह होता है उन्हें अपने जीवन में अधिक यात्रा करनी पड़ती है। दाएं पांव की एड़ी अथवा अंगूठे पर तिल होने का एक शुभ फल यह माना जाता है कि व्यक्ति विदेश यात्रा करेगा। लेकिन तिल अगर बायें पांव में हो तो ऐसे व्यक्ति बिना उद्देश्य जहां-तहां भटकते रहते हैं।
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