Tuesday, November 23, 2021

GROCERY STORE PROFESSION किराना दुकान कैसी रहेगी

GROCERY STORE PROFESSION किराना दुकान कैसी रहेगी



किराना दुकान मतलब परचूनी दुकान, आज इसी विषय पर बात करते है कब किराना दुकान खोलने पर अच्छी सफलता और धन लाभ होता है साथ ही छोटे स्तर पर या बड़े स्तर पर किराना दुकान व्यापार में सफलता है कुंडली मे।।

किराने दुकान के लिए बड़े स्तर पर सफलता तब ही मिलेगी जब दसवे भाव या दसवे भाव स्वामी(रोजगार/बड़ी सफलता भाव) का संबंन्ध सातवे भाव या सातवें भाव सहित दूसरे भाव या दूसरे भाव स्वामी से अच्छी स्थिति में होगा तब किराने की दुकान का व्यापार, किराने का काम मे बड़ी सफलता मिलकर काम चलेगा, अब जबकि केवल सातवें भाव या सातवें भाव स्वामी(दुकानदारी व्यवसाय सामान्य स्तर पर) का संबंन्ध 11वे भाव या 11वे भाव स्वामी(लाभ) से है दूसरे भाव(धन और खान पिन वस्तुएं) सहित तब सामान्य स्तर पर किराना दुकान ,किराना व्यवसाय हो सकता है।दूसरा भाव खाने पीने की वस्तुओं का है तो दसवाँ भाव रोजगार का तो सातवाँ भाव दुकानदारी और रोज की आय का है।अब कुछ उदाहरणो से समझते है कौन लोग किराना व्यवसाय कर सकते है और हॉलसेल स्तर पर या सामान्य स्तर पर

#उदाहरण_अनुसार_वृष_लग्न1:-

वृष लग्न में दसवे भाव स्वामी शनि द्वितीयेश बुध सहित सातवें भाव या सातवें भाव सहित मंगल से सम्बन्ध में है और बुध शनि मंगल तीनो बलवान स्थिति में है तब किराना दुकान व्यापार हॉलसेल पर या बड़े स्तर पर अच्छी सफलता दे देगा।।

#उदाहरण_अनुसार_कन्या_लग्न2:-

कन्या लग्न में सातवें भाव(व्यापार)स्वामी गुरु का संबंन्ध 11वे भाव लाभ स्वामी गुरु से है दूसरे भाव या दूसरे भाव स्वामी शुक्र सहित(खान-पीने की वस्तु भाव) से है बुध बलवान है तब किराना स्टोर/किराना काम सामान्य स्तर पर अच्छा धनलाभ कराएगा जबकि इसी सम्बन्ध में 10वे भाव या 10वे भाव स्वामी का भी सम्बन्ध है तब बड़े स्तर पर थोक स्तर पर या बड़े स्तर के किराना काम मे सफलता मिलकर धनलाभ रहेगा।।

जब भी दसवे भाव या इस भाव स्वामी दूसरे भाव या दूसरे भाव स्वामी से अच्छी स्थिति में सम्बन्ध में है तब किराना स्टोर/किराना दुकान काम बड़े स्तर पर जबकि सातवे भाव से ही दूसरे भाव सम्बन्ध है बुध व 11वा भाव बलवान है तब सामान्य स्तर पर किराना वस्तुओं का काम करने से धन लाभ होगा।।

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )