Thursday, April 16, 2020

सर्व यंत्र मन्त्र उत्कीलन स्तोत्र Sarv Yantra Mantra Utkilan Stotram

 सर्व यंत्र मन्त्र उत्कीलन स्तोत्र Sarv Yantra Mantra Utkilan Stotram


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सर्व यंत्र मन्त्र उत्कीलन स्तोत्र

माँ पार्वती ने एक समय जब शिवजी से पूछा की अगर किसी की यन्त्र या मंत्र उत्कीलित विधी पता ना हो तो क्या करे | 
तब उत्तर में शिवजीने यह उत्तम स्तोत्र माँ पार्वती जी को बताया था | 
इस के माहात्म्य में भगवान् ने कहा है 
" यस्य स्मरण मात्रेण पाठेन जपतोऽपि वा | 
अकीला अखिला मन्त्राः सत्यं सत्यं न संशयः ||"
इस स्तोत्र के स्मरण मात्र से कीलित स्तोत्र दोषमुक्त हो जाते है | 


सभी मन्त्र-यन्त्र-कवचको जागृत करने का उत्तम स्तोत्र 

|| श्री पार्वती उवाच || 
देवेश परमानन्द भक्तनामभयं प्रद | 
आगमाः निगमाश्चैव वीजं वीजोदयस्तथा || 
समुदायेन वीजानां मन्त्रो मंत्रस्य संहिता | 
ऋषिच्छन्दादिकं भेदो वैदिकं यामलादिकं || 
धर्मोऽधर्मस्तथा ज्ञानं विज्ञानं च विकल्पन |
निर्विकल्प विभागेन तथा षट्कर्म सिद्धये ||
भुक्ति मुक्ति प्रकारश्च सर्वं प्राप्तं प्रसादतः |
कीलनं सर्वमंत्राणां शंसयद हृदये वचः ||
इति श्रुत्वा शिवानाथः पार्वत्या वचनं शुभं | 
उवाच परया प्रीत्या मन्त्रोंत्कीलनकं शिवां ||

|| श्री शिवउवाच || 
वरानने हि सर्वस्य व्यक्ताव्यक्तस्य वस्तुनः | 
साक्षी भूय त्वमेवासि जगतस्तु मनोस्तथा || 
त्वया पृष्टं वरारोहे तद वक्ष्याम्युतकीलनं | 
उद्दीपनं हि मंत्रस्य सर्वस्योंत्कीलनं भवेत् || 
पुरा तव मया भद्रे समाकर्षण वश्यजा | 
मंत्राणां कीलिता सिद्धिः सर्वे ते सप्तकोटयः || 
तवानुग्रह प्रीतस्त्वात सिद्धिस्तेषां फलप्रदा | 
येनोपायेन भवति तं स्तोत्रं कथयाम्यहं || 
श्रुणु भद्रेऽत्र सततमावाभ्यामखिल जगत | 
तस्य सिद्धिभवेत तिष्ठे माया येषां प्रभावकं || 
अन्नं पानं हि सौभाग्यं दत्तं तुभ्यं मया शिवे | 
सञ्जीवनं च मंत्राणां तथा दत्तुम पुनर्ध्रुवं || 
 यस्य स्मरण मात्रेण पाठेन जपतोऽपि वा | 
अकीला अखिला मन्त्राः सत्यं सत्यं न संशयः ||"

|| सर्वयन्त्र मंत्र तन्त्रोंत्कीलन स्तोत्रम || 

|| विनियोगः || 
ॐ अस्य सर्वयन्त्र मन्त्र तंत्राणामुत्कीलन मन्त्र स्तोत्रस्य मूल प्रकृतिः ऋषिः जगतीच्छन्दः निरञ्जनो देवता क्लीं बीजं ह्रीं शक्तिः ह्रः सौं कीलकं सप्तकोटि मन्त्र यन्त्र तन्त्र कीलकानां सञ्जीवन सिद्धयर्थे जपे विनियोगः | 
ऋष्यादिन्यासः 
ॐ मूलप्रकृति ऋषये नमः शिरसि | 
ॐ जगतीच्छन्दसे नमः मुखे | 
ॐ निरञ्जन देवतायै नमः हृदि | 
ॐ क्लीं बीजाय नमः गुह्ये | 
ॐ ह्रीं शक्तये नमः पादयोः | 
ॐ ह्रः सौं कीलकाय नमः सर्वाङ्गे | 
मंत्राणां सञ्जीवन सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगाय नमः अंजलौ | 
करन्यास 
ॐ ह्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः | 
ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः | 
ॐ ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः | 
ॐ ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः | 
ॐ ह्रां कनिष्ठिकाभ्यां नमः | 
ॐ ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः | 

हृदयादि न्यास 
ॐ ह्रां हृदयाय नमः | 
ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा | 
ॐ ह्रूं शिखायै वौषट | 
ॐ ह्रैं कवचाय हुम् | 
ॐ ह्रां नेत्रत्रयाय वौषट | 
ॐ ह्रः अस्त्राय फट | 

अथ ध्यानम 
ॐ ब्रह्मस्वरूपममलं च निरंजनं तँ ज्योतिः प्रकाशमनीषं महतो महान्तं | 
कारुण्यरुपमति बोधकरं प्रसन्नं दिव्यं स्मरामि सततं मनु जीवनाय || 
एवं ध्यात्वा स्मरेन्नित्यं तस्य सिद्धिस्तु सर्वदा | 
वाञ्छितं फलमाप्नोति मन्त्र सञ्जीवनं ध्रुवम || 

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं सर्व मन्त्र यन्त्र तंत्रादीनामुत्कीलनं कुरु कुरु स्वाहा || 
( १०८ वारं जपित्वा )
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं षट्पञ्चाक्षराणामुत्कीलय उत्कीलय स्वाहा | 
ॐ जूँ सर्वमन्त्र यन्त्र तन्त्राणां सञ्जीवनं कुरु कुरु स्वाहा | 
ॐ ह्रीं जूं अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ॠ लृं लृं एम् ऐं ओं औं अं अः 
कं खं गं घं ङ्गं चं छं जं झं ञं टं ठं डं ढं णं 
तँ थं दं धं नं पं फं बं भं यं रं लं वं शं षं सं हं लं क्षं | 
मात्राऽक्षराणां सर्व उत्कीलनं कुरु कुरु स्वाहा | 
ॐ सोऽहं हंसोऽहं ( 11 ) 
ॐ जूं सोऽहं हंसः ( 11 ) 
ॐ ॐ ( 11 ) 
ॐ हं जूं हं सं गं ( 11 ) 
सोऽहं हंसो यं ( 11 ) 
लं ( 11 ) 
ॐ ( 11 )
यं ( 11 )
ॐ ह्रीं जूं सर्वमन्त्र यन्त्र तन्त्र स्तोत्र कवचादिनां सञ्जीवय सञ्जीवय कुरु कुरु स्वाहा | 
ॐ सोऽहं हंसः ॐ सञ्जीवनं स्वाहा | ॐ ह्रीं मन्त्राक्षराणामुत्कीलय उत्कीलनं कुरु कुरु स्वाहा | 
ॐ ॐ प्रणवरूपाय अं आं परम रूपिणे | इं ईं शक्तिस्वरूपाय |
उं ऊं तेजोमयाय च | ऋं ऋं रञ्जितदीप्ताय स्वाहा | 
लृं लृ स्थूलस्वरूपिणे | एम् ऐं वाचां विलासाय | 
ओं औं अं अः शिवाय च | कं खं कमलनेत्राय | 
गं घं गरुड़गामिने | ङ्गं चं श्रीचन्द्रभालाय | 
छं जं जयकराय च | झं ञं टं ठं जयकर्त्रे,डं ढं णं तं पराय च | 

थं दं धं नं नमस्तस्मै पं फं यन्त्रमयाय च | 
बं भं मं बलवीर्याय यं रं लं यशसे नमः | 
वं शं षं बहुवादाय सं हं ळं क्षं स्वरूपिणे | 
दिशामादित्य रूपाय तेजसे रुपधारिणे | 
अनन्ताय अनन्ताय नमस्तस्मै नमो नमः || 
मातृकायाः प्रकाशायै तुभ्यं तस्मै नमो नमः | 
प्राणेशायै क्षीणदायै सं सञ्जीव नमो नमः || 
निरञ्जनस्य देवस्य नामकर्म विधानतः | 
त्वया ध्यानं च शक्त्या च तेन सञ्जायते जगत || 
स्तुता महमचिरं ध्यात्वा मायायाँ ध्वंस हेतवे | 
संतुष्टा भार्गवायाहं यशस्वी जायते हि सः || 
ब्रह्माणं चेतयन्ती विविधसुर नरास्तर्पयन्ती प्रमोदाद | 
ध्यानेनोद्दीपयन्ती निगम जप मनुं षट्पदं प्रेरयन्ती || 
सर्वान्देवाँ जयन्ती दितिसुत दमनी साप्यहँकारमूर्ति | 
स्तुभ्यं तस्मै च जाप्यं स्मर रचित मनुं मोचये शाप जाळात || 
इदं श्रीत्रिपुरा स्तोत्रं पठेद भक्त्या तु यो नरः | 
सर्वांकामानवाप्नोति सर्वशापाद विमुच्यते ||
|| इति ||

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )