बगलामुखी शाबर मंत्र व स्तोत्र
दक्षिणा 501 /- ज्योतिष तंत्र मंत्र यंत्र टोटका वास्तु कुंडली हस्त रेखा राशि रत्न,भूत प्रेत जिन जिन्नात बुरे गंदे सपने का आना, कोर्ट केस, लव मैरिज, डाइवोर्स, वशीकरण पितृ दोष कालसर्प दोष चंडाल दोष गृह क्लेश बिजनस विदेश यात्रा, अप्सरा परी साधना, अघोर साधनायें , समशान तांत्रिक साधनायें, सास बहु, सास ससुर, पति पत्नी, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, नन्द नन्दोई, साला साली, सभी झगड़े विवाद का हल व वशीकरण कार्य किया जाता है
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माता बगलामुखी के कई शाबर मंत्र मिलते है, ये मंत्र रक्षा कारक, विरोधियो का स्तम्भन , ग्रह बाधा स्तम्भन , वशीकरण आदि प्रयोजन के लिए उत्तम है।
शाबर मंत्र की शक्ति गुरु कृपा और व्यक्ति के आत्मबल के साथ उसकी आतंरिक उर्जा से चलती है।
मंत्र की शक्ति पूर्व संस्कार और कर्मो पर भी निर्भर करती है। शाबर मंत्र स्वयम सिद्ध होते हैं और इनमें ध्यान प्रधान है, आप जितने गहरे ध्यान में जाकर जप करेगे उतनी शक्ति का प्रवाह होगा।शाबर मंत्र के लिए यह कहा गया है की १००० जाप पे सिद्धि , ५००० जाप पे उत्तम सिद्धि और १०००० जाप पे महासिद्धि।
मंत्र :
ॐ मलयाचल बगला भगवती माहाक्रूरी माहाकराली
राज मुख बन्धनं , ग्राम मुख बन्धनं , ग्राम पुरुष बन्धनं ,
काल मुख बन्धनं , चौर मुख बन्धनं , व्याघ्र मुख बन्धनं ,
सर्व दुष्ट ग्रह बन्धनं , सर्व जन बन्धनं , वशिकुरु हूँ फट स्वाहा।।
"विधान"
इस मंत्र का जप माता बगला के सामान्य नियमो का पालन करते हुए किसी शुभ मुहूर्त से शुरू कर विधि विधान सहित १० माला प्रतिदिन करें ११ दिनों तक और दशान्श हवन करें और नित्य १ माला जप करते रहें मंत्र जागृत रहेगा।
किसी भी प्रयोग को करने के लिए संकल्प लें , कम से कम ५ माला जप करें और हवन कर दें प्रयोग सिद्ध होगा। रक्षा के लिए ७ बार मंत्र पढ़ के छाती पे और दसो दीशाओ मैं फुक मार दें , किसी भी चीज़ का भय नहीं रहेगा। नियमित जाप से मंत्र मैं लिखे सभी कार्य स्वयम सिद्ध होते हैं अलग से प्रयोग की आवश्यकता नहीं है। मंत्र को ग्रहण , दिवाली आदी पर्व में जप कर पूर्णता जागृत रखें। नज़र दोष के लिए मंत्र को पढ़ते हुए मोर पंख से झाडे। पीला नेवेद्य माता को अर्पित करे।ध्यान मग्न होकर जप करने से जल्दी सिद्ध होता है।
बगलामुखी स्तोत्र
नमो देवि बगले! चिदानंद रूपे, नमस्ते जगद्वश-करे- सौम्य रूपे।
नमस्ते रिपु ध्वंसकारी त्रिमूर्ति, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते।।
सदा पीत वस्त्राढ्य पीत स्वरूपे, रिपु मारणार्थे गदायुक्त रूपे।
सदेषत् सहासे सदानंद मूर्ते, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते।।
त्वमेवासि मातेश्वरी त्वं सखे त्वं, त्वमेवासि सर्वेश्वरी तारिणी त्वं।
त्वमेवासि शक्तिर्बलं साधकानाम, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते।।
रणे, तस्करे घोर दावाग्नि पुष्टे, विपत सागरे दुष्ट रोगाग्नि प्लुष्टे।।
त्वमेका मतिर्यस्य भक्तेषु चित्ता, सषट कर्मणानां भवेत्याशु दक्षः।।
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