Thursday, April 16, 2020

समस्त पापनाशक विष्णु स्तोत्र

समस्त पापनाशक विष्णु स्तोत्र


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यह स्तोत्र सभी पापोंका विनाश करता है यह एक मात्र स्पेशल ऐसा स्तोत्र है जो पापो का विनाश करने के लिए ही है  पुष्कर उवाच  परदारपरद्रव्य जीवहिंसादिके यदा | प्रवर्तते नृणां चित्तं प्रायश्चित्तं स्तुतिस्तदा || विष्णवे विष्णवे नित्यं विष्णवे विष्णवे नमः | नमामि विष्णुं चित्तस्थमहँकारगतिं हरिम् || चित्तस्थमीशमव्यक्त मनन्तमपराजितम् | विष्णुमीड्यमशेषेण अनादिनिधनं विभुम् || 

विष्णुश्चित्तगतो यन्मेविष्णुर्बुद्धिगतश्च यत् | 
यच्चाहन्कारगो विष्णुर्यव्दीष्णुर्मयिसंस्थितः || 
करोति कर्मभूतौऽसो स्थावरस्य चरस्य च | 
तत्  पापन्नाशमायातु तस्मिन्नेव हि चिन्तिते || 
ध्यायो हरति यत् पापं स्वप्ने द्दृष्टस्तु भावनात | 
तमुपेन्द्रमहँ विष्णुर्प्रणतार्त्तिहरं हरिम् || 

जगत्यस्मिन्निराधारे मज्जमाने तमस्यधः | 
हस्तावलम्बनं विष्णुं प्रणमामि परात्परम् || 
सर्वेश्वरस्य विभो परमात्मन्नधोक्षज | ( सर्वेश्वर )
हृषीकेष हृषीकेश हृषीकेश नमोस्तुते || 
नृसिंहानन्त गोविन्द भूतभावन केशव | 
दुरुक्तं दुष्कृतं ध्यातं शमयाघन्नमोस्तुते || 

यन्मया चिन्तितं दुष्टं स्वचित्तवशवर्त्तिना | 
अकार्यमहदत्युग्रन्तच्छमन्नय केशव || 
ब्रह्मण्यदेव गोविन्द परमार्थपरायण | 
जगन्नाथ जगदद्यातः पापं प्रशमयाच्युत || 
यथापराह्ने सायाह्ने मध्याह्ने च तथा निशि | 
कायेन मनसा वाचा कृतं पापमजानता || 

जानता च हृषिकेश पुण्डरीकाक्ष माधव | 
नामत्रयोच्चारणतः स्वप्ने यातु मम क्षयम् || 
शरीरं में हृषिकेश पुण्डरीकाक्ष माधव | 
पापं प्रशमयाद्यत्वं वाक्कृतं मम माधव || 
यद्भुञ्जन्यत्स्त्वपंस्तिष्ठन गच्छन जाग्रद यदास्थितः | 
कृतवान पापमद्याहं कायेन मनसागिरा || 

यत स्वल्पमपि यत स्थूलं कुयोनिनरकाहम् | 
तद्यातु प्रशमंसर्व वासुदेवानु कीर्तनात || 
परं ब्रह्म परं धाम पवित्रं परमञ्ज यत | 
तस्मिन् प्रकीर्तिते विष्णौ यत पापं तत प्रणश्यतु || 
यत प्राप्य न निवर्तन्ते गन्धस्पर्शादि वर्जितम | 
सूरयस्तत पदं विष्णोस्तत सर्वं शमयत्वधम || 

|| फलश्रुतिः || 
पापप्रणाशनं स्तोत्रं यः पठेच्छृणुयादपि | 
शारीरैर्मानसैर्वाग्जैः कृतैः पापैः प्रमुच्यते || 
सर्वपापग्रहादिभ्यो यातिविष्णोः परं पदम् | 
तस्मात्पापे कृते जप्यंस्तोत्रंसर्वाघमर्दनम || 
प्रायश्चित्तमघौघानां स्तोत्रं व्रतकृते वरम | 
प्रायश्चितैः स्तोत्रजपैर्वृतैर्नश्यति पातकम || 
ततः कार्याणि संसिद्धयै तानि वै भुक्तिमुक्तये || 

|| इति श्री अग्निमहापुराणे पापनाशन विष्णुः स्तोत्र सम्पूर्णं ||

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )