Thursday, April 16, 2020

शनि साढ़ेसाती या ढैय्या है, तो अपनाएं यह उपाय

शनि साढ़ेसाती या ढैय्या है, तो अपनाएं यह उपाय


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साढ़ेसाती -
जब शनि गोचर में जन्मकालीन राशि से द्वादश, चन्द्र लग्न व द्वितीय भाव में स्थित होता है तब इसे शनि की 'साढ़ेसाती' या 'दीर्घ कल्याणी' कहा जाता है। शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है। इस प्रकार 'साढ़ेसाती' की संपूर्ण अवधि साढ़े सात वर्ष की मानी जाती है। सामान्यतः साढ़ेसाती अशुभ व कष्टप्रद मानी जाती है, परंतु यह एक भ्रांत धारणा है। कुण्डली में स्थित शनि की स्थिति को देखकर ही शनि की साढ़ेसाती का फल कहना चाहिए।

ढैय्या -
इसी प्रकार शनि जब गोचर में जन्मकालीन राशि से चतुर्थ व अष्टम भाव में स्थित होता है तब इसे शनि का 'ढैय्या' या 'लघु कल्याणी' कहा जाता है। इसकी अवधि ढाई वर्ष की होती है। इसका फल भी साढ़ेसाती के अनुसार ही होता है।

शनि पाया विचार -
जन्मकालीन राशि से जब शनि 1, 6, 11वीं राशि में हो तो सोने का पाया, 2, 5, 9वीं राशि में हो तो चांदी का पाया, 3, 7, 10वीं राशि में हो तो तांबे का पाया तथा 4, 8, 12वीं राशि में हो तो लोहे का पाया माना जाता है। इसमें सोने का पाया सर्वोत्तम, चांदी का मध्यम, तांबे व लोहे के पाये निम्न व नेष्ट माने जाते हैं।

शनि शांति के उपाय -

1. शनि की प्रतिमा पर सरसों के तेल से अभिषेक करना।
2. दशरथ द्वारा रचित शनि स्तोत्र का पाठ।
3. हनुमान चालीसा का पाठ व दर्शन।
4. शनि की पत्नियों के नामों का उच्चारण।
5. चींटियों के आटा डालना।
6. डाकोत को तेल दान करना।
7. काले कपड़े में उड़द, लोहा, तेल, काजल रखकर दान देना।
8. काले घोड़े की नाल की अंगूठी मध्यमा अंगुली में धारण करना।
9. नौकर-चाकर से अच्छा व्यवहार करना।
10. छाया दान करना।

शनि ग्रह से बचने के उपाय
कुछ लोग शनि की साढ़े साती या ढैय्या से डरते हैं। साढ़े साती या ढैय्या न भी हो तो भी यदि उनके कर्म खराब हैं तो लोगों को शनि के बुरा प्रभाव को छेलना ही होता है। शनि, राहु और केतु एक क्रूर ग्रह है जिनके प्रभाव से कोई बच नहीं सकता। यदि आप पर शनि का बुरा प्रभाव हो तो आप के लिए यहां प्रस्तुत है 7 सरल और अचूक उपाय।

शनि के अशुभ होने की निशानी
शनि के अशुभ प्रभाव के कारण मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता है या क्षति ग्रस्त हो जाता है, नहीं तो कर्ज या लड़ाई-झगड़े के कारण मकान बिक जाता है। अंगों के बाल तेजी से झड़ जाते हैं। नखून कमजोर हो जाते हैं। घर में अचानक आग लग सकती है। धन, संपत्ति का किसी भी तरह से नाश होता है। समयपूर्व दांत और आंख की कमजोरी हो जाती है।

उपाय से पहले सावधानी जरूरी :
1.दांत साफ रखें।
2.झूठी गवाही से बचें।
3.श‍राब पीते हो तो पीना छोड़ दें।
4.जुआ सट्टा न खेंले, ब्याज का धंधा न करें।
5.पिता और पुत्र का कभी अनादर ना करें।
6.पति या पत्नी के प्रति वफादार बनकर रहें।
7.नास्तिक और नास्तिकता के विचारों से दूर रहें।
8.हमेशा सिर ढक कर ही मंदिर जाएं।

शनि के  उपाय :
1.छाया दान करें।
2.प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें।
3.भैरव बाबा को शराब चढ़ाएं।
4कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं।
5.अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाइकर्मियों को खुश रखें और उन्हें दान दें।
6.शहद का सेवन करें, शहद में काले तिल मिलाकर मंदिर में दान करें या शहद को घर में हमेशा रखें।
7.तिल, उड़द, लोहा, तेल, काला वस्त्र और जूता दान देना चाहिए।
शनि की साढ़े साती, ढय्या या शनि के प्रकोप से डरने की जरूरत नहीं। हां, शनि ग्रह का प्रभाव हमारे शरीर पर जरूर रहता है लेकिन वह कितने समय तक और कैसा रहता है यह जानना जरूरी है। उपयोक्त बताएं गए उपाय से जरूरी है सावधानियां। उपाय न भी करें और यदि सावधानियों का पालन करते रहेंगे तो शनि के प्रभाव से मुक्ति मिल जाएगी।

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