Saturday, April 18, 2020

जेल यात्रा योग JAIL YATRA YOG

जेल यात्रा योग JAIL YATRA YOG



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जेल यात्रा योगः

यूं तो आज सरकार ने इतने सरल सरल नियम और व्यवस्थायें बना दी हैं, की कब कौन किस सच्चे/झूठे "अपराध" में जेल चला जाय पता ही नहीं..।

फिर भी ज्योतिष के हिसाब से कुंडली में ग्रहों की कुछ स्थितियाँ भी बता देती हैं कि जेल यात्रा के योग है या नहीं ?
जी हाँ, कुंडली में सूर्य, शनि, मंगल और राहु-केतु जैसे पाप ग्रह बता देते हैं कि आपकी कुंडली में जेल जाने के योग है या नहीं।
अगर किसी की कुंडली के छठें आठवें या बारहवें भाव में पाप ग्रह होते हैं तो ऐसे लोगों को जीवन में एक न एक बार जेल यात्रा करनी पड़ती है। (जेल की अवधि ग्रहों के अंशों और बलों के आधार पर तय होती है।)

कुंडली के छठे आठवें और बारहवें भाव से जेल जाने के कुछ योग निम्नवत हैं-

- कुंडली के बारहवें भाव से भी कारावास का विचार किया जाता है। कुंडली के इस घर में वृश्चिक या धनु राशी का राहु हो तो उसके अशुभ प्रभाव के कारण
व्यक्ति को किसी बड़े अपराध के कारण जेल जाना पड़ता है।

- कुंडली के बारहवें घर में वृश्चिक राशी होने के साथ अगर राहु और शनि होते है तो कोर्ट कचहरी के मामलों में हारने के बाद जेल जाना पड़ता है।

- कर्क राशी स्थित मंगल कुंडली के छठे घर में होने से जेल यात्रा के योग बनाता है।

- अगर कुंडली में मंगल और शनि एक दूसरे को देख
रहें हो तो लड़ाई झगड़े के कारण व्यक्ति को जेल जाना पड़ेगा।

- अगर कुंडली में नीच का मंगल हो और मेष राशि का शनि, मंगल को देखता भी हो तो भी जेल जाने के योग बनते हैं।

- पराक्रम भाव एवं अष्टम भाव का स्थान परिवर्तन, भावेश द्वारा दृष्टि सम्बन्ध, भावेश की दशा-प्रत्यंतर, ग्रह गोचर द्वारा दुर्भाग्य उद्दीपन होने पर जेल जाने की स्थिति प्रबलता से बनती है।

- लग्नेश या लग्न पर मारकेश या वक्री ग्रह की दृष्टि के प्रभाव वश भी ऐसी स्थिति बनती है।

जन्म कुंडली में उपर्युक्त किसी भी स्थिति का निर्माण होने पर जातक परिस्थितियोंवश कोर्ट कचहरी, मुक़दमे, फौजदारी या सामाजिक अपयश वश जेलयात्रा (कारावास) को प्राप्त होता है। ऐसी किसी भी स्थिति के बनने पर व्यक्ति को सावधान हो जाना चाहिये। ..और अपने कर्मों में उचित सुधार कर लेना चाहिये। क्योंकी दवा कराने से बेहतर है, परहेज-

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )