Thursday, April 16, 2020

शनिदेव के 5 सूत्र यश, समृद्धि, कीर्ति और वैभव

शनिदेव के 5 सूत्र यश, समृद्धि, कीर्ति और वैभव


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1. जीवन के हर्षित पल में शनि की प्रशंसा करनी चाहिए।
2. आपातकाल में भी शनि का दर्शन करना चाहिए।
3. मुश्किल समय में शनिदेव की पूजा करनी चाहिए।
4. जीवन के हर पल शनिदेव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना चाहिए।
5. प्रतिदिन न हो सके तो हर शनिवार को शनि-दर्शन करना ही चाहिए।
शिंगणापुर में हर साल शनि जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन शनिदेव का जन्मदिवस मनाया जाता है। वैशाख बदी चतुर्दशी अमावस के दिन आमतौर पर शनि जयंती आती है। इस दिन शिंगणापुर में शनिदेव की प्रतिमा नील वर्ण की दिखती है। 5 दिनों तक यज्ञ
और 7 दिनों तक भजन, प्रवचन व कीर्तन का सप्ताह कड़ी धूप में मनाया जाता है। इस दिन यहां 11 ब्राह्मण पंडितों से लघुरुद्राभिषेक संपन्न होता है। यह कुल 12 घंटे तक चलता है। अंत में महापूजा से उत्सव का समापन होता है।
शुरुआत में इसी दिन मूर्ति को पंचामृत, तेल तथा पड़ोस के कुएं के पानी और गंगाजल से नहलाया जाता है। इस कुएं के पानी का उपयोग केवल मूर्ति सेवा के लिए ही किया जाता है। स्नान के बाद मूर्ति पर नौरत्न हार, जो सोने व हीरे से रत्नजड़ित रहता है, चढ़ाया जाता है।

शनि शिंगणापुर : खुले आसमान के नीचे विराजित हैं शनि देवता

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )