शनिदेव के 5 सूत्र यश, समृद्धि, कीर्ति और वैभव
दक्षिणा 2100 /- ज्योतिष तंत्र मंत्र यंत्र टोटका वास्तु कुंडली हस्त रेखा राशि रत्न,भूत प्रेत जिन जिन्नात बुरे गंदे सपने का आना, कोर्ट केस, लव मैरिज, डाइवोर्स, वशीकरण पितृ दोष कालसर्प दोष चंडाल दोष गृह क्लेश बिजनस विदेश यात्रा, अप्सरा परी साधना, अघोर साधनायें , समशान तांत्रिक साधनायें, सास बहु, सास ससुर, पति पत्नी, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, नन्द नन्दोई, साला साली, सभी झगड़े विवाद का हल व वशीकरण कार्य किया जाता है
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1. जीवन के हर्षित पल में शनि की प्रशंसा करनी चाहिए।
2. आपातकाल में भी शनि का दर्शन करना चाहिए।
3. मुश्किल समय में शनिदेव की पूजा करनी चाहिए।
4. जीवन के हर पल शनिदेव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना चाहिए।
5. प्रतिदिन न हो सके तो हर शनिवार को शनि-दर्शन करना ही चाहिए।
शिंगणापुर में हर साल शनि जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन शनिदेव का जन्मदिवस मनाया जाता है। वैशाख बदी चतुर्दशी अमावस के दिन आमतौर पर शनि जयंती आती है। इस दिन शिंगणापुर में शनिदेव की प्रतिमा नील वर्ण की दिखती है। 5 दिनों तक यज्ञ
और 7 दिनों तक भजन, प्रवचन व कीर्तन का सप्ताह कड़ी धूप में मनाया जाता है। इस दिन यहां 11 ब्राह्मण पंडितों से लघुरुद्राभिषेक संपन्न होता है। यह कुल 12 घंटे तक चलता है। अंत में महापूजा से उत्सव का समापन होता है।
शुरुआत में इसी दिन मूर्ति को पंचामृत, तेल तथा पड़ोस के कुएं के पानी और गंगाजल से नहलाया जाता है। इस कुएं के पानी का उपयोग केवल मूर्ति सेवा के लिए ही किया जाता है। स्नान के बाद मूर्ति पर नौरत्न हार, जो सोने व हीरे से रत्नजड़ित रहता है, चढ़ाया जाता है।
शनि शिंगणापुर : खुले आसमान के नीचे विराजित हैं शनि देवता
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