Saturday, April 18, 2020

दश महाविद्या स्तोत्रम् DUS MAHAVIDYA STOTRAM

दश महाविद्या स्तोत्रम् DUS MAHAVIDYA STOTRAM


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॥ *दशमहाविद्यास्तोत्रम्* ॥

*ॐ* *नमस्ते चण्डिके चण्डि चण्डमुण्डविनाशिनि* ।
*नमस्ते कालिके कालमहाभयविनाशिनि* ॥ १॥

*शिवे रक्ष जगद्धात्रि प्रसीद हरवल्लभे* ।
*प्रणमामि जगद्धात्रीं जगत्पालनकारिणीम्* ॥ २॥

*जगत् क्षोभकरीं विद्यां जगत्सृष्टिविधायिनीम्* ।
*करालां विकटां घोरां मुण्डमालाविभूषिताम्* ॥ ३॥

*हरार्चितां हराराध्यां नमामि हरवल्लभाम्* ।
*गौरीं गुरुप्रियां गौरवर्णालङ्कारभूषिताम्* ॥ ४॥

*हरिप्रियां महामायां नमामि ब्रह्मपूजिताम्*।
*सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्धविद्याधरङ्गणैर्युताम्* ॥ ५॥

*मन्त्रसिद्धिप्रदां योनिसिद्धिदां लिङ्गशोभिताम्* ।
*प्रणमामि महामायां दुर्गां दुर्गतिनाशिनीम्* ॥ ६॥

*उग्रामुग्रमयीमुग्रतारामुग्रगणैर्युताम्* ।
*नीलां नीलघनश्यामां नमामि नीलसुन्दरीम्* ॥ ७॥

*श्यामाङ्गीं श्यामघटितां श्यामवर्णविभूषिताम्* ।
*प्रणमामि जगद्धात्रीं गौरीं सर्वार्थसाधिनीम्* ॥ ८॥

*विश्वेश्वरीं महाघोरां विकटां घोरनादिनीम्* ।
*आद्यामाद्यगुरोराद्यामाद्यनाथप्रपूजिताम्*॥ ९॥

*श्रीं दुर्गां धनदामन्नपूर्णां पद्मां सुरेश्वरीम्* ।
*प्रणमामि जगद्धात्रीं चन्द्रशेखरवल्लभाम्* ॥ १०॥

*त्रिपुरां सुन्दरीं बालामबलागणभूषिताम्* ।
*शिवदूतीं शिवाराध्यां शिवध्येयां सनातनीम्* ॥ ११॥

*सुन्दरीं तारिणीं सर्वशिवागणविभूषिताम्* ।
*नारायणीं विष्णुपूज्यां ब्रह्मविष्णुहरप्रियाम्* ॥ १२॥

*सर्वसिद्धिप्रदां नित्यामनित्यां गुणवर्जिताम्* ।
*सगुणां निर्गुणां ध्येयामर्चितां सर्वसिद्धिदाम्*॥ १३॥

*विद्यां सिद्धिप्रदां विद्यां महाविद्यां महेश्वरीम्* ।
*महेशभक्तां माहेशीं महाकालप्रपूजिताम्* ॥ १४॥

*प्रणमामि जगद्धात्रीं शुम्भासुरविमर्दिनीम्* ।
*रक्तप्रियां रक्तवर्णां रक्तबीजविमर्दिनीम्* ॥ १५॥

*भैरवीं भुवनां देवीं लोलजिव्हां सुरेश्वरीम्* ।
*चतुर्भुजां दशभुजामष्टादशभुजां शुभाम्* ॥ १६॥

*त्रिपुरेशीं विश्वनाथप्रियां विश्वेश्वरीं शिवाम्* ।
*अट्टहासामट्टहासप्रियां धूम्रविनाशिनीम्* ॥ १७॥

*कमलां छिन्नभालाञ्च मातङ्गीं सुरसुन्दरीम्* ।
*षोडशीं विजयां भीमां धूमाञ्च वगलामुखीम्* ॥ १८॥

*सर्वसिद्धिप्रदां सर्वविद्यामन्त्रविशोधिनीम्* ।
*प्रणमामि जगत्तारां साराञ्च मन्त्रसिद्धये* ॥ १९॥

*इत्येवञ्च वरारोहे स्तोत्रं सिद्धिकरं परम्* ।
*पठित्वा मोक्षमाप्नोति सत्यं वै गिरिनन्दिनि* ॥ २०॥

*इति दशमहाविद्यास्तोत्रं सम्पूर्णम्* ।

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