क्या है शनिदेव का महत्व
दक्षिणा 2100 /- ज्योतिष तंत्र मंत्र यंत्र टोटका वास्तु कुंडली हस्त रेखा राशि रत्न,भूत प्रेत जिन जिन्नात बुरे गंदे सपने का आना, कोर्ट केस, लव मैरिज, डाइवोर्स, वशीकरण पितृ दोष कालसर्प दोष चंडाल दोष गृह क्लेश बिजनस विदेश यात्रा, अप्सरा परी साधना, अघोर साधनायें , समशान तांत्रिक साधनायें, सास बहु, सास ससुर, पति पत्नी, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, नन्द नन्दोई, साला साली, सभी झगड़े विवाद का हल व वशीकरण कार्य किया जाता है
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सूर्यपुत्र शनिदेव अतिशक्तिशाली माने जाते हैं और इनका इंसान के जीवन में अद्भुत महत्व है। शनिदेव मृत्युलोक के ऐसे स्वामी हैं, जो व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर सजा देकर
उन्हें सुधरने के लिए प्रेरित करते हैं। आमतौर पर यह धारणा है कि शनिदेव मनुष्यों के शत्रु हैं। यह भी मान्यता है कि क्लेश, दु:ख, पीड़ा, व्यथा, व्यसन, पराभव आदि शनि की साढ़ेसाती के कारण पैदा होता है।
लेकिन सच्चाई यह भी है कि शनिदेव उन्हीं को दंडित करते हैं, जो बुरा करते हैं अर्थात जो
'जैसा करेगा, वो वैसा भरेगा'। उनके नियमों के अनुसार अगर हमने कुछ स्वार्थवश गलत किया
है तो वह उसका फल फौरन देता है। विद्वानों के मतानुसार शनि मोक्ष प्रदाता ग्रह है और शनि
ही शुभ ग्रहों से कहीं अधिक अच्छा फल देता है। शनिदेव के प्रति लोगों में जो डर है, उसी के
कारण वे दुर्व्यवहार करने से बचते भी हैं। सच्चाई तो यह है कि अगर हम कोई दुर्व्यवहार ही न करें, तो शनिदेव हमारे मित्र हैं।
ऐसी मान्यता है कि चोरी, डकैती, व्यभिचार, परस्त्रीगमन, दुर्व्यसन तथा झूठ से जीवन-यापन नहीं करना चाहिए। यदि कोई जातक झूठे रास्ते पर चला गया है तो शनि उसे तकलीफ देते हैं
अन्यथा परम संतुष्ट होकर पहले से अधिक संपत्ति, यश, कीर्ति, वैभव प्रदान करते हैं।
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