श्री रूद्र-भैरव मंत्र-विधान
विनियोग :-अस्य श्रीरूद्र-भैरव मंत्रस्य महामाया सहितं श्रीमन्नारायण ऋषि: ,, सदाशिव महेश्वर-मृत्युंजय-रुद्रो-देवता ,, विराट छन्द: ,, श्रीं ह्रीं क्ली महा महेश्वर बीजं ,, ह्रीं गौरी शक्ति: ,, रं ॐकारस्य दुर्गा कीलकं ,, मम रूद्र-भैरव कृपा प्रसाद प्राप्तत्यर्थे मंत्र जपे विनियोग: !!!
ऋषि आदि न्यास :-
ॐ महामाया सहितं श्रीमन्नारायण ऋषये नम: शिरसि !
सदाशिव -महेश्वर -मृत्युंजयरुद्रो देवताये नम: हृदये !
विराट छन्दसे नम: मुखे !
श्रीं ह्रीं कलीम महा महेश्वर बीजाय नम: नाभयो !
रं ॐकारस्य कीलकाय नम:गुह्ये !
मम रूद्र-भैरव कृपा प्रसाद प्राप्तत्यर्थे मंत्र जपे विनियोगाय नम: सर्वांगे !!!
करन्यास:
ॐ नमो भगवते ज्वल ज्ज्वालामालिने ॐ ह्रीं रां सर्व-शक्ति धाम्ने ईशानात्मने अंगुष्ठाभ्यां नम: !
ॐ नमो भगवते ज्वल ज्ज्वालामालिने नं रीं नित्य -तृप्ति धाम्ने तत्पुरुषात्मने तर्जिनीभ्यां स्वाहा !
ॐ नमो भगवते ज्वल ज्ज्वालामालिने मं रुं अनादि शक्ति धाम्ने अघोरात्मने मध्यमाभ्यां वषट !
ॐ नमो भगवते ज्वल ज्ज्वालामालिने शिं रैं स्वतंत्र -शक्ति धाम्ने वामदेवात्मने अनामिकाभ्यां हुम् !
ॐ नमो भगवते ज्वल ज्ज्वालामालिने वां रौं अलुप्त शक्ति धाम्ने सद्योजात्मने कनिष्ठिकाभ्यां वोषट !
ॐ नमो भगवते ज्वल ज्ज्वालामालिने ॐ यं र: अनादि शक्ति धाम्ने सर्वात्मने करतल कर पृष्ठाभ्यां फट !!!
निर्देश:—इसी भांति हृदयादि षड अंग न्यास करे …..! न्यास के पश्चात् ”श्री रूद्र-भैरव” का ध्यान करे !
ध्यान :
वज्र दंष्ट्रम त्रिनयनं काल कंठमरिन्दम ! सहस्रकरमप्युग्रम वन्दे शम्भु उमा पतिम !!!
निर्देश:—–ध्यान के पश्चात् मानस-पूजन करे ! पश्चात् मंत्र जप करे !
मंत्र :
ॐ नमो भगवते रुद्राय आगच्छ आगच्छ प्रवेश्य प्रवेश्य सर्व-शत्रुंनाशय-नाशय धनु: धनु: पर मंत्रान आकर्षय-आकर्षय स्वाहा !!!
किसी भी साधना से पूर्व इस मंत्र विधि-पूर्वक जप करने से साधक की अन्य साधना का फल सुरक्षित रहता है ! यहाँ तक की अन्य की विद्या का आकर्षण भी कर लेता है ! विधान में शब्द पाठ के अंत में जहाँ ”म ” आया है ,, वहां ”म” में हलंत का प्रयोग करे ! छन्द में विराट जो है ,, ”ट” में भी हलंत का प्रयोग होगा ! वषट और वोषट में भी ”ट” में हलंत का प्रयोग होगा ! वो में बड़ी मात्रा का प्रयोग करे !
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