Sunday, February 10, 2019

कर्ण मातंगी साधना मंत्र

कर्ण मातंगी साधना मंत्र

ऐं नमः श्री मातंगि अमोघे सत्यवादिनि मककर्णे अवतर अवतर सत्यं कथय एह्येहि श्री मातंग्यै नमः।
या
ऊं नमः कर्ण पिशाचिनी अमोघ सत्यवादिनी मम कर्णे अवतर अवतर अतीत अनागत वर्तमानानि दर्शय दर्शय मम भविष्यं कथय कथय ह्रीं कर्ण पिशाचिनी स्वाहा।
ऐं बीज से षडंगन्यास करें।
पुरश्चरण के लिए आठ हजार की संख्या में जप करें।
कई बार प्रतिकूल ग्रह स्थिति रहने पर जप संख्या थोड़ी बढ़ानी भी पड़ती है।
41 दिन मे साधना पूर्ण होती है ।
दोनों मे से किसी एक मंत्र का जाप कर सकते है ।
लाल चन्दन की या मूँगे या रुद्राक्ष की माला मंत्र जाप के लिए श्रेष्ठ है ।
जप के दौरान शारीरिक पवित्रता की जरूरत नहीं है लेकिन मानसिक रूप से पवित्र होना आवश्यक है।
इसमें हवन भी आवश्यक नहीं है।
खीर को प्रसाद रूप में माता को चढ़ा कर उससे हवन करना अतिरिक्त ताकत देता है।
इसके साधक को माता कर्ण मातंगी भविष्य में घटने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं की जानकारी स्वप्न में देती हैं।
इच्छुक साधक को माता से प्रश्न का जवाब भी मिल जाता है। भक्ति-पूर्वक एवं निष्काम साधना करने पर माता साधक का पथ-प्रदर्शन करती हैं।
किसी भी साधना को करने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है गुरु के सानिध्य मे की हुई साधना जल्द और लाभकारी होती है । गुरु मंत्र की एक माला का जाप साधना के आरंभ मे करें ।
साधना काल मे नशे और नारी संग सर्वथा वर्जित है।

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )