भूत सिद्धि साधना
यह साधना कमजोर हृदय के व्यक्ति ना करे अन्यथा परिणाम आपको ही भुगतने पड़ेगे, आप कोई भी सुरक्षा कवच या मंत्र सिद्ध कर लीजिये ताकि साधना मे आपको परेशानी के समय सहायता प्राप्त हो,यह साधना ज्यादा से ज्यादा १-२ घंटे का ही है और एक ही दिवसीय है,साधना से पूर्व किसी भी पीपल के पेड़ का व्यवस्था कर ले ,रात्रि समय मे साधना करनी है,साधना मे किसी माला का आवश्यकता नहीं है हा हो सके तो इतर योनि सुरक्षा कवच आप गले मे धारण कर सकते है जिससे आपको कोई शक्तिशाली भूत सिद्ध हो .सर्वप्रथम एक नारियल का कटोरा लेना जैसे हम नारियल तोड़ते है तो उसके २ टुकड़े हो जाते है,तो इस मे से एक टुकड़ा लेना है जो बाहरी भाग होता,जो हम खाने मे प्रयोग करते है वह भाग नहीं लेना है॰रात्री मे पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर एक सुरक्षा गोला खिचे वहा पे बैठकर नारियल का सामान्य पूजन करके नारियल का बलि देदे फिर वृक्ष का स्पर्श न करते हुये भी वृक्ष का सामान्य पूजन करे,नारियल के कटोरे के अंदर केवड़े के रस और अनार के कलम से “भूत सिद्धि” यंत्र निर्मित करे,यंत्र का सामान्य पूजन करे और वृक्ष के नीचे ४ लोहे के कील गड़ा दे और उसिपे कटोरे को रखिये फिर कटोरे मे दूध,शक्कर और साबुत चावल डालिये,अब किल्लो के नीचे बबूल का लकड़ी डालकर उन्हे अग्नि से प्रज्वलित करे,यहा आप कह सकते हो के हमे खीर पकानी है और अग्नि का तापमान कम होना चाहिये नहीं तो कटोरा ही टूट जायेगा,यह सारी क्रिया करते समय और खीर बनते समय
॥ ॐ भ्रं भ्रुं भूतनाथाय आगच्छ आगच्छ प्रत्यक्षं दर्शय स्मरण मात्रेन प्रकटय प्रकटय मम शीघ्र कार्य सिद्धिम कुरु कुरु भ्रुं भ्रं फट ॥
मंत्र जाप करना है,जैसे जैसे खीर का खुशबू फैलेगा और आपके मंत्र का ध्वनि भी वैसे ही शीघ्रता से आपके सामने भूतो का प्रत्यक्षीकरण होना शुरू हो जायेगा,अब यहा पे तो सब किस्मत का खेल है १ से ४-५ भूत आये तो टिक है नहीं तो खीर को वही वृक्ष मे अर्पित करके वहा से क्षमा मांगकर चले जाये क्यूके अगर १०-१२….२०-२५………आगये और आपने उन्हे सिद्ध करने का कोशिश किया तो शायद वही आपके जीवन का आखरी समय होगा,इसिलिये आप कुछ तय्यरिया करके साधना को सम्पन्न करे,जब १-२ भूत प्रत्यक्ष हो तो वह आपको खीर मांगेगे तो येसे समय मे आपको बोलना है “आप मेरा कार्य सिद्ध करे तो मै आपको खीर का कुछ अंश दुगा और मै आपको जब स्मरण करुगा तो आपको प्रत्यक्ष होना पड़ेगा” उनके हा बोलतेही आप उन्हे उनको कोई नाम दे दीजिये ताकि उसी नाम से उन्हे स्मरण करने मात्र से वह आपको दर्शन देगे और आपका कार्य सिद्ध करेगे,जब कार्य हो जाये तो उन्हे खीर के १-२ चावल के दाने दे दीजिये,जब साधना मे सफलता मिल जायेगा और आप घर पे वापस आजायेगे तो दुसरे ही दीन आप खीर को धूप मे सुखाये कुछ दिनो तक सुखाने के बाद चावल अलग अलग हो जायेगे तो आप चावल के दाने संभाल के रखे ताकि भविष्य मे आपको लाभ हो,साधना से उठने के बाद सीधा घर पे जाये और पीछे मूड कर ना देखे,आपको बहोत सी आवाज़े आसकती है,आपको उसी स्थान पे वापस लौट ने का आवाहन किया जा सकता है परंतु आप मोह मे ना पड़ते हुये सीधा घर पे लौट जाये………….
साधना मे आवश्यक सामग्री-
१ नारियल,गुलाब के पुष्प,केवड़ा रस (इत्र का प्रयोग वर्जित है), कील,बबूल का लकड़ी,घी और कपूर (लकड़ी जलाने के लिये),भूत सिद्धि यंत्र ,इतर योनि सुरक्षा कवच (जो आपको सफलता और सुरक्षा प्रदान करे)
किसी भी टोने-टोटके, मंत्र एंव तांत्रिक साधना अथवा अन्य प्रयोग करने से पहले कुशल गुरू या अनुभवी व्यक्ति से मश्विरा कर लें। केवल पढ़कर इस क्षेत्र में कदम रखना घातक हो सकता है। यहां यह बात स्पष्ट रूप से बता देना अपना नैतिक कर्तव्य समझते हैं कि किसी भी प्रयोग में आपकी सफलता आपके विश्वास और प्रयासों पर ही निर्भर करेगी। यदि आप किसी प्रयोग में असफल हो जाते हैं, या किसी प्रकार की हानि होती है तो उसके लिए लेखक, प्रकाशक, लेशमात्र भी जिम्मेदार नहीं होगे।
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