भूतनी साधना
प्रस्तुत एक दिवसीय प्रयोग एक अचरज पूर्ण प्रयोग है, जिसे सम्प्पन करने पर साधक को भुतिनी को स्वप्न के माध्यम से प्रत्यक्ष कर उसे देख सकता है तथा उसके साथ वार्तालाप भी कर सकता है. साधको के लिए यह प्रयोग एक प्रकार से इस लिए भी महत्वपूर्ण है की इसके माध्यम से व्यक्ति अपने स्वप्न में भुतिनी से कोई भी प्रश्न का जवाब प्राप्त कर सकता है. यह प्रयोग भुतिनी के तामस भाव के साधन का प्रयोग नहीं है, अतः व्यक्ति को भुतिनी सौम्य स्वरुप में ही द्रश्यमान होगी.यह प्रयोग साधक किसी भी अमावस्या को करे तो उत्तम है, वैसे यह प्रयोग किसी भी बुधवार को किया जा सकता है.
साधक को यह प्रयोग रात्री काल में १० बजे के बाद करे. सर्व प्रथम साधक को स्नान आदि से निवृत हो कर लाल वस्त्र पहेन कर लाल आसान पर बैठ जाए. गुरु पूजन तथा गुरु मंत्र का जाप करने के बाद दिए गए यन्त्र को सफ़ेद कागज़ पर बनाना चाहिए. इसके लिए साधक को केले के छिलके को पिस कर उसका घोल बना कर उसमे कुमकुम मिला कर उस स्याही का प्रयोग करना चाहिए. साधक वट वृक्ष के लकड़ी की कलम का प्रयोग करे. यन्त्र बन जाने पर साधक को उस यन्त्र को अपने सामने किसी पात्र में रख देना है तथा तेल का दीपक लगा कर मंत्र जाप शुरू करना चाहिए.
साधक को निम्न मंत्र की ११ माला मंत्र जाप करनी है इसके लिए साधक को रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना चाहिए.
मंत्र –
भ्रं भ्रं भ्रं भुतेश्वरी भ्रं भ्रं भ्रं फट्
मंत्र जाप पूर्ण होने पर जल रहे दीपक से उस यन्त्र को जला देना है. यन्त्र की जो भष्म बनेगी उस भष्म से ललाट पर तिलक करना है तथा तिन बार उपरोक्त मंत्र का उच्चारण करना है. इसके बाद साधक अपने मन में जो भी प्रश्न है उसके मन ही मन ३ बार उच्चारण करे तथा सो जाए. साधक को रात्री काल में भुतिनी स्वप्न में दर्शन देती है तथा उसके प्रश्न का जवाब देती है. जवाब मिलने पर साधक की नींद खुल जाती है, उस समय प्राप्त जवाब को लिख लेना चाहिए अन्यथा भूल जाने की संभावना रहती है. साधक दीपक को तथा माला को किसी और साधना में प्रयोग न करे लेकिन इसी साधना को दुबारा करने के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है. जिस पात्र में यन्त्र रखा गया है उसको धो लेना चाहिए. उसका उपयोग किया जा सकता है. अगर यन्त्र की राख बची हुई है तो उस राख को तथा जिस लकड़ी से यन्त्र का अंकन किया गया है उस लकड़ी को भी साधक प्रवाहित कर दे. साधक दूसरे दिन सुबह उठ कर उस तिलक को चेहरा धो कर हटा सकता है लेकिन तिलक को सुबह तक रखना ही ज़रुरी है.
चेतावनी –
यह एक तीव्र साधना है इसलिए इसे गुरु आज्ञा से ही करे ! किसी भी तरह के फायदे और नुक्सान की जिम्मेदारी हमारी नहीं है !
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