PRACTICE OF LINGA AND YONI IN BHAIRAVI SADHNA PART 2 भैरवी साधना में ‘लिंग’ और ‘योनि’ की साधना भाग 2
साधना कैसे करें ?
दूसरा ज्ञान वर्ग भेद का होना आवश्यक है। सूर्य प्रधान स्त्री के साथ आप भैरव जी को नहीं सिद्ध कर सकते। वहाँ विषाणु, कृष्णा, राम, अर्द्धनारीश्वर, राजराजेश्वर शिव,सूर्य, अग्नि,चन्द्रमा, बुध, बृहस्पति –(शिव, पार्वती, गणेशजी, रूद्र, दुर्गा आदि) सब सिद्ध आकर सकते है। लक्ष्मी भी सिद्ध कर सकते है; पर काली या भैरव सिद्ध नहीं होंगे।
इसी प्रकार शनि प्रधान स्त्री से आप सूर्य प्रधान, चन्द्रमा प्रधान शक्तियों को सिद्ध नहीं कर सकते। होगा भी तो भाव शनि होगा इनका नहीं।
भैरवी साधना से पहले
प्रथम पूजा के बाद भैरवी को साधक को भी प्रकृति पुरुष देवता मान कर उसकी पूजा करनी चाहिए। स्मरण रखें- यहाँ पूजा विधि नहीं – विश्वास और विश्वास की मानसिक दशा महत्त्वपूर्ण है। इस विश्वास के साथ प्रतिदिन की गयी सामान्य प्रार्थना –स्तुति भी पूजा का स्थान भर देती है।
प्रश्न यह उठता है कि क्या भैरवी में सचमुच देवी शक्ति अवतरित होती है? तो इसका उत्तर हैं हां – यदि वह खुद ही संशय में न हो। विश्वास है, मानसिक भाव बंधा है; तो वह शक्ति निश्चय ही भैरवी में निवास करती है। साधक भी देवता रूप हो जाता है।
बुद्धि वादियों को यह अजीब सा लगेगा, पर यही सत्य है। मानसिक भाव पर ही सब कुछ है।
हमारे जीवन कि सामान्य प्रक्रिया भी वही है किसी ने चाहा कि वह बिजली से जगत को प्रकाशित कर दे, उसने कर दिया। किसी ने हवा में उड़ना चाहा, उसने मनुष्य को उड़ने का तरीका बता दिया । ऐसे सैकड़ों लोग रहे है, जिन्होंने तत्कालीन असम्भव को सिद्ध करना चाहा और उन्होंने कर दिया।
प्रकृति का एक ही सूत्र है, जो कामना करोगे, जो भाव होगा, सारी क्रियाएं उधर ही होंगी। तुम्हारे आसपास का ऊर्जा जगत तुम्हारी उसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए तुम्हारी ओर प्रवाहित होने लगेगा। इसके अन्तरगत तत्व विज्ञान का शाश्वत सूत्र है। नेगेटिव उत्पन्न करो । वह जैसा होगा, वैसा ही पॉजिटिव उस ओर प्रवाहित होगा। कामना और विश्वास की प्रकृति आवेशों की प्रकृति को संघनित करती है।
इसलिए अविश्वास का कोई कारण नहीं है। यह शाश्वत सूत्र है। सारे ब्रह्माण्ड की सभी इकाइयों पर लागू। प्रकृति में अपवादात्मक नियम नहीं है।
भैरवी साधना के लिए इच्छुक भैरवियों का स्वागत है, व्हाट्सप्प पर केवल वीडयो कॉल करें से सम्पर्क करें | 9953255600
No comments:
Post a Comment