Thursday, February 28, 2019

PRACTICE OF LINGA AND YONI IN BHAIRAVI SADHNA PART 1 भैरवी साधना में ‘लिंग’ और ‘योनि’ की साधना भाग 1

PRACTICE OF LINGA AND YONI IN BHAIRAVI SADHNA PART 1 भैरवी साधना में ‘लिंग’ और ‘योनि’ की साधना भाग 1


भैरवी मार्ग के साधक ‘योनि’ को आद्याशक्ति मानते हैं क्योंकि सृष्टि का प्रथम बीजरूप उत्पत्ति यही है। ‘लिंग’ का अवतरण इसकी ही प्रतिक्रिया में होता है। इन दोनों के मिलने से सृष्टि का आदि परमाणु रूप उत्पन्न होता है। इन दोनों संरचनाओं के मिलने से ही इस ब्रह्माण्ड का या किसी भी इकाई का शरीर बनता है और इनकी क्रिया से ही उसमें जीवन और प्राणतत्व ऊर्जा का संरचना होता है। यह योनि  एवं लिंग का संगम प्रत्येक के शरीर में चल रहा है। इसी से चाँद से शिवसार (बिंदु/अमृत/सावित्री/सती) अंदर  जाता है और हमारा जीवन तत्व यही है ।


भैरवी मार्ग का आधार सूत्र है कि मूलाधार में छिपे ऊर्जा रूप योनी-लिंग का प्रत्यक्ष रूप नर-मादा  में योनि लिंग के रूप में प्रकट होता है। यह पृथ्वी नामक ग्रह के आकर्षण शक्ति का प्रभाव है कि ये उसकी ओर प्रकट होता है। इनकी प्रकृति ही उत्तेजनात्मक है। इनकी पूजा करके इन पर जपा गया मंत्र शीघ्र ही सिद्ध होता है।

भैरवी एवं साधक की अभिषेक क्रिया

प्रथम पूजा की भांति (भैरवी पूजा) इसमें भी पहले पहले स्थान फिर अभिषेक की क्रिया होती है। मिट्टी और पंचगव्य से स्नान , फिर अंगन्यास, फिर अभिषेक । यहाँ क्रिया सम्पूर्ण रूप से नग्न निवस्त्र अवस्था में की जाती है। अभिषेक के समय मूल आद्या मंत्र से सिर पर अभिषेक द्रव्य का प्रेक्षण किया जाता है। यह द्रव्य मदिरा, मांस, मछली, वीर्य और रज को मिलाकर बनाया जाता है।

क्रियाएं एक-एक करके क्रमशः बताई जाएंगी,

स्नान और अभिषेक की क्रियाएं

भैरवी स्नान – सिर से पाँव एवं पाँव से सिर तक पानी में घोलकर छान कर साफ़ की गयी पीली मिटटी से मलकर स्नान कराना चाहिए।

मंत्र – 

ॐ ह्रीं ह्रीं क्लीं क्लीं हूँ हूँ फट स्वाहा।

इसेक बाद गाय का तजा गोबर लल चन्दन और कुमकुम मिलाकर पुनः; फिर गौमूत्र से धोकर; दही, हल्दी , बेसन मिलाकर, फिर दूध में  हल्दी मिलाकर; फिर घी का मर्दन और फिर पानी। मंत्र उपर्युक्त होंगे।प्रणव बीज, दो लज्जा बीज और दो काम बीज, दो अस्त्र बीज के बाद “स्वाहा “

साधक स्नान – उपर्युक्त प्रकार से ही

मन्त्र – 

ॐ नमः काल भैरव हूँ अस्त्राय फट

षोडा न्यास प्रक्रिया : अंगन्यास

षोडा न्यास तन्त्र प्रकिया का एक ऐसा न्यास है , जो सभी प्रकार की साधनाओं में सर्वश्रेष्ठ समझा जाता है। इस न्यास के ऋषि महेश्वर, छंद, सृष्टि माया , बीज ‘क्लीं’ किलक ‘हूँ’ , शक्ति ह्रीं है।

इसमें सबसे पहला न्यास नरसिंह न्यास, फिर भैरव न्यास, फिर कामकला न्यास, फिर डाकिनी न्यास, फिर शक्ति न्यास, फिर देवी न्यास होता है।

नरसिंह न्यास

इसके ऋषि हयग्रीव, छंद गायत्री , देवता नरसिंह, बीज वर्णमाला के व्यंजन वर्ण , शक्तियाँ सोलह स्वर वर्ण समूह है।

भैरवी साधना के लिए इच्छुक भैरवियों का स्वागत है, व्हाट्सप्प पर केवल वीडयो कॉल करें से सम्पर्क करें | 9953255600

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )