Thursday, February 28, 2019

PRACTICE OF LINGA AND YONI IN BHAIRAVI SADHNA PART 3 भैरवी साधना में ‘लिंग’ और ‘योनि’ की साधना भाग 3

PRACTICE OF LINGA AND YONI IN BHAIRAVI SADHNA PART 3 भैरवी साधना में ‘लिंग’ और ‘योनि’ की साधना भाग 3



भैरवी साधना  में साधक-साधिकाओं के लिए निर्देश


किसी भी नारी कि उपेक्षा या अपमान न करें।
कन्याओं को देवी का रूप समझकर उनकी पूजा करें।
कन्याओं-नारियों की शक्ति पर सहायता एवं रक्षा करें।
पेड़ न काटे, न कटवाएं।
मदिरापान या मांसाहार केवल साधना हेतु है। इसे व्यसन न बनाये।जो मस्तिष्क और विवेक को नष्ट कर दे; उस मदिरापान से भैरव जी कुपित होकर उसका विनाश कर देते है।
भैराविमार्ग की अपनी साधना को गुप्त रखें, किसी को न बताएं।
दिन में सामान्य पूजा करें।साधना 9 से 1 बजे तक रात्रि में प्रशस्त हैं।
नवमी एवं चतुर्दशी को भैरवी में स्थित देवी की पूजा करें।
इस मार्ग के आलोचकों से मत उलझे। इस संसार में भांति-भांति के प्राणी रहते है। सब की प्रवृत्ति एवं एवं सोच अलग-अलग होती है। न तो किसी को इस मार्ग कि ओर प्रेरित करे, न ही विरोध करे।
यह प्रयास रखे कि भैरवी सदा प्रसन्न रहे।


यदि वह मांसाहारी नहीं है; तो वानस्पतिक गर्म और कामोत्तेजक पदार्थों का सेवन करें और विजया से निर्मित मद का प्रयोग करें।


आसन, वस्त्र लाल होते हैं। पूजा केवल निवस्त्र नग्न होकर ही करें,
पूजा केवल नवमी-चतुर्दशी को होती है। अन्य तिथियों में केवल साधना होती है।
साधना के अनेक स्तर है। यहाँ सामान्य स्तर दिया गया है। भैरवी को सामने बैठाकर देवीरुप कल्पना में मंत्र जप करने से मन्त्र सिद्ध होते है।
साधक-साधिका को इस पर जैतून या चमेली के  तिल के तेल से एक दूसरे की मालिश करें ।
इन चक्रों पर नीचे से ऊपर तक होंठ फेरने और चुम्बन लेने से ये शक्तिशाली होते है।
एक-दूसरे के आज्ञाचक्र को चूमने से मनासिक शक्ति प्रबल होती है।

भैरवी साधना के लिए इच्छुक भैरवियों का स्वागत है, व्हाट्सप्प पर केवल वीडयो कॉल करें से सम्पर्क करें | 9953255600

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )