तुलसी सेवा की सावधानियाँ
दक्षिणा 2100 /- ज्योतिष तंत्र मंत्र यंत्र टोटका वास्तु कुंडली हस्त रेखा राशि रत्न,भूत प्रेत जिन जिन्नात बुरे गंदे सपने का आना, कोर्ट केस, लव मैरिज, डाइवोर्स, वशीकरण पितृ दोष कालसर्प दोष चंडाल दोष गृह क्लेश बिजनस विदेश यात्रा, अप्सरा परी साधना, अघोर साधनायें , समशान तांत्रिक साधनायें, सास बहु, सास ससुर, पति पत्नी, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, नन्द नन्दोई, साला साली, सभी झगड़े विवाद का हल व वशीकरण कार्य किया जाता है
प्रथम
तुलसी की जड़ो में प्रतिदिन जल अर्पण करते रहना ! केवल एकादशी और रविवार को छोड़ कर।
द्वितीय
तुलसी की मंजरियों को तोड़कर तुलसी को पीड़ा मुक्त करते रहना , क्योंकि ये मंजरियाँ तुलसी जी को बीमार करके सुखा देती हैं !
जब तक ये मंजरियाँ तुलसी जी के शीश पर रहती हैं , तब तक तुलसी माता घोर कष्ट पाती हैं !
इन दो सेवाओं को श्री ठाकुर जी (कान्हा जी) की सेवा से कम नहीं माना गया है !
सावधानियाँ
तुलसी दल तोड़ने से पहले तुलसीजी की आज्ञा ले लेनी चाहिए ! सच्चा वैष्णव बिना आज्ञा लिए तुलसी दल को स्पर्श भी नहीं करता है !
रविवार और द्वादशी के दिन तुलसी दल को नहीं तोड़ना चाहिए , तथा कभी भी नाखूनों से तुलसी दल को नहीं तोड़ना चाहिए!
एकादशी को जल नहीं देना चाहिये क्योंकि इस दिन तुलसी महारानी भी ठाकुर जी के लिये निर्जल व्रत रखती हैं। ऐसा करने से महापाप लगता है ! कारण तुलसी जी श्री ठाकुर जी की आज्ञा से केवल इन्ही दो दिनों (रविवार और द्वादशी) विश्राम और निंद्रा लेती हैं !
बाकी के दिनों में वो एक छण के लिए भी सोती नही हैं और ना ही विश्राम लेती हैं ! आठों पहर ठाकुर जी की ही सेवा में लगी रहती हैं
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