Monday, November 6, 2017

कुंडली के 12 भावों में लग्नेश की स्थिति

कुंडली के 12 भावों में लग्नेश की स्थिति

माना जाता है कि जन्म कुंडली के जिस भाव में लग्नेश स्थित होता है तो उस भाव से संबंधित फलों में व्यक्ति की रुचि अधिक होती है अथवा उस भाव के फलों का प्रभाव जातक के जीवन में देखा जाता है. यदि लग्नेश कुंडली में पीड़ित है तब व्यक्ति को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. जैसे कि लग्नेश का 6,8,12 भावों में जाना शुभ नहीं माना जाता है क्योंकि छठा भाव रोग, ऋण तथा शत्रुओं का है तो जातक किसी ना किसी रुप से त्रस्त रहेगा. आठवें भाव में जाने से भी जातक कठिनाईयों में रहेगा तथा बारहवाँ भाव भी व्यय भाव है तो लग्नेश की स्थिति यहाँ भी शुभ नहीं है.

वैसे तो माना गया है कि लग्नेश जिस क्षेत्र में जाएगा तो उसी क्षेत्र की तरफ झुकाव भी होगा. इस लेख के माध्यम से लग्नेश की कुंडली के बारह भावों में स्थित होने के फल बताए जाएंगे जो निम्नलिखित हैं :-

लग्नेश की लग्न में स्थिति – Ascendant Lord in Ascendant
कुंडली के लग्न में ही लग्नेश भी स्थित है और वह किसी तरह के पाप प्रभाव में भी नहीं है तब लग्न अत्यधिक शक्तिशाली बन जाता है. व्यक्ति बहुत मजबूत होता है, उसके इरादे कोई नहीं हिला सकता है. पुरुषार्थ से जीवन में सभी कुछ हासिल करता है. अपनी चाहतों को अधिक से अधिक पूरा करने की चाह होती है क्योंकि लग्न में ही स्थित है तो अपना ध्यान पहले करने वाला जातक होता है. अपनी ओर सभी का ध्यान भी चाहता है.

लग्नेश की दूसरे भाव में स्थिति – Ascendant Lord in 2H
जन्म कुंडली का दूसरा भाव धन भाव होने के साथ कुटुम्ब का भी माना जाता है. यदि लग्नेश कुंडली के दूसरे भाव में स्थित है तब व्यक्ति अपने प्रयासों से धन कमाता है. कुटुम्ब भाव है तो व्यक्ति का झुकाव अपने घर-परिवार की ओर काफी ज्यादा होता है. धन कमाने में जुटा रहता है और व्यक्ति के भीतर संस्कार भी देखे जा सकते हैं.

लग्नेश की तीसरे भाव में स्थिति – Ascendant Lord in 3H
तीसरे भाव को प्रयासों का माना गया है. कम्यूनिकेशन्स के लिए भी इसी भाव को देखा गया है. यदि लग्नेश तीसरे भाव में स्थित हो तब व्यक्ति को अपने शौक पूरे करने का जोश रहता है. मौज मस्ती व दोस्तों के साथ रहना अच्छा लगता है लेकिन बात-बात में क्रोध करने वाला भी होता है, भले ही वह कई बार क्रोध को अप्रत्यक्ष रुप से ही प्रकट करता हो. आलसी होता है किसी तरह के कोई प्रयास नहीं करना चाहता है. सामाजिक कार्यों में रुचि नहीं होती है. जैसा कि यह भाव कम्यूनिकेशन्स का भी है तो जातक लोगों से मेलजोल कम ही रखता है. समाज में कैसे रहा जाता है इसकी जानकारी नहीं होती है लेकिन अपनी अकड़ में रहना अच्छा लगता है.

लग्नेश की चतुर्थ भाव में स्थिति – Ascendant Lord in 4H
चतुर्थ भाव को सुख भाव कहा गया है तथा माता को भी इसी भाव से देखते हैं. यदि लग्नेश चतुर्थ भाव में स्थित है तब व्यक्ति का झुकाव अपनी माता की ओर होगा. सभी प्रकार की सुख सुविधाओं को पाने वाला होगा. सुख-संपत्ति के प्रति जातक को घमंड भी रहेगा. दूसरों को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति भी व्यक्ति में देखी जा सकती है. लग्नेश के चतुर्थ में होने से चह दशम भाव को भी दृष्ट करेगा जिससे व्यक्ति का अपने व्यवसाय के प्रति रुझान देखा जा सकता है.

लग्नेश की पंचम भाव में स्थिति – Ascendant Lord in 5H
पंचम भाव एक धर्म त्रिकोण माना गया है और इसे लक्ष्मी स्थान भी कहते हैं. व्यक्ति को नाम व शोहरत मिलेगी, इस भाव से शिक्षा भी देखी जाती है तो व्यक्ति अच्छी शिक्षा प्राप्त करेगा. बुद्धिमान होगा और अपने बल पर धनी बनने वाला भी होगा. पंचम भाव से भावुकता भी देखी जा हैं क्योंकि प्रेम संबंध भी यहीं से देखे जाते हैं. जब भाव ही नहीं होगा तो प्रेम कैसे होगा. व्यक्ति का भावुकता के प्रति भी झुकाव देखा जा सकता है.

यहाँ एक बात ध्यान देने योग्य यह है कि यदि लग्न और लग्नेश के मध्य राशि परिवर्तन हो रहा है तब संतान प्राप्ति में कमी हो सकती है. यदि लग्नेश एक पाप ग्रह होकर पंचम में स्थित है या पंचम में पाप ग्रहों के प्रभाव में है तब व्यक्ति की बुद्धि भ्रमित सी रहती है.

लग्नेश की छठे भाव में स्थिति – Ascendant Lord in 6H
छठे भाव को शुभ नहीं माना गया है. यह भाव रोग, ऋण तथा शत्रुओं का भाव माना गया है. शत्रु प्रत्यक्ष हों या अप्रत्यक्ष हों, उनका आकंलन इसी भाव से किया जाता है. व्यक्ति रोगग्रस्त रह सकता है यदि कुंदली का दशाक्रम भी खराब चल रहा हो.
छठे भाव का दूसरा पहलू देखें तो यह भाव प्रतिस्पर्धा का भी माना गया है और शत्रु व्यक्ति के प्रतिद्वंद्वी भी हो सकते हैं. व्यक्ति शत्रुओं का नाश करने वाला होगा. प्रतियोगिताओं में जीतने वाला होगा अर्थात हर प्रतिस्पर्धा को जीतकर चीजें हासिल करने वाला होगा. छठे भाव से माता के परिवार को देखा जाता है अर्थात जातक के ननिहाल को देखा जाता है. लग्नेश का इस भाव में होना जातक को उसके ननिहाल से ज्यादा जोड़कर रखता है. ननिहाल की ओर झुकाव अधिक रहता है. व्यक्ति अपने पिता को नाम देने वाला होता है.
इस भाव में होने से व्यक्ति थोड़ा भ्रमित रहने के साथ किसी ना किसी पचड़े में भी फंसा रहता है लेकिन जीवन में अपनी मेहनत से कमाने वाला होता है. अगर लग्नेश छठे भाव में पीड़ित होकर स्थित है तब कोई भी लाभ जातक को नहीं मिलेगा. किसी ना किसी समस्या से घिरा रहेगा और ईर्ष्यालु स्वभाव का होगा. यदि छठे में पीड़ित है लेकिन वर्ग कुंडलियों में स्थिति में सुधार है तब थोड़ा हालात सुधर सकते हैं.

लग्नेश की सप्तम भाव में स्थिति – Ascendant Lord in 7H
इस भाव से सभी तरह की साझेदारियाँ देखी जाती है. व्यक्ति का जीवनसाथी भी इसी भाव से देखा जाता है. इस भाव से यात्राएँ भी देखी जाती हैं. व्यक्ति की प्रसिद्धि भी इस भाव से देखी जाती है कि वह जनता में लोकप्रिय होगा कि नहीं. यह भाव काम त्रिकोण कहलाता है तो व्यक्ति की ईच्छाएँ भी इस भाव से देखी जाएगी. अगर लग्नेश सप्तम भाव में स्थित होगा तो इस भाव से मिलने वाले सभी फलों की तरफ उसका झुकाव रहेगा.
लग्नेश यदि सप्तम भाव में शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तब सब कुछ मिलेगा लेकिन अगर अशुभ प्रभाव में होगा तब इस भाव के फलों को नहीं पा सकेगा. विवाहित जीवन भी कष्टपूर्ण रहेगा. व्यक्ति अपने घर से भी दूर चला जाता है.

लग्नेश की अष्टम भाव में स्थिति – Ascendant Lord in 8H
आठवें भाव को अच्छा नहीं माना गया है लेकिन गूढ़ विद्याओं तथा रिसर्च काम के लिए इसे अच्छा कहा गया है. यदि आठवें भाव में लग्नेश अच्छी हालत में हैं तब व्यक्ति का झुकाव गूढ़ विद्याओं की ओर हो सकता है. भले ही वह उन्हें सीखे ना लेकिन उनमें सदा दिलचस्पी बनी रहती है. व्यक्ति स्वयं भी रहस्यमयी बना रह सकता है. कोई उसके बारे में ज्यादा नहीं जान पाएगा कि वह भीतर से कैसा है. किसी ना किसी विवाद में भी घिरा रह सकता है.
आठवाँ भाव शुभ भी नहीं माना जाता है इसलिए यहाँ लग्नेश के होने से बुद्धि भी भ्रम में रहेगी. व्यक्ति का झुकाव धार्मिकता की ओर भी रहेगा जो अत्यधिक गहरी बातें होगी धर्म की खासकर उनकी तरफ रुचि ज्यादा रहेगी.

लग्नेश की नवम भाव में स्थिति – Ascendant Lord in 9H
नवम भाव सबसे बली धर्म त्रिकोण हैं और पूरी कुंडली का सबसे अधिक महत्वपूर्ण भाव भी हैं क्योंकि यहीं से भाग्य भी देखा जाता है. यदि यह भाव बली है तो भाग्य से सभी कुछ व्यक्ति को जीवन में मिल जाएगा. इस भाव से पिता तथा गुरु दोनों का आंकल्न किया जाता है. यदि लग्नेश इस नवम भाव में स्थित हो तब व्यक्ति का झुकाव धर्म की ओर तो होगा ही उसे अपने पिता तथा गुरु की ओर भी लगाव रहेगा. गुरुजनों तथा वरिष्ठ लोगों का आदर करेगा. शिक्षित होगा तथा जीवन को अच्छे तरीके से जीने वाला रहेगा. लग्नेश का नवम में जाना राजयोगकारी होगा.
यदि लग्नेश नवम भाव में पीड़ित है तब पिता से कोई लगाव नहीं होगा और लगाव होगा भी तो पिता से कुछ मिलेगा नहीं. जीवन में भाग्य को जगाने के लिए संघर्ष ज्यादा करने पड़ेगें. एक आम जीवन बिताने वाला व्यक्ति हो सकता है.

लग्नेश की दशम भाव में स्थिति – Ascendant Lord in 10H
लग्नेश का दशम भाव में जाना अच्छा माना गया है. यदि इस भाव में लग्नेश उच्च का हो जाए या एक अच्छी हालत में भी हो तब व्यक्ति किसी ना किसी संस्था को बनाने वाला होता है. अपने कार्य क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान भी बनाता है. व्यक्ति का रुझान अपने कार्यक्षेत्र अथवा व्यवसाय की ओर अधिक रहेगा और कर्म करना ही अपना पहला कर्तव्य भी समझेगा.
अगर लग्नेश दशम भाव में पीड़ित अवस्था में है अथवा नीच का भी है तब व्यक्ति पैसा तो कमाएगा लेकिन बुरे कर्मों से और नीच कर्म की ओर झुकाव भी ज्यादा रहेगा. किसी ना किसी तरह से पैसा कमाने में ही मन लगा रहेगा. मन में सदा धन कमाने की उधेड़बुन भी चलती रहेगी.

लग्नेश की एकादश भाव में स्थिति – Ascendant Lord in 11H
एकादश भाव को उपचय भाव भी कहा गया है. यह एक काम त्रिकोण भी है. लाभ तथा कला को भी यहाँ से देखा जाता है. पिता की ओर के रिश्तेदारों को भी इसी भाव से देखा जाता है. मित्रों को और उनके मध्य की लोकप्रियता को भी इसी भाव से देखा जाता है. यदि लग्नेश, एकादश भाव में स्थित है तब व्यक्ति मित्रों की ओर झुका रहेगा और पिता की ओर के लोगों से लगाव रहेगा. अपने आप को स्थापित करने तथा नाम, शोहरत कमाने में भी रुचि रहेगी.
यदि लग्नेश पीद़ित होकर एकादश भाव में स्थित है तब गलत तरीके से काम करने वाला होगा. अपने मतलब से ही लोगों से बात करेगा अर्थात मतलबी होगा. अपने लोगों से दूर रहेगा और नीच प्रवृत्ति वाला, घटिया तथा स्वार्थी होगा.

लग्नेश की द्वादश भाव में स्थिति – Ascendant Lord in 12H
द्वादश भाव को व्यय भाव कहा कहा गया है. इस भाव से हर तरह के खर्चे देखे जाते हैं. विदेश यात्राएँ भी इस भाव से देखी जाती हैं. लग्नेश के इस भाव में जाने से व्यक्ति खर्चीला होगा, यात्राओं में रुचि रहेगी और अपने घर से दूर रहने वाला होगा. इस भाव से दानादि भी देखा जाता है और यदि लग्नेश अच्छी हालत में इस भाव में स्थित है तब धार्मिक कार्यों में दान देने में उसकी रुचि रहेगी, दानी होगा.
यदि लग्नेश इस भाव में पीड़ित अवस्था में है तब घर से दूर जाकर संघर्ष करेगा और अकेले रहने में उसकी रुचि भी रहेगी. विषय वासनाओं की ओर झुकाव अधिक होगा और उन पर अत्यधिक पैसा खर्च करेगा.

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