शुक्र और शुगर उपाय
शुक्र मनोरंजन का कारक ग्रह है | शुक्र स्त्री, यौन सुख, वीर्य और हर प्रकार के सुख और सुन्दरता का कारक ग्रह है | यदि शुक्र की स्थिति अशुभ हो तो जातक के जीवन से मनोरंजन को समाप्त कर देता है | नपुंसकता या सेक्स के प्रति अरुचि का कारण अधिकतर शुक्र ही होता है | मंगल की दृष्टि या प्रभाव निर्बल शुक्र पर हो तो जातक को ब्लड शुगर हो जाती है | इसके अतिरिक्त शुक्र के अशुभ होने से व्यक्ति के शरीर को बेडोल बना देता है | बहुत अधिक पतला शरीर या ठिगना कद शुक्र की अशुभ स्थिति के कारण हो
उपाय
〰〰〰
शुक्र ग्रह की अनुकूलता हेतु आराध्य-देवी- लक्ष्मी, इंद्राणी तथा दुर्गा जी वैदिक उपाय : शुक्र के वैदिक मंत्र का सोलह हजार जप करना चाहिए। वैदिक मंत्र ऊँ अन्नात्परश्रिुतो रसं ब्राह्मण व्यपिवत्क्षत्रं पयः सोमं प्रजापतिः। ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानग्वं शुक्रमन्ध्रंस इन्द्रस्येन्द्रियर्मिदं पयोऽमृतं मु॥ तात्रिंक मंत्र (क) ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः (ख) ऊँ शुं शुक्राय नमः शुक्र के किसी भी तांत्रिक मंत्र का चौंसठ हजार जप करना चाहिए। गायत्री मंत्र ऊँ भृगुजाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो शुक्रः प्रचोदयात्।
〰〰〰
शुक्र ग्रह की अनुकूलता हेतु आराध्य-देवी- लक्ष्मी, इंद्राणी तथा दुर्गा जी वैदिक उपाय : शुक्र के वैदिक मंत्र का सोलह हजार जप करना चाहिए। वैदिक मंत्र ऊँ अन्नात्परश्रिुतो रसं ब्राह्मण व्यपिवत्क्षत्रं पयः सोमं प्रजापतिः। ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानग्वं शुक्रमन्ध्रंस इन्द्रस्येन्द्रियर्मिदं पयोऽमृतं मु॥ तात्रिंक मंत्र (क) ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः (ख) ऊँ शुं शुक्राय नमः शुक्र के किसी भी तांत्रिक मंत्र का चौंसठ हजार जप करना चाहिए। गायत्री मंत्र ऊँ भृगुजाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो शुक्रः प्रचोदयात्।
हवन : उदुंवर की समिधा से हवन करना चाहिए। दान : श्वेत चावल, श्वेत चंदन, श्वेत वस्त्र, श्वेत पुष्प, चांदी, हीरा, घृत, सोना, श्वेत घोड़ा, दही, सुगंध द्रव्य, शर्करा, गेहूं, दक्षिणा आदि। औषधि स्नान : इलायची छोटी, मैनसिल, सुवृक्ष मूल, केसर।
शुक्रवार व्रत : ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से व्रत प्रारंभ करके इक्कीस या तैंतीस शुक्रवार लगातार करें। व्रत के दिन उपासक स्नान कर, श्वेत वस्त्र धारण करके शुक्र के बीज मंत्र का एक सौ आठ दाने की स्फटिक अथवा रुद्राक्ष माला पर तीन या इक्कीस माला जप करें। उसके बाद दूध, चीनी, चावल से बनी खीर का भोग लगा कर स्वयं खाएं तथा दूसरों को भी खिलाएं। यदि संभव हो तो एक आंख वाले गरीब व्यक्ति (शुक्राचार्य) को दें, या गाय को खिलावें। अंतिम शुक्रवार को पूर्णाहुति, हवन द्वारा करें तथा चांदी, श्वेत वस्त्र, चावल, दूध, गरीब को दान में दें। ग्रह पीड़ा निवृत्ति हेतु
शुक्र यंत्र : भोजपत्र पर श्वेत चंदन एवं अनार की कलम से शुक्रवार को प्रातः काल लिख कर, पंचोपचार पूजन करके अथवा चांदी के पत्र पर शुक्रवार को उत्कीर्ण करा कर, पूजन कर गले या बांह में धारण करना चाहिए।
रत्न धारण : श्वेत पुखराज, हीरा, सफेद मूंगा - चांदी या श्वेत धातु में मढ़वा कर पंचोपचार पूजन, ब्राह्मण से प्राण प्रतिष्ठा करा कर, तर्जनी उंगली में धारण करना चाहिए। औषधि धारण : शुक्रवार के दिन केले की जड़ को सफेद कपड़े में बांध कर व सफेद धागे में (यदि रेशम का हो तो अच्छा है) बांध कर गले या बांह में धारण करना चाहिए।
No comments:
Post a Comment